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पश्चिम बंगाल विधानसभा में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित हो गया है. केरल, पंजाब और राजस्थान के बाद बंगाल इस कानून के खिलाफ प्रस्ताव पास करने वाला चौथा राज्य बन गया है. प्रस्ताव को बंगाल की ममता सरकार ने पेश किया था.
इससे पहले राजस्थान विधानसभा में 25 जनवरी और पंजाब विधानसभा में 17 जनवरी को CAA के खिलाफ एक प्रस्ताव पास हुआ था.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस कानून के खिलाफ शुरुआत से ही मुखर हैं. विधानसभा में प्रस्ताव पेश होने पर बनर्जी ने कहा था, "CAA के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन सिर्फ अल्पसंख्यकों के नहीं हैं. ये सबके हैं. इन प्रदर्शनों में आगे बढ़कर हिस्सा लेने के लिए मैं अपने हिंदू भाईयों को शुक्रिया कहती हूं. हम बंगाल में CAA, NPR और NRC को मंजूरी नहीं देंगे. हम शांतिपूर्वक लड़ेंगे."
ममता बनर्जी ने 22 जनवरी को केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) की धाराओं पर स्पष्टीकरण मांगा. ममता ने केंद्र पर इस मुद्दे पर झूठ फैलाने का आरोप लगाया.
दार्जिलिंग में CAA के खिलाफ चार किलोमीटर लंबे विरोध मार्च का नेतृत्व करने के बाद ममता ने एक रैली को संबोधित किया था. बनर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार केवल गैर-बीजेपी शासित राज्यों में CAA को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है.
ममता बनर्जी ने 22 जनवरी को नई दिल्ली में NPR के मुद्दे पर हुई मीटिंग में राज्य सरकारों के शामिल होने पर तंज कसा था. बनर्जी ने कहा, "बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार के डर से नई दिल्ली में एनपीआर के मुद्दे पर हुई मीटिंग में बंगाल को छोड़कर सभी राज्य शामिल हुए."
ममता ने कहा कि बीजेपी ने कोई वादा पूरा नहीं किया है और पार्टी का असली चेहरा सबके सामने आ गया है.
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