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‘सर्फ एक्सेल के दिखाए सपने ने आंसुओं में डुबोई आंखें’

सुनिए हिंदुस्तान यूनिलीवर से अपने कंज्यूमर राइट्स की लड़ाई लड़ रहे प्रमोद गुप्ता से उनकी दास्तां.

अनंत प्रकाश
भारत
Published:
अपने 12 साल के बेटे के साथ प्रमोद गुप्ता (फोटो: TheQuint)
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अपने 12 साल के बेटे के साथ प्रमोद गुप्ता (फोटो: TheQuint)
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एक शख्स हैं प्रमोद गुप्ता. आज से 9 साल पहले ‘सर्फ एक्सेल’ ने उन्हें एक सपना दिखाया था. उनकी बेटी की एजुकेशन के लिए 5 लाख रुपये की स्कॉलरशिप जीतने का. गुप्ता ने कंपनी के बताए नियमों के अनुसार स्कॉलरशिप जीतने का दावा किया. लेकिन कंपनी ने इनाम देने से इनकार कर दिया.

प्रमोद गुप्ता 9 सालों तक कोर्ट के चक्कर लगाते रहे. पर अब दिल्ली कंज्यूमर कमीशन ने कंपनी के खिलाफ फैसला दिया है. कंपनी को 27 लाख रुपये जुर्माना जमा करने और गुप्ता को ब्याज के साथ इनामी राशि दिए जाने का आदेश मिला है.

कई साल के संघर्ष से मानसिक और आर्थिक रूप से प्रताड़ित प्रमोद गुप्ता को अब भी कंपनी के खिलाफ जारी जंग को जीतने का भरोसा नहीं है.

प्रमोद गुप्ता के दर्द और प्रताड़ना की कहानी उनके ही शब्दों में...

नहीं दिखती उम्मीद की कोई किरण

9 साल पहले अपनी बच्ची की एजुकेशन के लिए मैंने ये लड़ाई शुरू की थी. 2007 में 100 रुपये के पैकेट पर जारी इनामी स्कीम के लिए 11,000 रुपये खर्च करके खुद मुंबई जाकर वो कपड़ा कंपनी को सौंपा था, जिसके आधार पर नियमों के हिसाब से मेरी बेटी को 5 लाख रुपये की स्कॉलरशिप मिलनी थी. अब मेरी बेटी 12वीं में पढ़ रही है. अगर केस 9 साल और चलता रहा, तो क्या मेरे नाती-नातिन को मिलेगी ये स्कॉलरशिप?
<b>प्रमोद गुप्ता, शिकायतकर्ता</b>
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जीतने के बाद भी है हार का यकीन

मुझे 99.99 परसेंट यकीन है कि मुझे इस केस में कुछ नहीं मिलेगा. कंपनियां कोर्ट दर कोर्ट मुझे घसीटती रहेंगी, लेकिन कुछ हासिल नहीं होगा. अब लगता है कि अधिकारों की लड़ाई बेमानी साबित हो रही है.
<b>प्रमोद गुप्ता, शिकायतकर्ता</b>

कोर्ट, जज, वकील सब अच्छे, लेकिन कंपनियां हैं ताकतवर

द क्विंट से बात करते हुए प्रमोद गुप्ता कहते हैं कि उनके केस की सुनवाई करने वाले वकील, जज और उनके सहयोगी सभी कहते हैं कि उनके केस में दम है, लेकिन वे महसूस करते हैं कंपनियां बहुत ताकतवर हैं और उन्हें उनके खिलाफ कोई सफलता नहीं मिलेगी.

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