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केरल की बाढ़ में UAE की मदद की पेशकश केंद्र ने क्यों ठुकराई? 

यूएआई की मदद को लेकर केंद्र और केरल के बीच मतभेद 

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हेलीकॉप्टर से बाढ़ के पानी में डूबे केरल के एक इलाके की ली गई तस्वीर 
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हेलीकॉप्टर से बाढ़ के पानी में डूबे केरल के एक इलाके की ली गई तस्वीर 
फोटो : रॉयटर्स

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केरल में आई भारी बाढ़ के बाद संयुक्त अरब अमीरात की 700 करोड़ रुपये की पेशकश को केंद्र सरकार ने ठुकरा दी है. लेकिन केरल के सीएम पी. विजयन का कहना है कि संयुक्त अरब अमीरात कोई दूसरा देश नहीं है. भारत और खास कर केरल के लोगों का इस देश के निर्माण में काफी योगदान रहा है. यूएई ने खुद मदद की पेशकश है और इसे स्वीकार करने में कोई हर्ज नहीं है. जबकि केंद्र सरकार का कहना है कि बाढ़ और दूसरी प्राकृतिक आपदाओं में विदेशी सहायता न लेने की मौजूदा नीति की वजह से संयुक्त अरब अमीरात की मदद मंजूर नहीं की जा सकती.

केंद्र की ओर से संयुक्त अरब अमीरात की ओर से मदद की पेशकश ठुकराने से कुछ ही घंटे पहले पी. विजयन ने कहा था कि केरल के लोगों से संयुक्त अरब अमीरात के खास संबंध हैं और उसे कोई दूसरा देश नहीं माना जा सकता. वहां के शासकों ने कई बार इस बात को कहा है कि संयुक्त अरब अमीरात के निर्माण में भारतीयों खास कर केरल के लोगों का काफी बड़ा हाथ रहा है.

केरल में बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत सामग्री लेने के लिए ऐसी लंबी लाइनें देखी जा सकती हैं. फोटो : रॉयटर्स 

विजयन के रुख का कइयों ने किया समर्थन

विजयन के मुताबिक अबु धाबी के क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयन ने प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी को अपने देश की ओर से 700 करोड़ रुपये की सहायता की पेशकश की थी. हालांकि उनकी ओर से विनम्रतापूर्वक इसे ठुकरा दिया गया.

विजयन के इस रुख का कई नामी-गिरामी लोगों का समर्थन किया है. पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार रहे संजय बारू ने भी कहा है कि संयुक्त अरब अमीरात की मदद स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए.

बुधवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा था कि देश की मौजूदा नीतियों की वजह से सरकार बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं में घरेलू प्रयासों से राहत और बचाव कार्य चलाने को प्रतिबद्ध है. एनआरआई, भारतीय मूल के लोगों और विदेशी फाउंडेशनों से मदद ली जा सकती है लेकिन मौजूदा नीति में प्राकृतिक आपदाओं के दौरान विदेशी सरकारों से मदद लेने पर रोक है.
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मनमोहन सरकार के दौर में सहायता न लेने की बनी थी नीति

2004 में भारत में आई भयंकर सुनामी के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ऐलान किया था कि राहत कार्यों में विदेशी मदद नहीं ली जाएगी. इसके बाद से ही प्राकृतिक आपदाओं में विदेशी मदद मंजूर न करने की नीति लागू हो गई. केरल की बाढ़ में संयुक्त अरब अमीरात की मदद की पेशकश इसी नीति की वजह से ठुकराई गई है. हालांक इसने केंद्र और केरल के बीच मतभेद पैदा कर दिए हैं.

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Published: 23 Aug 2018,04:33 PM IST

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