नए नियमों के मुताबिक कब-कब निकाल सकते हैं EPF के पैसे?

जानिए कब और कितनी रकम आप आपने पीएफ से निकाल सकते हैं

क्‍व‍िंट कंज्यूमर डेस्‍क
भारत
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ईपीएफ यानी इंप्लॉइज प्रोविडेंट फंड या कर्मचारी भविष्य निधि वाकई में बड़े काम की है. छोटी-छोटी बचत से बड़ी रकम कैसे जमा हो जाती है, इसकी बेहतरीन मिसाल है ईपीएफ. उन नौकरीपेशा लोगों के लिए ईपीएफ एक बहुत बड़ा सहारा है, जिन्हें अपनी नौकरी के दौरान समय-समय पर बड़े खर्चों के लिए पैसे की जरूरत पड़ती है. वैसे तो अगर आप ईपीएफ से अपने रिटायरमेंट तक पैसे ना निकालें, तो आपके लिए एक अच्छा-खासा रिटायरमेंट फंड तैयार हो सकता है लेकिन अगर आपको पैसे निकालने की जरूरत आ ही जाए तो फिर हम आपको बता रहे हैं कि आप कब-कब ऐसा कर सकते हैं.

मकान खरीदने के लिए:

हाल ही में आए एक नोटिफिकेशन के बाद ईपीएफ खाताधारकों के लिए घर का सपना पूरा होना थोड़ा और आसान हो गया है. अब ईपीएफ खाते से मकान खरीदने के लिए डाउन पेमेंट और ईएमआई का भुगतान किया जा सकता है, और इसके लिए 90% तक पैसे निकाले जा सकते हैं. हालांकि इसके लिए कुछ शर्तें भी लागू होंगी, जो इस तरह हैं.

1- ये सुविधा उन्हीं सदस्यों को जी जाएगी जिसने कम से कम 3 साल तक ईपीएफ में योगदान किया हो.

2- ये सुविधा किसी भी सदस्य को उसके जीवनकाल में सिर्फ एक बार ही मिल सकेगी.

3- कम से कम 10 सदस्यों वाली हाउसिंग सोसाइटी के सदस्य के रूप में मकान खरीदने या फिर मकान बनवाने और प्लॉट खरीदने के लिए पैसे निकाले जा सकेंगे.

4- सिर्फ वो सदस्य आवेदन कर सकेंगे जिनके खाते में कम से कम 20 हजार रुपये हों। अगर पति-पत्नी दोनों ईपीएफ सदस्य हैं तो दोनों के खातों में मिलाकर कम से कम 20 हजार रुपये होने चाहिए.

बीमारी के इलाज के लिएः

ईपीएफ के खाताधारक अपने एकाउंट से किसी बीमारी के इलाज या विकलांगता से निपटने के उपकरण खरीदने के लिए पैसे निकाल सकते हैं. और, अब उन्हें इसके लिए स्वास्थ्य प्रमाण पत्र देने की जरूरत भी नहीं होगी. इसके लिए श्रम मंत्रालय ने कर्मचारी भविष्य निधि योजना 1952 के सब-सेक्शन 68-जे और 68-एन में संशोधन किया है. अब तक ईपीएफओ खाताधारक अपने या अपने ऊपर आश्रित की बीमारी के इलाज के लिए पैसे निकाल तो सकते थे, लेकिन उन्हें एंप्लॉयर और डॉक्टर का सर्टिफिकेट भी देना होता था. जिन बीमारियों के इलाज या ऑपरेशन के लिए पैसे निकाले जा सकते हैं, उनमें टीबी, कुष्ठ, लकवा, कैंसर और दिल की बीमारी शामिल हैं. इसी तरह शारीरिक रूप से अपंग सदस्य जरूरी उपकरण खरीदने के लिये पैसा निकाल सकते थे, लेकिन इसके लिए उन्हें मेडिकल सर्टिफिकेट की जरूरत पड़ती थी. अब नियमों में संशोधन के बाद किसी भी प्रकार के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं होगी. इस नियम के तहत नीचे दी गई 3 शर्तों के मुताबिक जो सबसे कम रकम होगी, वो मिलती है.

1- खाताधारक के 6 महीने का मूल वेतन और महंगाई भत्ता.

2- ईपीएफ में खाताधारक की हिस्सेदारी और ब्याज.

3- मेडिकल उपकरण की लागत.

एक चीज और, मेडिकल वजहों से पैसे निकालने के लिए कोई सर्विस लिमिट नहीं है. यानी चाहे आपने साल भर काम किया हो या महीने भर, आप पैसे कभी भी निकाल सकते हैं, और कितनी बार भी निकाल सकते हैं.

उच्च शिक्षा के लिए:

आप ईपीएफ से अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए पैसे निकाल सकते हैं, हालांकि वो पढ़ाई कम से कम दसवीं के बाद की होनी चाहिए. आप किसी प्रोफेशनल कोर्स की फीस चुकाने के लिए भी पीएफ एकाउंट से पैसे निकाल सकते हैं. लेकिन इसके लिए आपका पीएफ एकाउंट कम से कम 7 साल पुराना होना चाहिए. साथ ही, आपको शिक्षण संस्थान की तरफ से एक बोनाफाइड सर्टिफिकेट देना होगा, जिसमें कोर्स की फीस का जिक्र भी होना चाहिए. और हां, पीएफ एकाउंट में आपके योगदान का 50% ही आप निकाल सकेंगे.

शादी के लिए:

कर्मचारी भविष्य निधि से आपको ना सिर्फ अपनी शादी के लिए, बल्कि अपने बच्चों या भाई-बहन की शादी के लिए भी पैसे निकालने की छूट मिलती है. इस सुविधा का फायदा आप अपने जीवनकाल में 3 बार ले सकते हैं. हालांकि इसके लिए भी कुछ शर्तें हैं, जो इस तरह हैं: -

1- आपकी सर्विस कम से कम 7 साल की पूरी हो चुकी हो.

2- आपको पीएफ एकाउंट में आपके योगदान का अधिकतम 50% ही निकालने की छूट मिलेगी.

3- आपको आवेदन पत्र में शादी की तारीख और शादी की जगह का पूरा पता बताना होगा. साथ ही शादी का निमंत्रण पत्र भी अपनी अर्जी के साथ लगाना होगा.

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