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रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न आरोप लगाने वाली महिला भी Pegasus टारगेट लिस्ट में थी

Supreme Court की एक स्टाफर ने Ranjan Gogoi पर अप्रैल 2019 में आरोप लगाया था

समर्थ ग्रोवर
भारत
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<div class="paragraphs"><p>Supreme Court की स्टाफर ने Ranjan Gogoi पर 2019 में आरोप लगाया था</p></div>
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Supreme Court की स्टाफर ने Ranjan Gogoi पर 2019 में आरोप लगाया था

(फोटो: अरूप मिश्रा/क्विंट)

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पेगासस प्रोजेक्ट (Pegasus Project) में रोज नए खुलासे हो रहे हैं. अब पता चला है कि देश के पूर्व चीफ जस्टिस (CJI) रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाले महिला से जुड़े 11 फोन नंबर भी सर्विलांस के लिए चुने गए थे.

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की एक स्टाफर ने गोगोई पर अप्रैल 2019 में आरोप लगाया था. द वायर का कहना है कि महिला के आरोप लगाने के कुछ दिनों बाद उसके तीन में से दो नंबरों को किसी अज्ञात भारतीय एजेंसी ने सर्विलांस के संभावित टारगेट के तौर पर चुना था. ये एजेंसी पेगासस स्पाइवेयर बनाने वाली इजरायली साइबरसिक्योरिटी कंपनी NSO की क्लाइंट थी.

द वायर की रिपोर्ट कहती है कि महिला का तीसरा फोन नंबर इसके एक हफ्ते बाद संभावित सर्विलांस के लिए चुना गया था.

फ्रांस की संस्था Forbidden stories और एमनेस्टी इंटरनेशनल (Amnesty international) ने मिलकर पेगासस से सर्विलांस की जानकारी जुटाई और फिर दुनिया के कुछ चुनिंदा मीडिया संस्थानों से शेयर की है. इस जांच को 'पेगासस प्रोजेक्ट' (Pegasus Project) नाम दिया गया है.

व्यापक सर्विलांस

दिसंबर 2018 में महिला को जूनियर कोर्ट असिस्टेंट के पद से हटा दिया गया था. ये महिला के उन दावों के कई हफ्तों बाद हुआ था, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने गोगोई के प्रस्तावों को खारिज किया था.

अप्रैल 2019 में महिला के एक हलफनामे में आरोप रिकॉर्ड करने के कुछ दिन बाद ही उन्हें संभावित सर्विलांस के लिए चुना गया था. पेगासस सर्विलांस से जुड़ी लीक हुई लिस्ट में महिला के पति और दो भाइयों के आठ फोन नंबर भी टारगेट किए गए थे.

शिकायतकर्ता और उनके परिवार के 11 फोन नंबरों को संभावित सर्विलांस के लिए चुनना पेगासस प्रोजेक्ट के इंडिया चैप्टर का सबसे बड़ा क्लस्टर है.

हालांकि, महिला या उनके परिजनों के फोन पर फॉरेंसिक एनालिसिस नहीं हो सका है और इसलिए ये नहीं कहा जा सकता कि फोन हैक हुआ था या नहीं.

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'सार्वजनिक महत्व का मामला'

महिला की शिकायत के बाद सुप्रीम कोर्ट की एक स्पेशल बेंच बनाई गई थी, जिसमें तत्कालीन CJI रंजन गोगोई खुद शामिल हुए थे. उनके अलावा जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस संजीव खन्ना भी इसमें शामिल थे. इस बेंच को बनाए जाने के नोटिस में कहा गया था कि 'वो न्यायपालिका की आजादी को छूने वाले सार्वजनिक महत्व के एक मामले को सुनेंगे.'

लेकिन अगर महिला का फोन सर्विलांस पर था तो इसके लिए जिम्मेदार एजेंसी के पास उनकी निजता का उल्लंघन करने और महिला की कानूनी रणनीति जानने की क्षमता थी.

महिला ने अपना सशपथ हलफनामा सुप्रीम कोर्ट के 22 सिटिंग जजों को भेजा था. इसमें उन्होंने दावा किया था कि गोगोई के प्रस्तावों को ठुकराने के बाद उनके पति और दूसरे पारिवारिक सदस्यों को जानबूझकर परेशान किया जा रहा है.

  • महिला के पति और देवर उनके कथित यौन उत्पीड़न के समय दिल्ली पुलिस में काम करते थे. महिला को नौकरी से निकाले जाने के बाद उनके पति और देवर को जनवरी 2019 में निलंबित कर दिया गया था.

  • महिला ने दावा किया था कि गोगोई के प्रस्तावों को ठुकराने के बाद कुछ ही हफ्तों में उनका तीन बार ट्रांसफर किया गया, अनुशासनिक कार्रवाई की गई और फिर नौकरी से निकाल दिया गया.

  • उनके देवर को CJI के विवेकाधीन कोटे से नियुक्ति मिली थी और उसे भी बिना किसी स्पष्टीकरण के ऑफिस से हटा दिया गया.

  • इसके अलावा महिला के खिलाफ मार्च 2019 में रिश्वत का एक केस दर्ज किया गया, जिसमें उन्हें गिरफ्तार कर एक दिन के लिए जेल भेज गया. वो अभी जमानत पर बाहर हैं.

महिला की वकील वृंदा ग्रोवर ने क्विंट को बताया था, "3 मार्च 2019 को किसी नवीन ने केस दर्ज कराया था कि इस महिला ने 2017 में मुझसे कहा था कि वो सुप्रीम कोर्ट में मुझे नौकरी दिलाएगी, तो मैंने उसे 50,000 रुपये दिए थे और दो साल बाद इस व्यक्ति को FIR कराने की याद आई. फिर भी रिश्वत देने वाले पर भी केस होता है."

गोगोई ने सभी आरोपों का खंडन किया था. सुप्रीम कोर्ट की जांच पर महिला के प्रति 'असंवेदनशील' और 'शक जाहिर' करने के आरोप लगे थे. तीन जजों के एक पैनल ने आखिरकार गोगोई को आरोपों से मुक्त कर दिया था.

'बड़ी साजिश'

20 अप्रैल 2019 को एक स्पेशल सिटिंग के दौरान जस्टिस गोगोई खुद अध्यक्षता कर रहे थे और उन्होंने दावा किया कि उनके खुलफ़ आरोप 'एक बड़ी साजिश' का हिस्सा हैं.

गोगोई ने दावा किया था कि न्यायपालिका की आजादी खतरे में है और अगर जजों को इन परिस्थितियों में काम करना होगा, तो 'अच्छे लोग इस पद पर कभी नहीं आएंगे.'

वहीं, शिकायतकर्ता धमकियों और 'संवेदनशीलता के अभाव' में सुनवाई से पीछे हट गई. यौन उत्पीड़न के आरोपों के बावजूद रंजन गोगोई 17 नवंबर 2019 तक चीफ जस्टिस रहे थे.

रिटायरमेंट के छह महीनों के अंदर ही गोगोई को केंद्र सरकार ने राज्यसभा के लिए नामित किया था.

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