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हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) ऑस्ट्रेलिया की जेल में बंद विशाल जूद की रिहाई की मांग कर रहे हैं. हरियाणा के कुरुक्षेत्र के रहने वाले विशाल जूद को 16 अप्रैल को सिडनी में सिख समुदाय के खिलाफ हेट क्राइममें शामिल होने के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार किया था. अब सीएम मनोहर लाल खट्टर ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी बात की है और इस मामले में उनकी मदद मांगी है.
हरियाणा सरकार के जनसंपर्क निदेशक की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है,
सरकार ने यह भी दावा किया कि "राष्ट्र-विरोधी ताकतों" ने जूद को पीटा और उसे "झूठे मामले के तहत गिरफ्तार किया गया". कई दक्षिणपंथी वेबसाइट और सोशल मीडिया अकाउंट जूद की रिहाई की मांग को लेकर एक अभियान चला रहे हैं.
इस लेख के जरिए हम दो सवालों के जवाब देने की कोशिश करेंगे:
"खालिस्तानियों से राष्ट्रीय ध्वज को बचाने" के लिए विशाल जूद को निशाना बनाने का दावा पूरी तरह से गलत नहीं है तो भी भ्रामक है.
न्यू साउथ वेल्स पुलिस ने एक बयान में कहा कि जूद पर "भड़काने' के तीन मामले, 'अपमानजनक अपराध करने के इरादे से हथियार से लैस' के तीन मामले, 'संपत्ति को नष्ट करने या क्षति पहुंचाने' के दो मामले और 'हमले के अवसर' के आरोप लगाए गए हैं."
ऑस्ट्रेलिया के एक प्रमुख न्यूज चैनल सेवन न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कई हिंसक हमलों के सिलसिले में जूद को गिरफ्तार किया गया है. चैनल पुलिस का हवाला देते हुए आरोप लगाते हैं कि "भारत में तनाव के कारण यहां सिखों को निशाना बनाया गया."
चैनल के मुताबिक, "इस भगदड़ और हैरिस पार्क में घृणा से प्रेरित अपराधों के कई मामलों के पीछे विशाल जूद था." साथ ही चैनल ने बेसबॉल बैट का इस्तेमाल कर कार की विंडशील्ड पर हमला करने वाले लोगों के एक ग्रुप का सीसीटीवी फुटेज भी दिखाया है.
चैनल ने आगे दावा किया कि इन आरोपों पर चाहे जो भी हो, जूद को देश-निकाला (deportation) का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि उसका वीजा खत्म हो गया है, हालांकि भारतीय मीडिया में कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि उसके पास वैध छात्र वीजा है.
पुलिस जांच में यह कहीं भी सामने नहीं आया है कि इन अपराधों के शिकार लोग किसी भी तरह से भारतीय ध्वज के अपमान के लिए जिम्मेदार थे. इसलिए जूद का बचाव करने वालों द्वारा दिया जा रहा तर्क - कि वह भारतीय तिरंगे के अपमान का जवाब दे रहा था - बिल्कुल सही नहीं है.
असल में उसका बचाव करने वालों ने भी इस बात का कोई सबूत नहीं दिया है कि किसी ने राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया था.
विशाल की रिहाई के लिए हरियाणा सरकार की मांग तीन अलग-अलग राजनीतिक कारणों से समझी जा सकती है.
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