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पश्चिम बंगाल चुनाव से पहले जो घटना तृणमूल कांग्रेस (TMC) पर बीजेपी की संभावित बड़ी जीत की तरह देखी जा रही थी, वो घटी ही नहीं. सुवेंदु अधिकारी के साथ चली दो घंटे की बैठक के बाद TMC के कद्दावर नेता सौगता रॉय ने कहा, "सभी मुद्दों को सुलझा लिया गया है." इस बैठक में पार्टी के सांसद सुदीप बंदोपाध्याय, अभिषेक बनर्जी और सियासी रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी मौजूद रहे.
रॉय ने क्विंट को बताया कि नॉर्थ कोलकाता में हुई बैठक 'सफल' रही, जहां उन्होंने 'बातचीत की और सुवेंदु के साथ सभी मुद्दों को सुलझाया.'
अधिकारी ने नंदीग्राम की एक रैली में अभिषेक बनर्जी पर तंज भी कसा था. उन्होंने कहा था:
रॉय ने क्विंट से कहा कि बनर्जी और किशोर के साथ अधिकारी के मतभेदों पर भी 'बैठक में बातचीत हुई और इन सभी मुद्दों का हल हो गया है.'
अधिकारी तृणमूल कांग्रेस के उन नेताओं में से एक हैं, जिनकी जमीनी स्तर पर पकड़ खासी मजबूत है. अधिकारी ने 2007 के गैर-जमीन अधिग्रहण प्रदर्शनों (जिनकी वजह से 2011 में लेफ्ट की सरकार गिरी थी), CPI(M) के गढ़ जगमहल इलाके पर कब्जे, और मालदा और मुर्शिदाबाद में TMC की मौजूदगी बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
जुलाई 2019 में अभिषेक बनर्जी ने सियासी रणनीतिकार प्रशांत किशोर और उनकी कंसल्टेंसी फर्म I-PAC को TMC के 2021 कैंपेन चलाने के लिए राजी करने में अहम भूमिका में रहे थे.
नाम न बताने की शर्त पर एक वरिष्ठ पार्टी नेता ने कहा, "पार्टी अब तीन लोग चलाते हैं- ममता, अभिषेक और PK. इन तीनों में से PK और अभिषेक एक टीम हैं."
हालांकि, सुवेंदु अधिकारी से बातचीत के लिए सौगत रॉय जैसे बड़े नेता को जिम्मेदारी दिया जाना ये दिखाता है कि TMC इस मुद्दे को बड़ा नहीं होने देना चाहती थी.
इस्तीफे से पहले अधिकारी ने नंदीग्राम और रामनगर में दो रैलियां की थीं. नंदीग्राम की रैली में जहां अधिकारी ने अभिषेक पर तंज कसा था, तो वहीं रामनगर में उनकी टोन कुछ नरम पड़ गई थी. इन दो रैलियों के बीच प्रशांत किशोर मिदनापुर में सुवेंदु अधिकारी के घर उनसे मुलाकात करने पहुंचे थे लेकिन किशोर उनके पिता शिशिर अधिकारी से ही मिल पाए. शिशिर TMC के साथ शुरू से जुड़े हुए हैं.
सूत्रों का कहना था कि ये एक तरह का मैसेज था कि कोई भी विद्रोही नेता के समर्थन में न जाए. वहीं, राज्य सरकार ने इसे रूटीन प्रक्रिया बताया.
पार्टी के नजदीकी सूत्रों का कहना है कि TMC अधिकारी को रोकने में कामयाब हो गई है. हालांकि, पार्टी में जारी विवाद अभी भी मौजूद हैं और अधिकारी की पार्टी में उसी पोजीशन और ताकत के साथ वापसी शायद न हो.
लोकल मीडिया ने ये भी रिपोर्ट किया है कि अधिकारी ने मीटिंग के बाद रॉय को एक WhatsApp मेसेज भेज कर अपनी 'असहजता' जाहिर की. मेसेज में लिखा था:
रॉय ने दो घंटे चली बैठक और प्लान ऑफ एक्शन पर और जानकारी देने से इनकार कर दिया है. अब सभी नजरें सुवेंदु अधिकारी पर हैं, जो अभी चुप हैं लेकिन जल्दी ही मीडिया से बात करने वाले हैं.
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