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रामदुलारी मध्य प्रदेश की रहने वाली गरीब परिवार की साधारण सी लड़की है. इनकी पढ़ाई मात्र हाई स्कूल तक है. ये 'इंटरनेट साथी' प्रोग्राम से 2017 में जुड़ी. इससे पहले इनको मोबाइल चलाना भी नहीं आता था.
साथी बताती है कि इंटरनेट के नाम से उन्हें बहुत डर लगता था. वो कंप्यूटर को इंटरनेट समझती थी. साथ ही इंग्लिश को लेकर भी उसके मन में डर था, क्योंकि इंटरनेट में सभी चीजें और जानकारी इंग्लिश में हुआ करती है, ऐसा उसने सुन रखा था.
जब साथी इंटरनेट साथी प्रोग्राम से जुड़ी, तो उसने सबसे पहले सवाल किया, ''क्या मैं इसमें हिंदी से लिख सकती हूं?'' ये सवाल बहुत अच्छा था. प्रशिक्षण में उपस्थित सभी महिलाओं का हौसला बढ़ाया और सभी ने वहीं से फोन में भाषा बदलकर स्मार्टफोन और इंटरनेट के बारे में सीखा.
साथी ने गूगल वॉयस सर्च के माध्यम से भी बहुत से अनोखे प्रयोग किए. जैसे- भजन संगीत सर्च करना, खाना बनाने की नयी रेसिपी, ट्रेन का पता करना, सरकारी योजनाओं के बारे में पता लगाना आदि.
इंटरनेट साथी प्रोग्राम में इनको 4 गांव मिले थे. उन गांव में महिलाओं को टेक्नोलॉजी की जानकारी देने थी और इंटरनेट की जानकारी देनी थी. रामदुलारी को शुरू में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा. समाज के कुछ लोगों ने इनका साथ दिया. कुछ लोगों ने इनके इस काम को लेकर बुराइयां निकालीं, पर रामदुलारी ने हार नहीं मानी और 4 गांवों की महिलाओं को स्मार्टफोन चलाना सिखाया.
रामदुलारी ने इंटरनेट प्रोग्राम से जुड़कर महिलाओं को जागरूक तो किया ही, साथ ही मध्य प्रदेश आजीविका मिशन के तहत चल रहे महिलाओं के समूह बनाए और आज रामदुलारी 12 गांव का समूह देखती है.
ये सब इंटरनेट साथी प्रोग्राम के कारण संभव हो पाया है. गांव की महिलाएं आज अपने बलबूते पर अपना व्यापार चला रही हैं. रामदुलारी जो काम ऑफलाइन करती थी, अब ग्रुप का सारा काम ऑनलाइन करती है. महिलाएं फोन पे, भीम ऐप social site जैसे Facebook, WhatsApp आदि चलाती हैं. रामदुलारी के गांव में 60% महिला स्मार्टफोन का इस्तेमाल करती हैं, जिससे समाज की मानसिकता बदली और पुरुष वर्ग ने महिलाओं को सपोर्ट किया!
(BOL कैंपन के तहत ये लेख हमें भेजा गया है. इसमें लिखे विचारों से क्विंट का सहमत होना जरूरी नहीं है.)
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