Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-20192 साल में 12 हजार से 60 लाख रुपए बना दिए बिहार की इन महिलाओं ने

2 साल में 12 हजार से 60 लाख रुपए बना दिए बिहार की इन महिलाओं ने

72 साल की अविवाहिता बनी बिहार के सारण जिले में रहने वाली इन महिलाओं के लिए उम्मीद की एक ‘ज्योति’

द क्विंट
भारत
Published:
बिहार के सारण जिले में रहने वाली 72 वर्षीया ज्योति समाजसेविका हैं. (फोटो: IANS)
i
बिहार के सारण जिले में रहने वाली 72 वर्षीया ज्योति समाजसेविका हैं. (फोटो: IANS)
null

advertisement

कहते हैं कि अगर जिद और जज्बा हो, तो कामयाबी किसी उम्र की मोहताज नहीं होती. बिहार के सारण जिले में रहने वाली 72 वर्षीया ज्योति ने इसे साबित कर दिया है.

ज्योति की जिद थी कि महिलाएं किसी की मोहताज न रहें, वे घर से निकलें और उनका अपना रोजगार हो. बुजुर्ग अविवाहिता ज्योति की इसी जिद ने न केवल इस क्षेत्र की 3,000 से ज्यादा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि सारण जिले के गांव-गांव तक शिक्षा व महिला सशक्तिकरण की ‘ज्योति’ को पहुंचाया.

केरल की रहने वाली समाजसेविका ज्योति करीब 20 साल पहले सारण आईं थीं और यहां की महिलाओं का दर्द देख यहीं की होकर रह गईं.

ज्योति का ज्वलंत वर्क मॉडल

ज्योति ने कहा कि जब प्रारंभ में वे यहां आईं थीं, तब उन्हें यहां की भाषा का ज्ञान भी नहीं था, लेकिन धीरे-धीरे स्थिति बदल गई. महिलाओं के बीच ‘सिस्टर ज्योति’ के नाम से वो प्रचलित हैं और ज्योति के प्रति यहां की महिलाएं निष्ठावान हैं.

ज्योति की पहल पर महिलाओं ने 150 समूह बनाए और युवाओं ने 30 समूह तैयार किए, जो आज खेती के अलावा मोमबत्ती, डिटरजेंट और दवा बनाने का काम कर रहे हैं.

बाद में 72 महिला स्वयं सहायता समूहों ने मिलकर एक ‘एकता सहकारी समिति बैंक’ बनाया, जो कर्ज में जी रही महिलाओं के लिए मददगार साबित हुआ.

कई बदलाव आए हैं महिलाओं के जीवन में

  • कई महिलाएं जो कल तक घर की चौखट से बाहर नहीं आती थीं, वे आज खेतों में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं.
  • करीब 80 गांवों में महिलाएं खुद रोजगार करती हैं.
  • 3,000 महिलाएं आज न केवल आत्मनिर्भर बन चुकी हैं, बल्कि खुद से मोमबत्ती, सर्फ व दवा बनाकर अपने परिवार का आधार स्तंभ बनी हैं.
  • इन समूहों की सभी महिलाएं साक्षर हैं.
  • बैंक में महिलाओं ने मिलकर 60 लाख की पूंजी जमा कर ली है.
  • जमा पूंजी से महिलाएं ऋण के तौर पर पैसा लेकर निर्धन महिलाएं पट्टे पर जमीन लेकर खेती कर रही हैं और पापड़ बनाने का काम कर रही हैं.

अपने काम पर भरोसे ने किया मजबूत

समाजसेवा के क्षेत्र में कई अंतरराष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार जीत चुकीं ज्योति ने कहा कि ‘एकता सहकारी समिति बैंक’ में शुरू में 12 हजार ही पूंजी इकट्ठा की गई थी, जो दो साल में मेहनत और लगन से 60 लाख रुपए तक पहुंच गई है.

ज्योति ने बताया कि मन में विश्वास और लगन हो तो कोई भी काम छोटा नहीं होता. शुरू में लोगों की समझ थी कि इस काम के पीछे उनका भी कोई लाभ होगा. लेकिन जैसे-जैसे बात लोगों के जेहन में बैठती गई, वैसे-वैसे लोग आत्मनिर्भर बनते चले गए और सरकारी मदद से ज्यादा खुद के काम पर भरोसा करने लगे.

(इनपुट: IANS)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT