advertisement
भारत में कोरोना वायरस के मामलों की तादाद 1 लाख के पार जा चुकी है. दुनियाभर में ये आंकड़ा करीब 50 लाख पहुंच चुका है. कई देशों में इस वायरस की वैक्सीन पर काम चल रहा है. इसके अलावा इलाज के वैकल्पिक साधनों को भी टेस्ट किया जा रहा है. ऐसा ही एक विकल्प है टीबी की वैक्सीन. वैश्विक स्तर पर इस वैक्सीन के प्रभाव की स्टडी की जा रही है. भारत में ICMR भी ऐसी ही एक स्टडी करने जा रहा है.
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की ये स्टडी 10 महीने तक चलेगी. ICMR टीबी की BCG वैक्सीन की COVID-19 से होने वाली मौतों से बचाव की क्षमता को टेस्ट करेगा.
देश में 1948 से शुरू हुई BCG वैक्सीनेशन को ट्यूबरक्युलोसिस (TB) की रोकथाम के लिए इस्तेमाल किया जाता है. BCG का मतलब होता है Bacillus Calmette-Guérin. इसका नाम अल्बर्ट कालमेट और केमिल ग्युरिन के नाम पर पडा है. ये वैक्सीन टीबी मायकोबैक्टीरियम बोविस बैक्टीरिया के एक स्ट्रेन से बनाई जाती है. इस स्ट्रेन का प्रभाव कम कर दिया जाता है.
ICMR की स्टडी में BCG वैक्सीन की 60 साल से ज्यादा उम्र वालों में Covid-19 की वजह से हो रही मौतों को रोकने की क्षमता टेस्ट की जाएगी. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबीक, प्रमुख ICMR वैज्ञानिक सुमन कानूनगो ने कहा कि इसके नतीजे मार्च 2021 तक आ सकते हैं.
'द लांसेट' जर्नल में 30 अप्रैल को BCG वैक्सीन से संबंधित एक आर्टिकल छपा था. इसके लेखकों में से एक WHO के डायरेक्टर जनरल थे. इस आर्टिकल में कहा गया, "BCG वैक्सीन ने SARS-CoV-2 के स्ट्रक्चर जैसे ही कई दूसरे वायरस के संक्रमण का प्रभाव कम किया है." SARS-CoV-2 वायरस से ही Covid-19 होता है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)