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वो हंसती है. बहुत ज्यादा.
मैंने उसके मुंह से कभी ‘सशक्तिकरण’ शब्द नहीं सुना. फिर भी उसी ने मुझे इस शब्द के असली मायने समझाए. वो हर भारतीय नारी के लिए एक आदर्श है.
सीमा (ये उसका बदला हुआ नाम है) मेरी करीबी दोस्त है. वो डोर-टू-डोर ब्यूटीशियन सर्विस देती है- कह सकते हैं 'पार्लर ऑन स्कूटर'. तकरीबन 10 साल पहले हमारी इसी के जरिये मुलाकात हुई. रात के 10 बजे वैक्सिंग सेशन के लिए मेरे घर आई थी. चूंकि हम दोनों ‘एंटरप्रेन्योर’ थे, हमारी जल्दी ही एक-दूसरे के साथ बन पड़ी. हम दोनों ही घंटों काम करते थे, वो एक ब्यूटीशियन के तौर पर और मैं एक मीडिया पर्सन के तौर पर.
जल्द ही एक-दूसरे के साथ अच्छी बाॅन्डिंग हो जाने पर मुझे उसकी कहानी पता चली. एक सेशन में एक कहानी; बिना शुरुआत, बीच या अंत के. और जिसे मैंने करीने से पिरो दिया. पढ़िए.
भारत के एक पिछड़े से राज्य के एक गांव में सीमा का जन्म हुआ था.
परिवार को जब उसके फूले पेट को देखकर ये बात पता चली, तो उसे घर से बाहर कर दिया गया. गांव में एक परिवार ने उसे अपने घर में पनाह दी (सीमा का कहना है कि वो कभी समझ नहीं पाई कि उन लोगों ने उस पर ये रहमदिली क्यों दिखाई). उनका घर रेलवे लाइन के एकदम करीब था, और सीमा ने कई बार खुदकशी की कोशिश की. एक बार तो उसे बिल्कुल ऐन मौके पर पटरियों से खींच कर हटाया गया. उसने उस आदमी को खोजने की कोशिश की, जिसने उससे बलात्कार किया था. लेकिन वो तो ना जाने कहां गायब हो गया था.
सीमा दिल्ली चली आई. यहां उसने एक बुटीक में काम किया और बुटीक में कपड़े रंगने वाले एक शख्स के लिए उसने ड्रग्स की स्मगलिंग भी की.
एक उम्रदराज शख्स ने उससे शादी करने की पेशकश कर उसे ‘बचाया’, जिसकी एक बीवी पहले से थी. सीमा ने शादी के लिए सिर्फ एक शर्त रखी कि उसे अपनी पहली बच्ची को साथ लाने की इजाजत होगी. लेकिन उसका शौहर निकाह के बाद बहुत जल्द ही ये वादा भूल गया.
उसकी एक संतान हुई और फिर एक और. अपने बच्चों की खाने और कपड़े की जरूरतें पूरी करने के लिए उसे पति की पहली बीवी से पैसों की भीख मांगनी पड़ती थी. वो जब कभी अपने शौहर को अपनी पहली बेटी के बारे में याद दिलाती तो उसे गालियां पड़तीं. वो अपनी किस्मत पर कभी नहीं रोई. लेकिन वो मुस्लिम औरतों की दकियानूसी जिंदगी के ढर्रे पर हंसती थी, जैसी कि उसकी जिंदगी बन गई थी.
सीमा को सबसे ज्यादा कमतरी का अहसास पैसे मांगने में होता था. एक दिन वो अचानक पड़ोस के पार्लर में पहुंच गई और नौकरी मांगी. उन्होंने उससे कहा कि वो यहां झाड़ू और पोछा का काम कर सकती है. उसके शौहर ने उसकी पिटाई की, क्योंकि उसने नौकरी ढूंढने की ‘हिमाकत’ की थी.
पार्लर में सीमा ने दूसरे स्टाफ को देख-देख कर वैक्सिंग और थ्रेडिंग का काम सीख लिया. सीमा पार्लर आने वाली महिलाओं को अकेले में बताती कि वो उनकी ग्रूमिंग की जरूरतें उनके घर पर ही पूरी कर सकती है और वो भी कम पैसे में. ये उसका एंटरप्रेन्योरशिप का पहला कदम था. धीरे-धीरे उसने अपने क्लाइंट्स का दायरा इतना बढ़ा लिया कि पार्लर में सफाई करने वाली नौकरी छोड़ दी. अब वो अपने शौहर के बराबर कमाने लगी थी.
इन सालों में अपनी जिस बेटी को वो पीछे छोड़ आई थी, वो बड़ी हो गई थी. सीमा जब अपने गांव में वापसी पर उससे मिली तो वो 10 साल की हो चुकी थी. सीमा ये देख हैरान रह गई कि उसकी बेटी को भीड़ के बीच नचाया जा रहा है और लोग उस पर पैसे फेंक रहे हैं.
सीमा ने 1 साल तक पैसे जुटाए और अपने शौहर की धमकी की परवाह किए बिना अपनी बेटी को उसे सौंपने की मांग की. उसने बच्ची को पालने वाले मां-बाप को पैसे देने की पेशकश की. जब इनकार कर दिया गया, तो वो बेटी के स्कूल पहुंची. अपनी बेटी को ले जाने देने के लिए टीचर को घूस दी. टीचर ने पैसा रख लिया, लेकिन फिर अपना इरादा बदल दिया.
रेलवे स्टेशन पहुंचने से पहले उसने बच्ची के लिए नए कपड़े खरीदे और उसके बाल कटाए. जब वे दिल्ली जाने के लिए ट्रेन में बैठे, तो सीमा को पता था कि उसने अपनी ही बेटी को अगवा करने का जुर्म किया है. लेकिन वो खुश थी, क्योंकि वो जानती थी कि उसने वेश्यावृत्ति में धकेले जाने के कहीं ज्यादा बड़े जुर्म से उस मासूम बच्ची को बचा लिया है.
उसके खिलाफ शिकायत दर्ज की गई. लोकल पुलिस ने उसके फोटो के साथ उसके नाम के पोस्टर गांव भर में लगा दिए थे. किसी ने वॉट्सऐप पर वो पोस्टर भेजा, तो सीमा उसे देख खिलखिला उठी.
वो जानती थी कि उसने सही किया है- उसने बदनसीबी से अपना नसीब छीनने की जुर्रत की है.
सीमा को उसके शौहर से कभी मदद नहीं मिली. उसने ‘तलाक’ का पहला चाबुक तब मारा जब वो अपनी पहली बच्ची को अगवा करके ले आई और दूसरा उस दिन जब उसके रात के खाने में देरी हो गई. अपने बच्चों की परवरिश के लिए सीमा को मेरी जैसी क्लाइंट्स के साथ देर तक काम करना पड़ता था. उसके शौहर ने उसे कहा कि अगर वो रात 9 बजे के बाद घर आती है, तो समझ ले कि तीसरा और अंतिम ‘तलाक’ भी बोल दिया गया.
वो उस रात खिलखिलाई नहीं. लेकिन रात के झुरमुटे में आंसुओं के बीच उसके चेहरे पर चैन की एक बड़ी सी मुस्कुराहट आई.
हर कहानी की तरह यहां भी टि्वस्ट है. जिंदादिल एंटरप्रेन्योर (अपना खुद का विजिटिंग कार्ड रखने वाली) अब शेरवानी सीने वाले अपने शौहर से ज्यादा कमा रही थी. ऐसे में अचानक से तलाक हो जाना उसके शौहर के लिए बहुत अच्छी खबर नहीं थी. सीमा ने भी अपने सबसे छोटे बेटे, जिसकी एक आंख स्कूल में लड़ाई में खराब हो गई थी, (जैसा कि मैंने कहा बदनसीबी सीमा की सबसे करीबी सहेली थी) के वास्ते शौहर के ही साथ रहने का फैसला किया. लेकिन शौहर ने जब हलाला का सुझाव दिया तो सीमा का सब्र जवाब दे गया.
सीमा के शौहर ने उसकी तरफ देखा और मौलवी को फीस अदा करने को कहा. आगे का वाक्या मुझे बताते हुए उस लम्हे को याद कर सीमा की आंखों की चमक देखने लायक थी, “मैंने अपने उस नाकारा शौहर की तरफ देखा और कहा, “तलाक आपने दिया”. फिर मैं मौलवी की तरफ पलटी और कहा, “हलाला से आप पैसा कमा रहे हैं, तो आप दोनों एक दूसरे के साथ क्यों नहीं निकाह करके हमबिस्तर हो जाते?”
सीमा ने घर छोड़ दिया, जबकि उस घर पर उसका आधा मालिकाना हक है. उसने घर की किस्तें भरी हैं. अब वो और ज्यादा देर तक काम करती है. उसका ब्यूटी बिजनेस अच्छा चल रहा है. उसने एक नई स्कूटी खरीद ली है और उसके क्लाइंट से अप्वाइंटमेंट की डायरी भरी रहती है. उसकी बेटियां जानती हैं कि सीमा ने बहुत मुश्किल जिंदगी जी है और उसे थोड़ी हमदर्दी-प्यार की जरूरत है- इसीलिए उन्होंने उसका प्रोफाइल Secondnikah.com पर अपलोड कर दिया है.
आप सोच रहे होंगे कि मैं आपको सीमा की कहानी क्यों सुना रही हूं?
जवाब बहुत आसान है, क्योंकि वो मेरी प्रेरणा है. उसकी जिंदगी में बहुत कुछ था, जिस पर वो रोना-धोना कर सकती थी, लेकिन उसने मुस्कुराना चुना और हर मुश्किल को अपने अंदाज में एक मौके में बदल दिया. सही मायने में वो एक एंटरप्रेन्योर है- अकेले शुरुआत की, खुद की स्ट्रेटजी बनाई, अपनी पूंजी खड़ी की और हर जोखिम का सामना किया.
जितने लोगों को मैं जानती हूं, उसकी जिंदगी ज्यादा उलझी और मुश्किल दिखी है. अब तक मैंने जितने लोगों को सुना है, उसकी दिल की गहराई से निकली हंसी सबसे बेबाक है. अगली बार जब आप अपनी जिंदगी पर अफसोस कर रहे हों तो सीमा की कहानी के बारे में सोचिएगा. और आपको खुद पर मुस्कुराने की वजह मिल जाएगी.
(ये स्टोरी पहली बार The Quint पर छपी थी.)
(लड़कियों, वो कौन सी चीज है जो तुम्हें हंसाती है? क्या तुम लड़कियों को लेकर हो रहे भेदभाव पर हंसती हो, पुरुषों के दबदबे वाले समाज पर, महिलाओं को लेकर हो रहे खराब व्यवहार पर या वही घिसी-पिटी 'संस्कारी' सोच पर. इस महिला दिवस पर जुड़िए क्विंट के 'अब नारी हंसेगी' कैंपेन से. खाइए, पीजिए, खिलखिलाइए, मुस्कुराइए, कुल मिलाकर खूब मौज करिए और ऐसी ही हंसती हुई तस्वीरें हमें भेज दीजिए buriladki@thequint.com पर.)
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