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आंध्र प्रदेश क्यों मांग रहा है विशेष राज्य का दर्जा,क्या है फायदा?

आंध्र प्रदेश के अलावा और भी कई राज्यों में विशेष दर्जे के लिए उठ रही मांग

प्रसन्न प्रांजल
भारत
Published:
आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य नहीं मिलने से नाराज टीडीपी बीजेपी से अलग
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आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य नहीं मिलने से नाराज टीडीपी बीजेपी से अलग
(फोटोः क्विंट हिंदी)

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आंध्र प्रदेश में इन दिनों विशेष राज्य का दर्जा की मांग को लेकर राजनीतिक हंगामा है. इसी मुद्दे पर टीडीपी एनडीए से अलग हो गई है. ये इतना बड़ा भावनात्मक मुद्दा बन गया है कि टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने को तैयार बैठीं है. आंध्र प्रदेश की देखा देखी बिहार में फिर से विशेष राज्य के दर्जे की मांग उठने लगी है.

आखिर राज्य विशेष राज्य का दर्जा क्यों चाहते हैं? इससे क्या फायदा है?

(इंफोग्राफः अर्निका काला/क्विंट हिंदी)

क्या है विशेष राज्य का दर्जा?

देश के कई राज्य सामाजिक-आर्थिक वजह से पिछड़े हैं. भौगोलिक बनावट की वजह से कुछ राज्यों में इंडस्ट्री लगाना काफी कठिन होता है. ऐसे राज्यों में बुनियादी ढांचे की कमी होती है. ऐसे में विकास के मामले में ये पिछड़ते चले जाते हैं. इन राज्यों में विकास की सही रफ्तार के लिए केंद्र सरकार की तरफ से विशेष राज्य का दर्जा दिया जाता है. ताकि ये राज्य अन्य राज्यों के साथ चल सके.

किस आधार पर दिया जाता है?

राष्ट्रीय विकास परिषद के मुताबिक, वैसे राज्यों को ये दर्जा दिया जा सकता है, जहां संसाधनों की कमी हो, राज्य में प्रति व्यक्त आय कम हो, राज्य की आमदनी कम हो, जनजातीय आबादी का बड़ा हिस्सा हो, पहाड़ी और दुर्गम इलाके में स्थित हो, कम जनसंख्या घनत्व हो या इंटरनेशनल बॉर्डर के पास स्थित हो.

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क्या फायदा होता है राज्य को?

विशेष राज्य का दर्जा मिलने के बाद केंद्र सरकार की तरफ से मिलने वाले पैकेज में 90 प्रतिशत मदद के रूप में मिलती है, जबकि महज 10 फीसदी रकम ही बतौर कर्ज होती है. बाकी सामान्य राज्यों को महज 30 फीसदी राशि मदद के रूप में मिलती है और 70 फीसदी हिस्सा कर्ज होता है.

विशेष राज्यों को इसके अलावा एक्साइज ड्यूटी, कस्टमी ड्यूटी, कॉरपोरेशन टैक्स, इनकम टैक्स के साथ कई अन्य टैक्सों में भी छूट दी जाती है. ऐसे राज्यों में इंवेस्ट करने वाले इंवेस्टर को भी टैक्स में फायदा मिलता है.

किन-किन राज्यों को मिल चुका है ये दर्जा?

देश के 29 राज्यों में से अब तक 11 राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा मिल चुका है. शुरुआत में 1969 में जब गाडगिल फॉर्मूला के आधार पर विशेष राज्य के दर्जे की शुरुआत हुई थी. उस समय असम, नगालैंड के साथ जम्मू और कश्मीर को ये दर्जा दिया गया था.

बाद में केंद्र सरकार की तरफ से अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड को भी ये दर्जा दे दिया गया.

इन राज्यों में उठ रही है मांग

इस दर्जे को लेकर सबसे तेज मांगे आंध्र प्रदेश में उठ रही है. आंध्र का तर्क है कि तेलंगाना के अलग होने और हैदराबाद को तेलंगाना की राजधानी बनने के बाद इस राज्य को काफी नुकसान हुआ है. इसलिए उसे यह दर्जा चाहिए.

आंध्र के अलावा बिहार में भी काफी समय से विशेष राज्य के दर्जे की मांग की जा रही है. 2005 में सत्ता में आने के बाद से ही वहां की सत्ताधारी पार्टी जेडीयू बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग करती रही है.

ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भी पिछले काफी समय से राज्य को विशेष दर्जा दिलाने की मांग कर रहे हैं. इन सबके अलावा राजस्थान और गोवा से भी विशेष राज्य के दर्जे की मांग उठती रही है.

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