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चीन को लेकर पूर्व सेना चीफ वीके सिंह का एक बयान चर्चा में है. इस पर चीन से लेकर भारत की विदेश नीति की समझ रखने वाले सवाल उठा रहे हैं. दरअसल, केंद्रीय राज्य मंत्री वीके सिंह ने मदुरै में एक बयान में कहा- "भारत ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का चीन की तुलना में अधिक बार अतिक्रमण किया है, लेकिन सरकार हर बार इसकी घोषणा नहीं करती है."
वीके सिंह के इस बयान को चीन ने लपक लिया है. चीन वीके सिंह के इस बयान को भारत पर सीमा उल्लंघन का आरोप लगाने के लिए इस्तेमाल कर रहा है. चीन के विदेश मंत्री के प्रवक्ता वांग वेन्बिन ने वीके सिंह के बयान को भारत की ओर LAC पर अतिकर्मण स्वीकारने वाला बयान बताया है.
वहीं भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में सलाहकार और जाने-माने रक्षा विश्लेषक ब्रह्मा चेलानी ब्रह्म चेलानी ने वीके सिंह के बयान पर कहा कि इस तरह की बात से चीन के प्रोपेगेंडा मशीन को मौका मिलता है. उन्होंने कहा-
उन्होंने कहा, “भारत के मंत्री वीके सिंह द्वारा दिए गए बयान को चीन का विदेश मंत्रालय 'अनजाने में स्वीकार' कर लेने वाला कह रहा है. आक्रामक चीन ने भारत पर "अपने क्षेत्र में अतिक्रमण करने की कोशिश में सीमा क्षेत्र में लगातार घुसने" के लिए भारत को दोषी ठहराया है.”
द हिंदू के मुताबिक वीके सिंह ने कहा, ‘दोनों देश कई बार एलएसी की अपनी धारणाओं के परे गए हैं.’ सिंह ने कहा,
अशोका यूनिवर्सटी के प्रोफेसर और लेखक श्रीनाथ राघवन ने भी वीके सिंह के इस बयान पर कटाक्ष किया है. उन्होंने कहा, "ओह, हम कितना उलझा हुआ जाल बुनते हैं, जब पहली बार हम धोखा देने के लिए अभ्यास करते हैं "
वहीं वकील प्रशांत भूषण ने कहा,
पूर्व आर्मी ऑफिसर और फोर्स मैग्जीन के एडिटर प्रवीण साहनी ने कहा, "सिंह का बयान ऐसे वक्त में आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा कि कोई विवाद नहीं है, लेकिन चीन के साथ प्रतिस्पर्धा है. मोदी सरकार एलएसी पर पीएलए की शर्तों को स्वीकार करने और 10 सितंबर को हुए मास्को समझौते को लागू करने के लिए तैयार हो रही है. ब्रेकिंग न्यूज़ की उम्मीद थी कि सरकार ने LAC पर डीलिंकिंग की चीन की शर्तों को स्वीकार कर लिया है!"
बता दें कि गलवान घाटी में 15 जून 2020 को चीन और भारत की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इस झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. जिसके बाद से दोनों देश के बीच तनाव बढ़ गए हैं. अभी हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत और चीन की सेना के शीर्ष कमांडर पूर्वी लद्दाख में सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया को लेकर 9 दौर की बातचीत कर चुके हैं और भविष्य में भी ऐसी वार्ताएं की जाती रहेंगी. जयशंकर ने कहा कि अब तक हुई बातचीत का जमीन पर कोई असर दिखाई नहीं दिया है.
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