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डीजल और पेट्रोल के दामों में लगातार छठवें दिन की तेजी ने नया शिखर बना दिया है. पेट्रोल पांच साल के शिखर पर है. मुश्किल बात ये है कि दाम अभी घटने के आसार नहीं हैं क्योंकि सरकार टैक्स कम करने को तैयार नहीं और अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड के दाम नीचे आने की संभावना नहीं.
दिल्ली में मंगलवार को यह 73.95 रुपये पर पहुंच गया, इससे पहले राजधानी में साल 2013 के सितंबर में पेट्रोल की कीमत 76.06 रुपये हुई थी मतलब लाइफटाइम रिकॉर्ड से सिर्फ 2 रुपए दूर.
इसी तरह डीजल भी लगातार लाइफटाइम शिखर के नए रिकॉर्ड बना रहा है. दिल्ली में डीजल 64.82 रुपए लीटर के करीब है.
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी मानते हैं कि देश में पेट्रोल-डीजल वाजिब दाम पर मिलना चाहिए. कौन दामों को नीचे लाएगा ?
धर्मेंद्र प्रधान ने दाम कम करने के लिए जीएसटी काउंसिल से अपील की है कि वो पेट्रोल-डीजल के दाम को जीएसटी के दायरे में लाने का फैसला जल्द से जल्द ले.
आपको बता दें जीएसटी काउंसिल में केंद्रीय वित्तमंत्री के अलावा सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्री होते हैं. इस वक्त काउंसिल के अध्यक्ष हैं वित्तमंत्री अरुण जेटली. इस काउंसिल में बीजेपी और एनडीए का बहुमत है क्योंकि ज्यादातर राज्यों में उनकी ही सरकारें हैं.
पेट्रोलियम मंत्री का दोहराया कि क्रूड के दाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तय होते हैं, वहां दाम बढ़े हैं इसलिए असर हो रहा है.
पेट्रोलियम मंत्री की ये दलील सही है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रूड के दाम बढ़ने से देश में पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ रहे हैं. लेकिन 2014 में जून के बाद क्रूड के दाम में जिस रफ्तार से गिरावट आई तब उस तेजी से देश में पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं गिरे क्योंकि मार्केट से जुड़े होने के बाद भी सरकार ने लगातार एक्साइज ड्यूटी में बढ़ोतरी की.
क्रूड के दाम 1 जुलाई 2017 से अब तक 47 परसेंट बढ़े हैं. पर जैसे ही क्रूड के दामों तेजी आनी शुरू हुई भारत में इनके दाम बढ़ने लगे क्योंकि सरकार ने टैक्स नहीं घटाए.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रूड के दाम जब लगातार बढ़ रहे थे तब वित्तमंत्री अरुण जेटली ने नवंबर 2014 से जनवरी 2016 के बीच 9 बार पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई थी. लेकिन जब क्रूड के दाम बढ़े तो लोगों को राहत देने के लिए सिर्फ एक बार पिछले साल अक्टूबर में एक्साइज ड्यूटी 2 रुपए घटाई गई.
इस दौरान सरकार ने लोगों से एक्साइज ड्यूटी की कमाई दोगुनी कर ली. 2014-15 में 99 हजार करोड़ के मुकाबले 2016-17 में 242,000 करोड़ रुपए वसूली हुई.
पेट्रोल और डीजल के दाम कम करने के लिए केंद्र सरकार ने एक्साइज में दो रुपए लीटर कटौती के बाद राज्य सरकारों ने भी वैट घटाने को कहा. लेकिन महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश और हिमाचल प्रदेश ने ही कटौती की बाकी दूसरे राज्यों ने अनदेखी कर दी.
भारत अपनी जरुरत के लिए पूरी तरह इंपोर्ट पर निर्भर है. 2013-14 में भारत जरूरत का 77.3 परसेंट क्रूड इंपोर्ट करता था जो 2016-17 में बढ़कर 81.7 परसेंट हो गया है.
अब क्रूड के दाम बढ़ रहे हैं इसलिए पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने तय हैं. पेट्रोलियम मंत्रालय के एक विभाग पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल के मुताबिक 2017-18 में भारत का क्रूड इंपोर्ट बिल 81 अरब डॉलर रहने का अनुमान है.
वैट के अलावा राज्यों को एक्साइज कलेक्शन की आधी कमाई मिलती है.
पेट्रोल और डीजल के दाम में कमी के फिलहाल आसार नहीं हैं. जानकारों के मुताबिक क्रूड के दाम में अभी और तेजी मुमकिन है. इसके अलावा सरकार की ओर से पेट्रोल और डीजल से एक्साइज ड्यूटी घटाने के फिलहाल संकेत नहीं मिले हैं.
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