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पश्चिम बंगाल में 10 अप्रैल को चुनाव का चौथा चरण पूरा हुआ. चुनाव आयोग के मुताबिक, इस चरण में करीब 76 फीसदी मतदान हुआ है. हालांकि, कूच बिहार में एक पोलिंग बूथ पर झड़प के बाद CISF जवानों ने गोली चलाई, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई. इस घटना पर राजनीति शुरू हो गई है. अब इस मामले में चुनाव आयोग का बयान आया है. आयोग का कहना है कि जवानों ने 'जिंदगियां बचाने और सरकारी संपत्ति की रक्षा' के लिए गोली चलाई थी.
चुनाव आयोग ने स्पेशल ऑब्जर्वर्स की रिपोर्ट के आधार पर सिताल्कुची विधानसभा क्षेत्र के पोलिंग स्टेशन 126 पर वोटिंग को टालने का आदेश दे दिया था. आयोग ने स्पेशल ऑब्जर्वर्स और चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर से डीटेल्ड रिपोर्ट्स भी मांगी थी.
आयोग का कहना है कि गलतफहमी की वजह से केंद्रीय सुरक्षा बलों के साथ स्थानीय लोगों की झड़प हुई थी. आयोग ने कहा, "सुरक्षा बल पोलिंग बूथ के पास एक बीमार लड़के मदद करने की कोशिश कर रहे थे, जब कुछ स्थानीय लोगों को लगा कि CISF बच्चे को पीट रही है."
चुनाव आयोग का कहना है कि इसके बाद करीब 300-350 गांववाले जमा हो गए थे.
चुनाव आयोग ने कहा, "कोई और विकल्प न देखते हुए और अपनी जान, और EVM जैसी सरकारी संपत्ति को बचाने के लिए CISF जवानों ने फायरिंग कर दी."
CISF के प्रवक्ता ने भी एक बयान में कहा है कि 'जवानों ने आत्मरक्षा और चुनाव अधिकारियों की जान बचाने' के लिए गोली चलाई थी.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर में CISF सूत्रों के हवाले से बताया गया कि चुनाव को बाधित करने और बूथ पर कब्जा करने की दो बार कोशिश की गई थी. रिपोर्ट के मुताबिक, दूसरी कोशिश के दौरान CISF जवानों ने हिंसक भीड़ पर गोली चलाई.
चुनाव आयोग ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को पश्चिम बंगाल में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) की 71 अतिरिक्त कंपनियां भेजने का निर्देश दिया है. कूच बिहार की घटना के बाद आयोग ने बचे हुए चार चरणों के लिए सुरक्षा बढ़ाने का फैसला किया है.
राज्य में अभी केंद्रीय बलों की 1000 कपनियां तैनात हैं. अतिरिक्त कंपनियों में से 33 BSF से, 13 ITBP से, 12 CRPF से, 9 SSB से और 4 CISF से आएंगी. CAPF की एक कंपनी में लगभग 85 जवान होते हैं.
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