advertisement
संसद में सबसे पहली बार नवंबर 2020 में ही आगे मंडराती ऑक्सीजन (Oxygen)की किल्लत पर दी गई चेतावनी को केंद्र सरकार (Central Government)ने नजरअंदाज कर दिया. क्यों?
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पर संसदीय स्टैंडिंग कमेटी ने अपनी रिपोर्ट 'द आउटब्रेक ऑफ पैंडेमिक कोविड-19 एंड इट्स मैनेजमेंट' में कहा की "कमेटी सरकार को यह सलाह देती है कि वह मांग के अनुसार अस्पतालों में ऑक्सीजन सुनिश्चित करने के लिए उसके पर्याप्त उत्पादन को प्रोत्साहित करे".
रिपोर्ट ने इस बात जिक्र है कि 16 अक्टूबर 2020 को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव ने कमेटी को यह सूचना दी थी कि जब सितंबर 2020 के बीच कोविड-19 केस अपने चरम पर था, तब भारत में उत्पादित लगभग 50% ऑक्सीजन का उपयोग कर लिया गया था.
कमेटी की रिपोर्ट जोरदार और स्पष्ट तौर पर चेतावनी दे रही थी कि महामारी के दौरान ऑक्सीजन की मांग बढ़नी है. उसने सरकार को यह भी सुझाव दिया कि वह "सार्वजनिक स्वास्थ्य में निवेश बढ़ाये और देश के अंदर हेल्थकेयर सर्विस और सुविधाओं के विकेंद्रीकरण (हर जगह फैलाने )के लिए जरूरी कदम उठाये.
क्या सरकार या स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 2020 में ऑक्सीजन सप्लाई में बढ़ोतरी को सुनिश्चित करने के लिए कुछ किया?
हां, लेकिन यह सिर्फ कागजी कार्यवाही ज्यादा लगती है.
अक्टूबर 2020 में स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत स्वायत्त बॉडी 'सेंट्रल मेडिकल सर्विस सोसायटी'(CMSS) ने पूरे भारत भर के सार्वजनिक स्वास्थ्य हॉस्पिटलों में 150 PSA ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट लगाने के लिए ऑनलाइन टेंडर जारी किया था. टेंडर के साथ CMSS ने विभिन्न राज्यों में उन 150 हॉस्पिटलों की भी पहचान की थी जहां ये PSA ऑक्सीजन प्लांट लगने थे.
यह जानने के लिए कि उन 150 PSA ऑक्सीजन प्लांट का क्या हुआ, (रिटायर्ड) कमांडर लोकेश बत्रा ने सूचना के अधिकार के तहत RTI याचिका दायर की.याचिका में उन्होंने 150 ऑक्सीजन प्लांट के इंस्टॉलेशन से जुड़ी जानकारी मांगी. उन्होंने यह भी पूछा कि इन प्लांट की फंडिंग कैसे हुई.
ऐसा लगता है कि CMSS के पास साझा करने के लिए कोई जानकारी नहीं थी क्योंकि चेतावनी दिए जाने के बावजूद अक्टूबर 2020 में टेंडर जारी करने के बाद PSA ऑक्सीजन प्लांट की खरीद और इंस्टॉलेशन में तेजी नहीं लाई गई थी.
अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट को इंस्टॉल करने में CMSS के शिथिल रवैये ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान हजारों लोगों की जान ले ली. अगर सरकार ऑक्सीजन की सुचारू आपूर्ति सुनिश्चित करती तो कई लोगों की जान बचाई जा सकती थी.
उसी RTI में (रिटायर्ड) कमांडर बत्रा ने 5 जनवरी 2021 को घोषित पीएम केयर्स फंड के द्वारा 201.58 करोड़ की लागत से लगने वाले 162 PSA ऑक्सीजन प्लांट का स्टेटस भी पूछा था. इन प्लांटों की खरीद और इंस्टॉलेशन की जिम्मेदारी भी CMSS को दी गई थी.
CMSS ने अपने RTI जवाब में सिर्फ पीएम केयर्स फंड के अंतर्गत लग रहे 162 PSA ऑक्सीजन प्लांट के स्टेटस से जुड़ी जानकारियां उपलब्ध कराई है.उसने बताया कि 15 जून तक 162 ऑक्सीजन प्लांट में से 126 प्लांट 32 राज्यों में इंस्टॉल हो चुके हैं जबकि बचे हुए प्लांट्स को जून के अंत तक इंस्टॉल कर दिया जाएगा.
उसने इसकी भी पुष्टि की है कि CMSS को पीएम केयर्स फंड में से 201.58 करोड़ रुपए की प्राप्ति हो चुकी है.
तो अब भी इन सवालों के जवाब मिलने बाकी हैं:
उन 150 ऑक्सीजन प्लांट का क्या हुआ जिसका टेंडर अक्टूबर 2020 में जारी कर दिया गया था?
RTI के जवाब में CMSS ने उन 150 ऑक्सीजन प्लांट से जुड़ी जानकारियां उपलब्ध क्यों नहीं कराई?
सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में सरकार ने अक्टूबर 2020 में जारी 150 PSA ऑक्सीजन प्लांट के टेंडर का कोई जिक्र क्यों नहीं किया?
और सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न-सरकार ने तुरंत कार्यवाही करते हुए ऑक्सीजन प्लांट के इंस्टॉलेशन में तेजी क्यों नहीं लाई जबकि उसे 2020 के मध्य में ही स्टैंडिंग कमेटी द्वारा यह बता दिया गया था कि अस्पतालों में ऑक्सीजन सप्लाई बढ़ाना महत्वपूर्ण है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)