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आखिर राजेंद्र कुमार को क्यों बचाना चाहते हैं सीएम केजरीवाल?

सीएम केजरीवाल ने सवाल उठाया कि मामला 2007 का है तो पिछली शीला सरकार के खिलाफ क्यों नहीं की गई जांच.

पूनम अग्रवाल
भारत
Updated:
दिल्ली के मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार में फिर एक बार छिड़ गई है जंग. (फोटो: द क्विंट)
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दिल्ली के मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार में फिर एक बार छिड़ गई है जंग. (फोटो: द क्विंट)
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आखिर एक नौकरशाह को लेकर इतना बौखलाए हुए क्यों हैं अरविंद केजरीवाल? क्या उनका यह कहना जल्दबाजी थी कि प्रधानमंत्री ने राजेंद्र की आड़ में उन्हें निशाना बनाया है? या फिर केजरीवाल पूरे मुद्दे को सियासी रंग दे रहे हैं.

आरोप-प्रत्यारोप का दौर मंगलवार को शुरू हुआ, जब केजरीवाल ने सुबह के 10:13 बजे ट्वीट पर कहा कि सीबीआई ने उनके ऑफिस पर छापा मारा है. एक घंटे के अंदर सीबीआई ने सफाई दी कि छापा उनके सेक्रेटरी के ऑफिस पर था, न कि केजरीवाल के.

सीबीआई ने दर्ज किया भ्रष्टाचार का मामला

सीबीआई ने देल्ही डायलॉग बोर्ड के सदस्य सचिव आशीष जोशी की शिकायत पर राजेंद्र कुमार के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत मामला दर्ज किया.

सीबीआई ने साफ किया कि यह मामला राजेंद्र कुमार सहित 6 लोगों के खिलाफ दर्ज किया गया था और इसका मुख्यमंत्री केजरीवाल से कोई लेना-देना नहीं है. सीबीआई ने यह भी बताया कि एक सरकारी कर्मचारी के तौर पर कुमार ने 2007 से 2014 के बीच एक निजी कंपनी को 9.6 करोड़ रुपए के 5 ठेके दिलाने में मदद की.

उन ठेकों का ब्‍योरा कुछ इस प्रकार है:

वर्ष 2009 में दिल्ली ट्रांसको के अध्यक्ष रहते हुए कुमार ने मैनेजमेंट इनफॉर्मेशन सिस्टम विकसित करने का 40.5 लाख रुपए का एक ठेका बिना टेंडर मंगाए एंडेवर सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड को दे दिया. यह ठेका एक पीएसयू आईसीएसआईएल के माध्यम से दिया गया था.

वर्ष 2010 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव के पद पर रहते हुए एक बार फिर 2.43 करोड़ रुपए की कीमत वाला एक ठेका उन्होंने बिना टेंडर मंगाए, आईसीएसआईएल के माध्यम से ही उसी कंपनी को दे दिया.

इसी तरह मई 2012 में व्यापार एवं कर विभाग के कमिश्नर रहते हुए उन्होंने उसी कंपनी को आईसीएसआईएल के जरिए ही 3.66 करोड़ की कीमत का एक सॉफ्टवेयर प्रॉजेक्ट दिलाया. हालांकि यहां टेंडर मंगाए गए थे, पर कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए टेडर की शर्तों से छेड़छाड़ की गई थी.

जुलाई 2013 में जब वे आयकर विभाग में सचिव थे, उन्होंने व्यापार एवं कर विभाग का एक 45.5 लाख का प्रॉजेक्ट बिना कोई टेंडर मंगाए, एंडेवर सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड को दिलाने में मदद की.

फरवरी 2014 में मुख्यमंत्री के मुख्य सचिव के पद पर रहते हुए उन्होंने दिल्ली जल बोर्ड का 2.46 करोड़ का एक प्रॉजेक्ट आईसीएसआईएल को दिलाया. मई में ही यह प्रॉजेक्ट आईसीएसआईएल ने उसी कंपनी, एंडेवर सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड को सौंप दिया. यहां भी टेंडर मंगवाए गए थे, पर नियमों से छेड़छाड़ की गई थी.

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दिल्ली के मुख्यमंत्री के सचिव के दफ्टर में छापे के बारे में पत्रकारों को जानकारी देतीं सीबीआई की प्रवक्ता. (फोटो: द क्विंट)

केस के ब्‍योरे से साफ है कि सिर्फ आखिरी ठेका ही केजरीवाल के मुख्यमंत्री रहते दिया गया था. केजरीवाल के खिलाफ कोई केस नहीं है. सीबीआई ने केजरीवाल के आरोप के विरोध में कड़े शब्दों का प्रयोग किया.

सीबीआई मुख्मंत्री के दफ्तर में छापे से साफ इनकार करती है. झूठा प्रोपगैंडा बनाकर हमारी जांच में बाधा न पहुंचाई जाए. सीबीआई कानून के मुताबिक, भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है.
<b>देवप्रीत सिंह, सीबीआई प्रवक्ता</b>

सीएम केजरीवाल ने पीएम मोदी को कहा ‘मनोरोगी’

छापे का आरोप प्रधानमंत्री पर लगाते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री मोदी को अपने ट्वीट्स में ‘कायर’ ‘मनोरोगी’ करार दिया. केंद्र में सत्तासीन पार्टी बीजेपी ने केजरीवाल से इस पर माफी मांगने को कहा है.

इस पर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने पलटवार करते हुए कहा, “आप अपने किए की माफी मांगें, हम अपने कहे की माफी मांग लेंगे.” उन्होंने बीजेपी पर कांग्रेस की तरह सीबीआई को इस्तेमाल करने का आरोप भी लगाया.

सीबीआई की सफाई को नकारते हुए केजरीवाल ने उसे सफेद झूठ करार दिया. उन्होंने सवाल उठाया कि अगर केस 2007 का है, तो शीला दीक्षित सरकार के खिलाफ जांच क्यों नहीं की गई?

मुख्यमंत्री ने सीबीआई के खिलाफ सीधी लड़ाई छेड़ दी है, जबकि सत्तासीन पार्टी द्वारा इस्तेमाल किए जाने का आरोप झेलती आई सीबीआई का कहना है कि मामले में की जा रही जांच निष्पक्ष है.

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Published: 16 Dec 2015,11:44 AM IST

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