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जासूसी कांडः सरकार को WhatsApp का जवाब,कांग्रेस के आरोप,बड़ी बातें

WhatsApp ने कहा- सरकार को सितंबर में भी किया था स्पाइवेयर अटैक से अलर्ट, मंत्रालय ने कहा-अपर्याप्त थी पिछली जानकारी 

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(फोटोः Altered By Quint Hindi)
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वॉट्सऐप जासूसी कांड मामला लगातार बढ़ता ही जा रहा है. वॉट्सऐप ने बीते गुरुवार को खुलासा किया था कि इजराइली स्पाइवेयर ‘पैगेसस’ के जरिए वैश्विक स्तर पर यूजर्स की जासूसी की जा रही है. वॉट्सऐप ने कहा था कि कुल 1400 लोगों की जासूसी की गई है, जिनमें भारत के 14 लोग शामिल हैं.

वॉट्सऐप के इस खुलासे के बाद भारत सरकार ने वॉट्सऐप से सफाई मांगी थी. सरकार ने कंपनी से पूछा था कि उसने करोड़ों भारतीयों की प्राइवेसी की सुरक्षा के लिये क्या कदम उठाये हैं? लेकिन वॉट्सऐप ने जवाब में कहा है कि उसने सरकार को इसी साल पहले मई और फिर सितंबर में सेंध की जानकारी दे दी थी. इस मामले के सामने आने के बाद लोगों की प्राइवेसी को लेकर नए सिरे से बहस छिड़ गयी है. रविवार को कांग्रेस ने भी सरकार पर बड़े आरोप लगाए. पढ़िए इस मामले से जुड़े बड़े अपडेट.

‘सितंबर में भी दी थी सरकार को 121 यूजर्स की प्राइवेसी में सेंध की जानकारी’

वॉट्सऐप ने सरकार के उस दावे पर पलटवार किया है, जिसमें सरकार ने कहा है कि मैसेजिंग प्लेटफॉर्म ने यूजर्स की प्राइवेसी भंग होने की जानकारी नहीं दी थी. कंपनी ने दो दिन पहले मिनिस्ट्री ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी की ओर से जारी किए गए नोटिस के जवाब में कहा है कि उसने मई के अलावा सितंबर की शुरुआत में भी सरकार को एक पत्र भेजा था, जिसमें बताया गया था कि इजरायली स्पायवेयर पैगेसस के जरिए 121 भारतीयों के फोन में सेंध लगाने की कोशिश की गई है.

मिनिस्ट्री ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के नोटिस के जवाब में वॉट्सऐप ने मई और सितंबर में लिखे गए दोनों पत्रों को संलग्न किया है.

सरकार ने कहा- अपर्याप्त थी WhatsApp से मिली जानकारी

न्यूज एजेंसी PTI ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि आईटी मिनिस्ट्री ने दावा किया है कि मैसेजिंग ऐप से पहले मिली जानकारी अपर्याप्त और अधूरी थी.

आईटी मिनिस्ट्री के अधिकारियों ने कहा है कि उन्हें पिछले दिनों वॉट्सऐप से कुछ संदेश मिले थे, लेकिन जो जानकारी पहले आई थी वह अपर्याप्त और अधूरी थी. इसके अलावा कम्यूनिकेशन में कई टेक्निकल शब्द थे.

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WhatsApp ने हैकिंग पर प्रियंका गांधी को भी किया था अलर्ट- कांग्रेस

कांग्रेस ने रविवार को दावा किया कि पार्टी की वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी को भी वॉट्सऐप ने हैकिंग को लेकर अलर्ट किया था. प्रफुल्ल पटेल और ममता बनर्जी को प्राइवेसी में सेंध से संबंधित वॉट्सऐप की ओर से मिले मैसेज से जुड़े सवाल पर कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘मैं बताना चाहता हूं कि प्रियंका गांधी को भी उसी समय वैसा ही मैसेज भेजा गया था.’

सुरजेवाला ने कहा, ‘जिन लोगों के भी फोन हैक हुए, उन्हें वॉट्सऐप की ओर से एक ही जैसे मैसेज आए. इस तरह का एक मैसेज प्रियंका गांधी को भी आया था. इसके अलावा दो अन्य नेताओं को भी इस तरह का मैसेज आया है, जिनमें एक प्रफुल्ल पटेल हैं और दूसरी ममता बनर्जी हैं. ममता बनर्जी ने भी बताया है कि उनका फोन भी हैक किया गया और उनका भी फोन टैप किया गया.’

वॉट्सऐप जासूसी पर इजरायल से सवाल करे सरकारः ओवैसी

AIMIM प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने रविवार को 'वॉट्सऐप जासूसी' विवाद पर केंद्र सरकार पर निशाना साधा. ओवैसी ने मांग करते हुए कहा कि सरकार इजरायल से पूछे कि उसकी टेक्नोलॉजी फर्म भारतीयों की वॉट्सऐप बातचीत पर कैसे नजर रखती है.

हैदराबाद के वकील का भी नंबर हैक

नागरिक अधिकारों पर काम करने वाले हैदराबाद शहर के एक वकील ने भी दावा किया है कि पैगेसस के जरिए उन्हें भी निशाना बनाया गया. वकील बी. रवींद्रनाथ ने बताया कि उन्हें सात अक्टूबर से उनके वॉट्सऐप पर एक अज्ञात अंतरराष्ट्रीय नम्बर से मैसेज मिलने शुरू हुए थे, जिसमें दावा किया गया था कि यह कनाडा स्थित सिटिजंस लैब्स से किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि फोन करने वाले कह रहे थे कि वे हैकिंग पर एक सर्वेक्षण कर रहे हैं, जिसे उन्होंने नजरअंदाज कर दिया.

रवींद्रनाथ ने बताया, ‘‘मैंने सोचा ये (मैसेज) स्पैम या धोखाधड़ी से जुड़े हो सकते हैं. इसके बाद उसी वॉट्सऐप नंबर से वॉट्सऐप कॉल भी आयी. मैंने उसे भी नजरंदाज किया. 29 अक्टूबर को मुझे वॉट्सऐप से एक आधिकारिक संदेश प्राप्त हुआ, जिसमें कहा गया है हो सकता है कि मेरा फोन हैक कर लिया गया हो. मैंने उसे भी नजरअंदाज किया. बाद में जब कंपनी ने एनएसओ ग्रुप के खिलाफ केस दायर किया, मुझे एहसास हुआ कि मेरा फोन हैक कर लिया गया है.’’

बता दें, फेसबुक के मालिकाना हक वाले वॉट्सऐप ने बीते दिनों खुलासा किया कि इजरायल की कंपनी एनएसओ ग्रुप के पैगेसस सॉफ्टवेयर के जरिए करीब 1400 यूजर्स की जासूसी की गई. इनमें भारत के 20 से ज्यादा शिक्षाविद, वकील, दलित कार्यकर्ता और पत्रकार शामिल हैं.

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Published: 03 Nov 2019,07:45 PM IST

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