advertisement
अफगानिस्तान जिस स्थिति में आज है, एक लोकतांत्रिक देश के लिए उससे बड़ी कोई त्रासदी नहीं हो सकती. राजधानी काबुल पर तालिबान का कब्जा है और राष्ट्रपति देश छोड़कर भाग गए हैं. आज जिस तालिबान का नाम सभी की जुबान पर है, 10 सवालों के जवाब देकर आपको समझाते हैं तालिबान आखिर है क्या, कैसे बना, किसने बनाया और ये संगठन आखिर इतना खतरनाक क्यों माना जाता है.
तालिबान नाम का मतलब क्या है
तालिबान पश्तो भाषा का शब्द है जिसका मतलब स्टूडेंट होता है. माना जाता है कि पश्तून लोगों का यह आंदोलन सुन्नी इस्लामिक धर्म की शिक्षा देने वाले मदरसों से जुड़े लोगों ने खड़ा किया.
तालिबान किसने शुरू किया ?
शुरुआत मुल्ला मोहम्मद उमर ने पूर्वी पाकिस्तान के कुछ मदरसों से की. शुरुआत में तालिबान शांति और सुरक्षा स्थापित करने का दावा करता था. पर सत्ता आते ही शरिया कानून के आधार पर शासन स्थापित करने की बात कहने लगा और हिंसक होता गया. तालिबान शासन को मान्यता देने वाले देशों में पाकिस्तान, UAE और सउदी अरब का नाम शामिल है.
कैसे चलता है तालिबान का सिस्टम
संगठन का एक मुखिया होता है. उसके तीन डिप्टी लीडर होते हैं. इनकी एक लीडरशिप काउंसिल होती है, जिसे रहबरी शूरा कहते हैं. उसके बाद अलग-अलग विभागों के कमीशन हैं. सभी प्रांतों के लिए अलग-अलग गवर्नर और कमांडर होते हैं.
किनके हाथ है तालिबान की बागडोर?
संगठन की कमान संभालने वाले 5 तालिबानियों की बात करें तो हैबतुल्ला अखुंजादा, जो 2016 से प्रमुख ही संगठन का प्रमुख है. संस्थापक सदस्य अब्दुल गनी बरादर, डिप्टी चीफ मुल्ला मोहम्मद याकूब, डिप्टी चीफ सिराजुद्दीन हक्कानी, वार्ता प्रमुख अब्दुल हकीम हक्कानी संगठन के प्रमुख चेहरे हैं.
तालिबान के पास कितने लड़ाके हैं?
तालिबान के पास 85 हजार से ज्यादा लड़ाके हैं. रहबरी शूरा तालिबानी नेताओं की सबसे बड़ी सलाहकार और निर्णय लेने वाली समिति होती है. इसमें 26 सदस्य होते हैं.
तालिबान के पास कितना पैसा है, ये पैसा आता कहां से है ?
2016 में फोर्ब्स ने अनुमान लगाया था कि तालिबान का सालाना कारोबार 2,968 करोड़ रुपए है. रेडियो फ्री यूरोप द्वारा हासिल नाटो की गोपनीय रिपोर्ट के मुताबिक 2019-20 में तालिबान का सालाना बजट करीब 11 हजार करोड़ रुपए था.
मुख्य जरिया है ड्रग्स, खनन, वसूली, टैक्स, धार्मिक दान, निर्यात और रियल स्टेट. रूस, ईरान, पाकिस्तान और सऊदी अरब जैसे देशों से फंडिंग भी मिलती है.
कैसे ताकतवर बना तालिबान?
नब्बे के दशक की शुरुआत में जब सोवियत संघ अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस बुला रहा था, उसी दौर में तालिबान उभरा. 1980 के शुरुआती दिनों में अफगानिस्तान में कई मुजाहिदीन समूह सेना और सरकार के खिलाफ लड़ रहे थे.1998 तक करीब 90 प्रतिशत अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा था.
तालिबान के प्रमुख हमले?
इतिहास में दर्ज तालिबान के बड़े और वीभत्स हमलों की बात करें तो 2012 में इसने काबुल में कई हमले किए और नैटो के कैंप पर भी धावा बोला. तालिबानी चरमपंथियों ने अक्टूबर, 2012 को मिंगोरा नगर में अपने स्कूल से घर लौट रही मलाला यूसुफ़ज़ई को गोली मार दी. दो साल बाद पेशावर के एक स्कूल पर हमला किया, जिसमें 148 लोग मारे गए.
तालिबान से आम लोग इतने खौफजदा क्यों ? (
पुरुषों के लिए दाढ़ी और महिलाओं के शरीर को ढ़कने वाले बुर्के का इस्तेमाल तालिबानी सत्ता में अनिवार्य किया. टीवी, संगीत और सिनेमा पर पाबंदी लगी. 10 साल और उससे ज्यादा उम्र की लड़कियों के स्कूल जाने पर भी रोक लगाई
तालिबान का बुरा वक्त कब आया?
अलकायदा ने 11 सितंबर, 2001 को न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला किया. तालिबान पर अलकायदा को शरण देने का आरोप लगा. 7 अक्टूबर 2001 से अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान पर हमले शुरू कर दिए. 2013 में तालिबानी प्रमुख मुल्ला उमर की मौत हो गई. उमर की मौत के बाद मुल्ला मंसूर को नया नेता माना जाने लगा लेकिन मई, 2016 में एक अमेरिकी ड्रोन हमले में वह भी मारा गया. उसके बाद से मौलवी हिबतुल्लाह अखुंदजादा तालिबान का मुखिया है.
20 साल अमेरिका तालिबान से लड़ता रहा और अब उसकी सेना जैसे ही अफगानिस्तन से लौटी तालिबान चंद दिनों में अफगानिस्तान पर काबिज हो गया. तालिबान कह रहा है कि वो औरतों को हक देगा, सबको साथ लेकर चलेगा लेकिन इसपर यकीन कर लेना जल्दबाजी साबित हो सकती है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)