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उप-राष्ट्रपति बोले, बापू ने भी RSS के सकारात्मक मूल्यों को माना था

वेंकैया नायडू बोले- आरएसएस के सिद्धांतों का विरोध करने का कोई कारण नहीं है

क्विंट हिंदी
भारत
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उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू
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उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू
(फोटोः @VPSecretariat)

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पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के कार्यक्रम में आने का न्योता स्वीकार करने के विवाद के बीच उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि महात्मा गांधी ने भी संघ के सकारात्मक मूल्यों को स्वीकार किया था.

उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि भारत में धर्मनिरपेक्षता सुरक्षित है और वह भी किसी व्यक्ति अथवा राजनीतिक पार्टी के कारण नहीं बल्कि इसलिए सुरक्षित है क्योंकि यह सभी भारतीयों के डीएनए में है.

‘महात्मा गांधी ने भी RSS के सकारात्मक मूल्यों को माना’

नायडू ने कहा कि विश्व के सबसे बड़े ‘ स्वैच्छिक मिशनरी संगठन ' ने उन लोगों को आकर्षित किया है जो देश को सर्वोपरि रखते हैं जैसे कि नानाजी देशमुख और दीन दयाल उपाध्याय. नायडू ने महात्मा गांधी के 1930 में आरएसएस के शिविर में जाने का जिक्र करते हुए कहा , ‘‘महात्मा गांधी तक ने आरएसएस के सकारात्मक मूल्यों को माना था.''

नायडू ने 1934 में गांधी के उद्बोधन से कहा, ‘‘जब मैं आरएसएस के शिविर में पहुंचा तो मैं आपके अनुशासन और छुआछूत का सफाया देखकर दंग रह गया.’’

नायडू ने कहा कि गांधी जी ने पाया कि स्वंयसेवक एक दूसरे की जाति की परवाह किए बगैर शिविरों में साथ रह रहे थे और खा पी रहे थे. उप राष्ट्रपति ने कहा कि आरएसएस के साथ जुड़े होने पर उन्हें गर्व हैं साथ ही उन्होंने जीवन में उन्नति के लिए संघ में मिले प्रशिक्षण को ही श्रेय दिया.

उन्होंने कहा कि आरएसएस का मतलब ‘‘रेडी फॉर सेल्फलेस सर्विस'' है.

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पूर्व राष्ट्रपति के RSS का न्योता स्वीकारने के बाद छिड़ा विवाद

दरअसल, आरएसएस ने अपने एक कार्यकम में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है और मुखर्जी ने यह निमंत्रण स्वीकार कर लिया है. इसके बाद कांग्रेस के तमाम नेताओं ने पूर्व राष्ट्रपति के फैसले पर आश्चर्य जताया और उनसे इस पर दोबारा विचार करने को कहा था.

उप राष्ट्रपति ने कहा ,‘‘ जहां तक मेरे आरएसएस से जुड़ने की बात है मैं आपको विश्वास दिला सकता हूं कि आरएसएस आत्म - अनुशासन , आत्म - सम्मान , आत्म - रक्षा , आत्म - निर्भरता से जुड़ा है और ये सारे राष्ट्र की सर्वोच्चता के दर्शन के सिद्धांत पर संचालित हैं.''

इस दौरान उन्होंने देश के विकास पर चर्चा की. उन्होंने यह भी बताया कि कैसे उन्होंने राजनीति छोड़कर सामाजिक कार्य करने का मन बना लिया था.

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