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नए संसद भवन (New Parliament) में पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला आरक्षण बिल (Women's Reservation Bill) लाने का ऐलान किया. फिर, केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने महिलाओं को आरक्षण देने वाले 'नारी शक्ति वंदन बिल' को लोकसभा में पेश किया. अगर, ये बिल कानून में बदलती है तो लोकसभा और देशभर की विधानसभाओं में 33 फीसदी सीट महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी. ऐसे में चलिए इस बिल से जुड़े हर सवाल का जवाब जानते हैं?
'नारी शक्ति वंदन' बिल में क्या है?
केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने बिल के बारे में सदन में पेश करते समय बताया कि
239 (AA) के माध्यम से 33 फीसदी सीटें नेशनल कैपिटल टेरेटरी ऑफ दिल्ली के लिए महिलाओं के लिए रिजर्व होगी. यानी, मौजूदा हालात में अगर दिल्ली विधानसभा की बात करें तो 70 में से 23 सीटें महिलाओं के लिए रहेंगी.
330 (A) के माध्यम से रिजर्वेशन ऑफ सीट फॉर SC-ST के लिए संसद में महिलाओं के लिए जो प्रावधान पहले से था, उसी में 33 फीसदी आरक्षण होगा.
332 (A) के जरिए राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण का प्रावधान है.
334 (A) में एक नया क्लॉज जोड़ा जाएगा, जिसमें महिलाओं के आरक्षण की अवधि 15 साल होगी और इसको आगे बढ़ाने का अधिकार संसद का होगा. 15 साल बाद महिलाओं को आरक्षण देने के लिए फिर से बिल लाना होगा.
बिल लागू होने के बाद महिलाओं को कितनी सीटें मिलेंगी?
वर्तमान में लोकसभा में कुल 543 सीटें हैं और 82 महिला सदस्य हैं. अगर महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण मिलता है तो लोकसभा की कुल सीटों में से महिलाओं के लिए 181 सीटें रिजर्व हो जाएंगी. यानी 181 सीटों पर सिर्फ महिलाओं का प्रतिनिधित्व होगा.
महिला आरक्षण बिल में एससी-एसटी वर्ग की महिलाओं के लिए क्या प्रावधान है?
इस बिल के अनुसार, एससी-एसटी महिलाओं को अलग से आरक्षण नहीं मिलेगा. आरक्षण की ये व्यवस्था आरक्षण के भीतर ही की गई है. यानी, लोकसभा और विधानसभाओं में जितनी सीटें एससी-एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं, उन्हीं में से 33% सीटें महिलाओं के लिए होंगी.
इस समय लोकसभा में 84 सीटें एससी और 47 सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं, यानी कुल 131 सीटें SC-ST के लिए आरक्षित हैं. अब बिल के कानून बनने के बाद 131 SC-ST सीटों में से 44 सीटें SC-ST महिलाओं के लिए रिजर्व होंगी.
मतलब अभी के हिसाब से अगर देखें तो 181 सीटें जो महिलाओं के लिए रिजर्व होंगी, उसमें से 44 सीटें SC-ST महिलाओं के लिए होंगी.
इसमें ओबीसी महिलाओं के लिए क्या है?
लोकसभा में ओबीसी वर्ग (OBC) के लिए आरक्षण की व्यवस्था नहीं है. एससी-एसटी की 131 आरक्षित सीटों को हटा देने के बाद लोकसभा में 412 सीटें बचती हैं. जिनपर ओबीसी से लेकर जनरल और तमाम कैटेगरी के उम्मीदवार चुनाव लड़ते हैं.
नए बिल को देखें तो इस हिसाब से 137 सीटें सामान्य और ओबीसी वर्ग की महिलाओं के लिए होंगी लेकिन जो सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित नहीं हैं, वहां से भी वो चुनाव लड़ सकती हैं, इसपर कोई रोक नहीं है.
क्या महिलाओं को राज्यसभा में आरक्षण मिलेगा?
नहीं, महिलाओं को राज्यसभा में आरक्षण नहीं मिलेगा. ये बिल लागू हुआ तो सिर्फ लोकसभा और विधानसभा में महिला आरक्षण का प्रावधान होगा.
महिला आरक्षण बिल कब से लागू होगा?
विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि इस बिल पर सरकार भ्रम फैला रही है. क्योंकि ये बिल 2024 के लोकसभा चुनाव में लागू नहीं होंगे.
कांग्रेस का आरोप है यह बिल जनगणना के बाद ही लागू होगा. 2021 में ही जनगणना होनी थी, जोकि आज तक नहीं हो पाई. आगे यह जनगणना कब होगी इसकी भी कोई जानकारी नहीं है. बिल के अनुसार महिला आरक्षण के पहले जनगणना और फिर डिलिमिटेशन होना अनिवार्य है - मतलब 2029 से पहले ये संभव ही नहीं है.
इसी तरह की बात समाजवादी पार्टी के सासंद रामगोपाल यादव ने भी उठाई है, उन्होंने कहा, "ये बिल 2029 से पहले लागू नहीं होगा. हम तो इसका समर्थन कर रहे हैं. मैं जानता हूं सदन में जो बहुमत प्राप्त लोग हैं वे एंटी-OBC हैं. वे OBC महिलाओं को आरक्षण नहीं देंगे."
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