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हमारे समाज का एक तबका नहीं चाहता कि 16 दिसंबर 2012 को हुए सामूहिक बलात्कार मामले का दोषी जुवेनाइल आने वाले कुछ दिनों में फिर से आजाद घूमे. लेकिन जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के मुताबिक निर्भया के नाबालिग बलात्कारी की रिहाई 15 दिसंबर को होनी है.
शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी की ओर से नाबालिग बलात्कारी की रिहाई पर रोक लगाने के लिए दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को एक नोटिस जारी किया है. हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर कहा है कि 16 दिसंबर के जुवेनाइल दोषी को तब तक रिहा न किया जाए, जब तक इस बात से आश्वस्त नहीं हो जाते कि वह सुधर गया है.
इस मामले की सुनवाई 14 दिसंबर को की जाएगी, लेकिन अभी भी एक सवाल बाकी है कि आखिर जुवेनाइल अपराधी का क्या होगा?
क्या उसे जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक 15 दिसंबर को रिहा कर दिया जाएगा?
द क्विंट ने इन सवालों का जबाव जानने के लिए जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड की लीगल सेल के वकील आशीष कुमार से बातचीत की.
कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक, जुवेनाइल बलात्कारी की रिहाई पर केवल इसी आधार पर रोक लगाई जा सकती है क्यों कि यह मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है.
गौरतलब है कि आईबी की ओर से दी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि निर्भया कांड का जुवेनाइल बलात्कारी सुधार गृह में साल 2011 में दिल्ली विस्फोट मामले में गिरफ्तार किए गए दूसरे जुवेनाइल अपराधी के साथ रहकर कट्टरपंथी हो गया है.
आईबी की इस रिपोर्ट के बाद सुधार गृहों पर भी सवाल खड़े हो गए हैं कि इन सुधार गृहों में जुवेनाइल दोषियों में सुधार आने के बजाय वह और ज्यादा क्यों बिगड़ रहे हैं.
क्या यह सरकार की विफलता नहीं है कि दोषी राज्य की हिरासत में रहकर भी कट्टरपंथी हो गया?क्या यह उच्च न्यायालय में स्वामी के लिए अपनी याचिका को साबित करने के लिए मुश्किल नहीं होगा?
सुधार गृह भले ही राज्य सरकार के अंर्तगत आता है, लेकिन जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के कानूनों में फेरबदल करने का अधिकार महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के पास होता है.
निर्भया मामले की पृष्ठभूमि में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अगले महीने से देश भर में अलग-अलग सुधार गृहों के प्रमुखों के साथ बात करने के लिए मीटिंग बुलाने की योजना बना रही है.
मंत्रालय से जुड़े सूत्रों की मानें तो सुधार गृह के अधिकारियों का दिल्ली ब्लास्ट के जुवेनाइल अपराधी के साथ निर्भया कांड के दोषी को रखने निर्णय गलत था.
मंत्रालय समय-समय पर जुवेनाइल दोषियों से जुड़ी रिपोर्ट पाने के लिए सुधार गृहों पर गैर सरकारी संगठनों और विशेषज्ञों के जरिए नजर रखने की योजना तैयार कर रही है.
निर्भया कांड के जुवेनाइल अपराधी में सुधार करने में नाकाम रहा सुधार गृह हमारी सरकार की नाकामी पर भी कई सवाल उठाती है.
सोचने वाली बात यह है कि जब सरकार एक बहुप्रचारित मामले के दोषी में सुधार करने में सफल नहीं हो सकी तो अन्य जुवेनाइल दोषियों की हालत क्या होगी?
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