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मोसुल में लापता सभी 39 भारतीय मारे गए हैं. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के इस बयान के बाद उनके जीवित रहने की सारी उम्मीदें खत्म हो गई हैं.
लेकिन ये जानना जरूरी है कि जून 2014 को 40 भारतीयों के अगवा होने के बाद क्या हुआ था?
और उनकी मौत के बारे में रहस्य इतने दिनों तक क्यों बना रहा?
करीब चार साल पहले जून 2014 में इराक की राजधानी बगदाद में भारतीय अधिकारियों ने बताया कि उनका 40 भारतीय मजदूरों से संपर्क टूट गया है. इनमें ज्यादातर पंजाब के रहने वाले थे. ये सारे मजदूर मोसुल में सरकारी कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट में काम कर रहे थे.
तब से लेकर अब तक उनके बारे में भारत या इराकी सुरक्षा बलों को कोई सुराग नहीं मिला था. मोसुल और आसपास के इलाके में इस्लामिक स्टेट का कब्जा था जिसकी वजह से वहां से जानकारी नहीं निकल पा रही थी.
पिछले साल जुलाई में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा था कि जब तक सबूत नहीं मिल जाते तब तक किसी को मृत नहीं कहा जा सकता.
बीते दिनों विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मोसुल में लापता 39 भारतीयों के परिवार वालों से मुलाकात की थी. साथ ही उन्होंने मोसुल के बादुश गांव की एक जेल में उन लापता 39 भारतीयों के बंद होने की संभावना भी जताई थी. देखें वीडियो
इराक में हजारों भारतीय काम करते थे लेकिन 2014 में इस्लामिक स्टेट की बर्बर हमले के वक्त इनमें से ज्यादातर ने इराक छोड़ दिया था.
इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) ने 2014 में जब मोसुल में कब्जा किया तो बगदाद के भारतीय अधिकारियों ने बताया कि वहां एक सरकारी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे 40 भारतीयों से उनका संपर्क टूट गया है. इनमें 31 पंजाब के रहने वाले थे.
उसी वक्त आशंका जताई गई थी कि इन भारतीय मजदूरों को आईएस ने किडनैप कर लिया है.
इसके बाद से भारतीय दूतावास और विदेश मंत्रालय लगातार कोशिश कर रहा था कि किसी भी तरह अपहरणकर्ताओं और किडनैप किए गए लोगों से संपर्क हो जाए.
मोसुल पर जब दोबारा इराकी सेनाओं ने कब्जा किया और आईएस की हार हुई तो उम्मीद जगी कि इन लोगों के बारे में पता चल सकेगा.
भारतीय मजदूरों के अपहरण के बाद आईएस ने 55 बांग्लादेशी मजदूरों को छोड़ दिया. इन लोगों के साथ मिलकर एक भारतीय हरजीत मसीह भी आईएस के चंगुल से बच निकलने में कामयाब रहा. देखें वीडियो
महीस ने दावा किया था कि उसे छोड़कर सभी भारतीयों को आईएस आतंकवादियों ने मार डाला है. लेकिन उस वक्त सरकार ने मसीह के दावों पर यकीन नहीं किया. उस वक्त विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा था कि छह दूसरे सूत्र कह रहे हैं कि वो भारतीय अभी भी जिंदा हैं.
जुलाई में स्वराज ने दावा किया था कि विदेश राज्य मंत्री जनरल वी के सिंह को उस वक्त इराक यात्रा के दौरान सूचना मिली थी कि अगवा किए गए भारतीय इराक की बादुश जेल में हैं.
विदेश मंत्री ने खुफिया जानकारी के हवाले से बताया था कि भारतीयों से आईएस खेतों में काम करा रही थी. उनको कब्जे में लेकर बादुश जेल में डाल दिया गया. अंतिम जानकारी यही थी.
इसके बाद जब आईएस और इराकी फौजों के बीच लड़ाई शुरू हुई तो उसमें बदुश जेल पूरी तरह नष्ट हो गया. और उस वक्त इराकी सरकार ने ऐलान किया था कि जेल में कोई भी कैदी नहीं था.
करीब साल भर पहले इराकी विदेश मंत्री अल जाफरी भारत आए थे तो उन्होंने बताया था कि भारतीय जिंदा हैं या मारे गए इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन इराकी सरकार अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही है.
अब विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सभी 39 भारतीय मजदूरों की मौत की पुष्टि कर दी है. इस तरह तीन साल से चली आ रही उम्मीदें खत्म हो गई हैं.
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