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“जितने पटाखे जलाने हैं जलाओ, लेकिन शहर से बाहर.”
दिवाली की शाम थोड़ी सी मस्ती और थ्रिल के लिए हम अपने शहरों की आबोहवा को खतरे में डाल देते हैं.
चाहे पूरा देश पटाखों से होने वाले नुकसान और परेशानी को लेकर कितना भी शोर मचा ले पर इन पटाखा-प्रेमियों पर कोई फर्क नहीं पड़ता.
कुछ भी हो, ये पटाखे जला कर ही रहेंगे.
इन लोगों को मैं बहुत अच्छी तरह जानती हूं, क्योंकि हर परिवार की तरह मेरे परिवार में भी ऐसे लोग मौजूद हैं.
तो क्या करें? पटाखों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दें? हुंह! करते रहिए कोशिश.
पर शायद पटाखों का दिवाना भारत इन अमेरिकी शहरों से जरूर कुछ सीख सकता है.
उदाहरण के लिए कोलंबिया (मिसौरी) में पटाखे रखना मारिजुआना रखने से भी बड़ा अपराध है. आप वहां शहर के अंदर पटाखे/आतिशबाजी नहीं रख सकते. यहां तक कि शहर की सीमा में आतिशबाजी करना भी अवैध है.
वाशिंगटन के कुछ काउंटीज में जो पटाखे जलाना चाहते हैं, उन्हें उस पहले फायर सर्विस विभाग से मंजूरी लेनी होती है. हालांकि छोटे पटाखे, जैसे फुलझड़ियाँ और खिलौना बंदूकों को इस प्रतिबंध से छूट दी गई है.
और हां, मकान या फार्म के मालिक की पूर्व लिखित अनुमति के बिना भी आप आतिशबाजी नहीं कर सकते हैं. (उम्मीद है ये सुनकर पटाखों के शोर से परेशान देसी मोहल्लों ने चैन की सांस ली होगी)
वाशिंगटन के पास के एक शहर, रिचलैंड में सार्वजनिक पार्कों में खास मौकों पर पुलिस ऑफिसर्स गश्त लगाते हैं ताकि कोई बगैर अनुमति पटाखे न जला दे.
पकड़े जाने पर 250 डॉलर का जुर्माना देना
होता है, आतिशबाजी जब्त हो जाती है, सो अलग.
पर जिन्हें पटाखों का शौक है, शहर के बाहर की रोशनी उनके लिए है.
स्थानीय जनता के लिए पेशेवरों द्वारा शहर के बाहर आतशबाजी शो कराए जाते है. लोग भी खुद पटाखे जलाने की बजाय इन्हें आतिशबाजी करते देखना पसंद करते हैं. इसके लिए लोग पैसे देकर टिकट खरीदते हैं.
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