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देश के कई हिस्सों में आज भी स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर सिर्फ बजट ही जारी हो रहे हैं, काम साफ-साफ नहीं दिख रहा है. तमिलनाडु के इरोड में भी ऐसा मामला सामने आया है, जहां एक गर्भवती महिला को कपड़े में लटकाकर 6 किलोमीटर तक ले जाया गया, क्योंकि रोड नहीं होने के कारण एंबुलेंस वहां नहीं जा सकता था. ऐसे में महिला के पति और कुछ गांववालों ने कपड़े में टांगकर एंबुलेंस तक पहुंचाया. महिला और बच्चा अब सुरक्षित हैं. लेकिन गरीबी, खराब सड़क और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी की ऐसी तस्वीरें तमाम दावों और वादों पर सवाल खड़ा कर देती हैं.
बता दें कि ये सिर्फ एक जगह की कहानी नहीं है. करीब दो महीने पहले ऐसी ही खबर ओडिशा के बारीपाड़ा से आई थी. जहां एंबुलेंस से सरकारी अस्पताल ले जाने के दौरान एक गर्भवती की मौत हो गई. महिला जिस एंबुलेंस में थी, उसका तेल कथित तौर पर रास्ते में ही खत्म हो गया. बारीपाड़ा में पंडित रघुनाथ मुर्मू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (PRMMCH) में महिला को शिफ्ट किया जाना था. जुलाई में ऐसी ही खबर आंध्र प्रदेश से भी आई थी.
ये खबरें देशभर के कई राज्यों में स्वास्थ्य सुविधाओं के नाजुक हालात को ही दिखाते हैं. नीति आयोग की हालिया रिपोर्ट बताती है कि भारत के 21 बड़े राज्यों में से नौ ने अपने स्वास्थ्य क्षेत्र के प्रदर्शन में गिरावट देखी है और इनमें से पांच देश के सबसे गरीब राज्य में से हैं. बिहार में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई है.ये जो गिरावट दर्ज की गई है, इसमें नवजात और कम उम्र की मृत्यु दर, अस्पतालों में प्रसव की सुविधाएं, जन्म के समय लिंग अनुपात जैसे इंडीकेटर हैं.
25 जून, 2019 को नीति आयोग की तरफ से हेल्दी स्टेट प्रोग्रेसिव इंडिया रिपोर्ट जारी किया गया. जिसमें 2015-16 और 2017-18 के बीच स्वास्थ्य क्षेत्र में राज्यों के प्रदर्शन की तुलना की गई थी. एक इंडेक्स तैयार कर रैंकिंग की गई, जिसमें केरल का इंडेक्स स्कोर सबसे ज्यादा (74.01) था, मतलब कि यहां स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बाकी राज्यों की तुलना में बेहतर है.
सात राज्यों में स्कोर में सुधार देखा गया, जबकि नौ राज्यों में गिरावट देखी गई. इनमें से 5 - बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, ओडिशा और मध्य प्रदेश - जैसा कि हमने कहा, भारत के सबसे गरीब राज्यों में से हैं. राजस्थान, झारखंड और छत्तीसगढ़ के साथ, जिन्होंने अपने हेल्थ इंडेक्श के अंकों में सुधार किया, ये राज्य एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप (ईएजी) बनाते हैं. 2017-18 में हरियाणा ने अपने इंडेक्स में सबसे अधिक सुधार देखा, जबकि बिहार में सबसे अधिक गिरावट देखी गई.
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