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कालेधन पर ‘अटैक’ करने वाली सरकार अब डिफेंसिव क्यों हो गई है?

काले धन के खिलाफ कार्रवाई के ठोस सबूत नहीं 

दीपक के मंडल
भारत
Published:
स्विस बैंकों मे भारतीयों के बढ़ते डिपोजिट पर पीयूष गोयल और अरुण जेटली के बयानों से सरकार के इरादों पर सवालिया निशान 
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स्विस बैंकों मे भारतीयों के बढ़ते डिपोजिट पर पीयूष गोयल और अरुण जेटली के बयानों से सरकार के इरादों पर सवालिया निशान 
फोटो : द क्विंट 

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स्विस बैंकों में भारतीयों की ओर से ज्यादा पैसा जमा करने की खबरों के बीच वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि ब्लैकमनी रखने वालों के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जाएगा. स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में स्विस बैंकों में भारतीयों का धन 50 फीसदी बढ़ गया है. लेकिन वित्त मंत्री ने कहा कि यह पूरा पैसा काला धन नहीं हो सकता. लेकिन अगर हमें पता चला कि यह पैसा टैक्स चोरी का है तो हम कार्रवाई करेंगे.

लेकिन बड़ा सवाल ये है नोटबंदी, एसआईटी बनाने और पनामा पेपर में सामने आए लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का वादा करने के बावजूद सरकार ये बताने में कामयाब नहीं हो सकी है कि देश या विदेश में भारतीयों का कितना काला धन है और टैक्स चोरी कर काला धन कमाने वालों को खिलाफ क्या कार्रवाई की गई.

पनामा पेपर के नामों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं

काले धन के खिलाफ कार्रवाई का दावा करने वाली सरकार के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि उसने पनामा पेपर में आए नामों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की. इसके अलावा एचएसबीसी की उस सूची में मौजूद 100 लोगों के नामों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं जिनका विदेश में काला धन जमा है. सरकार ने कहा था कि उसने 424 लोगों के खिलाफ जांच की शुरुआती है.

ईडी 49 लोगों के खिलाफ जांच कर रहा था लेकिन अब तक यह नहीं पता चला कि इसका नतीजा क्या निकला.सीबीडीटी ने बताया था कि इस मामले में 792 करोड़ रुपये के स्त्रोत का पता नहीं चला है. लेकिन इसके बाद कार्रवाई पर सरकार ने कोई जानकारी नहीं दी.

कितना काला धन है इसका अब तक कोई आंकड़ा नहीं

काले धन की जांच कर रिपोर्ट सौंपने की जिम्मेदारी जिस एसआईटी पर थी उसने एक आरटीआई जवाब में कहा था कि उसके पास ही इससे संबंधित तीन संस्थानों के अध्ययन की कोई कॉपी नहीं है. एनआईपीएफपी, एनसीएईआर और एनआईएफएम ने देश में काले धन के बारे में स्टडी की है. लेकिन इसकी कोई कॉपी एसआईटी के पास नहीं है.

एनआईपीएफपी ने कहा कि वित्त मंत्रालय के साथ करार के तहत वह रिपोर्ट का खुलासा नहीं कर सकता. एसआईटी के सेंट्रल पब्लिक इन्फॉरमेशन ऑफिसर ने सिर्फ ये बताया कि सुप्रीम कोर्ट में इस बारे में पांच रिपोर्ट जमा कराई गई हैं. इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई कि देश और विदेश में भारतीयों का कितना काला धन जमा है.

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विदेश में काले धन के खिलाफ कार्रवाई पर बेरुखी

विदेश में काले धन के खिलाफ कार्रवाई करने के मामले में मोदी सरकार ने स्विट्जलैंड सरकार से करार किया और इसके तहत जानकारी साल के अंत में या 2019 की शुरुआत में मिलेगी. सरकार स्विट्जरलैंड सरकार से इस समझौते को अपनी बड़ी उपलब्धि करार देती रही है लेकिन अब पीयूष गोयल और अरुण जेटली ने ही 2017 में स्विस बैंकों में भारतीयों के बढ़े हुए धन से जुड़ी रिपोर्ट के बार में कह रहे हैं ये सारा पैसा काला धन नहीं सो सकता. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 में स्विस बैंकों में भारतीयों का धन दोगुना बढ़ा है. ये आंकड़ा चौंकाने वाला है. मोदी सरकार आने के बाद लगातार तीन साल काले धन में कमी आई थी. लेकिन 2016 में नोटबंदी का फैसले के बाद इसमें अचानक बढ़ोतरी हुई.

पीयूष गोयल ने कहा, मुझे पता चला है कि विदेश भेजी हुई रकम में 40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, ऐसा रिजर्व बैंक की योजना के कारण है, जिसे UPA सरकार लाई थी. इसके तहत देश में रहने वाला कोई व्यक्ति 250,000 डॉलर (करीब 1 करोड़ 70 लाख) हर साल बाहर भेज सकता है. जबकि अरुण जेटली ने कहा कि पूरा पैसा काला धन नहीं है.

जो आंकड़े जारी हुए हैं वह 2017 के हैं और नोटबंदी 8 नवंबर, 2016 को लागू हुई थी. इसका मतलब यह है कि नवंबर 2016 और 2017 के बीच सबसे ज्यादा पैसा स्विस बैंक पहुंचा. जबकि पीएम ने नोटबंदी को काले धन के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करार दिया था.

साफ है कि काले धन के खिलाफ आक्रामक रवैया अपनाने वाली सरकार इस मामले में अपनी सफलता का ठोस सबूत पेश नहीं कर पा रही है. इस मामले में सरकार के मंत्रियों के लीपापोती वाले बयान उसकी नीयत पर और सवालिया निशान खड़ा कर रहे हैं.

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