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दिल्ली जल विवादः जल बोर्ड ने कहा 98% सैंपल टेस्ट में पाए गए खरे

दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच पानी पर पॉलिटिक्स

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भारत
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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल
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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल
(फोटोः PTI)

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दिल्ली में बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच छिड़े वाटर वॉर के बीच दिल्ली जल बोर्ड ने कहा है कि उसने राष्ट्रीय राजधानी से पिछले 10 दिनों में परीक्षण के लिए 4,200 से ज्यादा पानी के सैंपल लिए थे और इनमें से 98 फीसदी से ज्यादा सैंपल पीने के योग्य पाए गए हैं.

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, प्रति 10,000 लोगों पर एक सैंपल लिया जाता है. दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष दिनेश मोहनिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा-

हमने पानी के कुल 4,204 सैंपल लिए थे. पिछले दस दिनों में शहर भर के हर वार्ड से पांच सैंपल लिए गए थे. इनमें से 4,128 सैंपल में से 98.19 फीसदी के परिणाम संतोषजनक पाए गए हैं. ये आंकड़ा वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मानक 96 फीसदी से ज्यादा है.

उन्होंने कहा, ‘पारदर्शिता बरतने के लिए गृहस्वामियों के नाम, फोन नंबर और पते लिए गए थे. तीन लैबोरेटरीज को सीलबंद सैंपल भेजे गए थे, जहां 29 पैरामीटर्स पर उनकी जांच की गई.’

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दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच ‘वाटर वॉर’

बता दें, दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार और केंद्र की बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार उस वक्त आमने-सामने आ गए थे, जब केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने 16 नवंबर को ब्यूरो ऑफ इंडिया स्टैंडर्ड की रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि दिल्ली में 11 जगहों से इकट्ठा किए गए पानी के सैंपल 19 मानकों पर गुणवत्ता परीक्षण में फेल रहे हैं.

मोहनिया ने दावा किया कि बीआईएस रिपोर्ट "शहर में चुनावों से पहले भय का माहौल पैदा करने और आरओ निर्माताओं की बिक्री बढ़ाने के लिए थी."

‘BIS की रिपोर्ट पर कैसे कर लें भरोसा?’

पानी के नमूनों के संयुक्त निरीक्षण पर एक सवाल का जवाब देते हुए, दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष ने कहा-

“हम बीआईएस पर कैसे भरोसा कर सकते हैं ... इसकी अपनी प्रयोगशालाएं नहीं हैं, और आरओ निर्माताओं की प्रयोगशालाओं में परीक्षण किया जाता है. हम कैसे मान लें कि वहां हुई जांच के नतीजे निष्पक्ष हैं. आरओ निर्माताओं के लिए, यह साबित करना जरूरी है कि दिल्ली का पानी पीने योग्य नहीं है, ताकि वे दिल्ली में ज्यादा से ज्यादा आरओ प्यूरीफायर बेच सकें.”  

उन्होंने पहले कहा था कि आरओ कंपनियों की एक संस्था वॉटर क्वालिटी इंडिया एसोसिएशन (WQIA) ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के मई 2019 के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें रिवर्स ऑस्मोसिस सिस्टम के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, जहां पानी की सप्लाई में टीडीएस प्रति लीटर 500 मिलीग्राम से कम है.

उन्होंने कहा, "WQIA ने शीर्ष अदालत के समक्ष बीआईएस की रिपोर्ट पेश की. यह बहुत ही अजीब संयोग है."

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