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पश्चिम बंगाल चुनावों को लेकर प्रचार जोर पकड़ रहा है और नेता एक दूसरे पर शब्दों के बाण चला रहे हैं. लेकिन इसी बीच पश्चिम बंगाल चुनावों से पहले एक बड़ी खबर सामने आई है. चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल के डीजीपी विरेंद्र का ट्रांसफर कर दिया है. उनकी जगह आईपीएस पी निरजनयन को डीजीपी बनाया गया है. अब चुनाव आयोग के इस फैसले को लेकर एक बार फिर से सियासी घमासान शुरू हो सकता है. क्योंकि टीएमसी पहले ही ऐसे आरोप लगा चुकी है.
सीएम ममता बनर्जी ने हाल ही में पश्चिम बंगाल के लिए भेजे गए चुनाव आयोग अधिकारी को लेकर भी सवाल उठाए थे. उन्होंने आरोप लगाया था कि अधिकारी बीजेपी नेताओं के इशारे पर काम कर रहे हैं. लेकिन अब चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद टीएमसी और सीएम ममता बनर्जी एक बार फिर हमलावर हो सकते हैं.
इससे पहले जब बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर पश्चिम बंगाल में हमला हुआ था तो केंद्र ने 3 आईपीएस अधिकारियों को दिल्ली बुला दिया था. केंद्रीय गृहमंत्रालय की तरफ से बंगाल के मुख्य सचिव से तीन आईपीएस अफसरों को 'केंद्रीय डेपुटेशन' के लिए भेजने को कहा था. लेकिन ममता बनर्जी ने ऐसा करने से साफ इनकार कर दिया. टीएमसी नेताओं ने आरोप लगाया था कि बीजेपी सत्ता का दुरुपयोग कर पुलिस अधिकारियों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है.
चुनाव आयोग वोटिंग से पहले कानून व्यवस्था को लेकर चुनावी राज्यों में बदलाव कर सकता है और पुलिस अधिकारियों की तैनाती या उनका ट्रांसफर कर सकता है. लेकिन पश्चिम बंगाल सियासी खेल काफी ज्यादा आक्रामक हो गया है. ऐसे में आयोग के इस फैसले पर भी कोई नया विवाद जरूर खड़ा हो सकता है. हालांकि अब तक टीएमसी की तरफ से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है.
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