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लॉकडाउन में देश के अलग-अलग हिस्सों में फंसे मजदूरों का घर वापस भेजने का काम शुरू हो गया है. बता दें कि कुछ दिन पहले ही केंद्रीय गृहमंत्रालय ने प्रवासी मजदूरों, छात्रों और बाहर से आए टूरिस्ट्स की वापसी की इजाजत दी थी. हालांकि ये वापसी कुछ शर्तों के साथ होगी.
कोरोना वायरस के चलते देशभर में पिछले एक महीने से लॉकडाउन है. इस लॉकडाउन में हजारों प्रवासी मजदूर और अलग-अलग राज्यों के छात्र फंसे हुए हैं. जिनकी वापसी को लेकर काफी घमासान मचा हुआ था.
झारखंड एक ऐसा राज्य है, जहां से लाखों की संख्या में कामगार अन्य राज्यों में आते हैं. यहां के करीब 5 लाख से भी ज्यादा प्रवासी मजदूर आज वापसी के लिए तैयार बैठे हैं. हाल ही में झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने पीएम मोदी को लेटर लिखकर इन सभी प्रवासियों की वापसी को लेकर निर्देश जारी करने की मांग की थी.
इस बीच नागपुर में कई प्रवासी मजदूर पैदल ही अपने गांव की तरफ जाते दिखे, एक मजदूर ने बताया कि हैदराबाद से चार दिन से चलकर आ रहे हैं. 15 दिन से फोन कर रहे हैं, फोन पर कह रहे हैं 'जहां हो वहीं रहो, नहीं तो अपनी व्यवस्था से चले आओ. आप लोगों का कुछ नहीं हो सकता.
बता दें कि लॉकडाउन के ऐलान के बाद ही सैकड़ों मजदूर पैदल ही अपने घरों के निकल पड़े. इस वजह से कई मजदूरों ने अपनी जान भी गंवा दी है. मीडिया में लगातार ऐसी खबरें आ रही थीं कि मजदूर अलग-अलग राज्यों में फंसे और अपने घर जाने की मांग कर रहे हैं.
देश के कुछ राज्य ऐसे हैं, जहां से रोजगार के लिए लाखों की संख्या में लोग शहरों में आते हैं. लेकिन लॉकडाउन के चलते उनमें से ज्यादातर लोगों के पास फिलहाल कोई काम नहीं है. खासतौर पर वो लोग जो कामगार हैं और दिहाड़ी मजदूरी कर अपना पेट पालते हैं. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या राज्य लाखों की वापसी के लिए तैयार हैं? अगर वापसी हो भी जाती है तो फिर उन लोगों को रोजगार देने, उनके लिए स्वास्थ्य सुविधाएं, कोरोना की चांज जैसी चीजें एक साथ कैसे हो पाएंगी?
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार अब तक हजारों प्रवासी मजदूरों और सैकड़ों छात्रों को राज्य में वापस ला चुकी है. लेकिन सीएम योगी ने साफ निर्देश दिए हैं कि ये वापसी अलग-अलग चरणों में होगी. दूसरे राज्यों से लाए गए लोगों को 14 दिन तक क्वॉरंटीन में रखा जा रहा है.
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