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बिल्ली के बच्चे पर जानलेवा एक्‍सपेरिमेंट सिखाने वाली किताब पर बवाल

विवाद के बाद बुक के पब्लिशर ने भारतीय पशु संरक्षण संगठनों से माफी मांगी.

द क्विंट
भारत
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(फोटो: iStock)
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चौथी क्लास की इन्वायरमेंट साइंस की किताब में ‘लिविंग और नाॅन लिविंग' के बीच के अन्तर को समझाने के लिए बिल्ली के बच्चे को मारने की शिक्षा देने वाला एक अध्‍याय सोशल मीडिया में बहस का टाॅपिक बन गया है. इसके बाद पब्लिशर ने इस किताब को बाजार से हटा लिया है.

‘अावर ग्रीन वर्ल्ड: इन्वायरमेंट स्टडीज' नाम की किताब में एक चेप्‍टर है, जिसमें बच्चों को जिंदा और मृत के बीच अंतर समझाने के लिए बिल्ली के बच्चे को मारने के लिए कहा गया है.

चेप्‍टर में बताया गया है, ‘‘लकड़ी के दो डिब्बे लो. एक डिब्बे के ढक्कन में कुछ छेद करो. दोनों डिब्बों में बिल्ली के एक-एक बच्चे को रख दो और ढक्कन बंद कर दो. कुछ समय बाद डिब्बों को खोलो और तुम देखोगे कि जिस डिब्बे के ढक्कन में छेद नहीं था, उसमें बंद बिल्ली का बच्चा मर गया है.’’
(फोटो: Facebook)

पब्लिशर ने मांगी माफी

चेप्‍टर का ये पार्ट पशु संरक्षण के लिए काम करने वाले एक्टिविस्टों और शिक्षा विशेषज्ञों के निशाने पर आ गया. इसके साथ ही बच्चों को पढ़ाए जाने वाले सिलेबस को ठीक ढंग से चेक नहीं किए जाने पर भी सोशल मीडिया में बहस छिड़ गई है.

विवाद के बाद बुक के पब्लिशर पीपी पब्लिकेशन्स ने भारतीय पशु संरक्षण संगठनों से माफी मांगी और उन्हें बताया कि किताब को डिस्ट्रीब्यूटर से वापस ले लिया गया है.

पब्लिशर परवेश गुप्ता ने लेटर में लिखा, ‘‘हमें पता चला है कि हमारी एक बुक में बिल्ली के बच्चे से जुड़े कुछ तथ्यों को ठीक ढंग से पेश नहीं किया गया है. हम इसके लिए माफी मांगते हैं और इसकी निंदा करते हैं.''

यह पहला मामला नहीं

स्कूली सिलेबस में इस तरह की असंवेदनशील बातें शामिल करने की यह कोई पहली घटना नहीं है. इससे पहले पुणे में 12वीं कक्षा की सोशल साइंस की बुक में देश में दहेज पर आधारित एक चैप्टर में कहा गया था, ‘‘अगर कोई लड़की बदसूरत है और दिव्यांग है, तो उसके अभिभावकों को उसके शादी में काफी दिक्कतें आती हैं. ऐसी लड़कियों से शादी करने के लिए लड़के वाले अधिक दहेज की मांग करते हैं. लड़की के परिवार वाले मजबूर होकर उनकी मांग पूरी करते हैं जिससे दहेज प्रथा को बढ़ावा मिलता है.''

(इनपुट भाषा से)

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