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साक्षी मलिक, विनेश फोगट और बजरंग पुनिया ने घोषणा की थी कि वे मंगलवार को हरिद्वार (Haridwar) में अपने पदक गंगा नदी (Medals in Ganges) में फेंक देंगे. ऐसा करने वह हरिद्वार पहुंच भी गए थे, लेकिन किसान नेता राकेश टिकैत और नरेश टिकैत ने पहलवानों को मेडल गंगा में बहाने से रोक दिया. यह पहलवान WFI के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, जिनपर के महिला पहलवानों ने यौन शोषण का आरोप लगाया है.
इसको लेकर सियासत भी तेज हो गई है. कांग्रेस नेताओं समेत विपक्ष के अन्य नेताओं ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.
हरियाणा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने अपील जारी कर पदक विजेताओं से ऐसा नहीं करने का अनुरोध किया है, कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने एक ट्वीट में पदक विजेताओं से अपील की कि वे अपने पदक गंगा नदी में न फेंके.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस घटना पर अपना रिएक्शन देते हुए कहा कि, "पूरा देश स्तब्ध है, पूरे देश की आखों में आंसू है. अब तो प्रधान मंत्री जी को अपना अहंकार छोड़ देना चाहिए."
नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि, "जिस तरह से पुलिस ने इनके (पहलवानों) साथ किया..वो गलत है. मैं समझता हूं कि इसकी तरफ प्रधानमंत्री को देखना चाहिए और जिस सांसद ने ये किया है उसके खिलाफ FIR दर्ज किया जाए और उसे सजा दी जाए."
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने इसपर अपना रिएक्शन देते हुए कहा कि, "यह बहुत दुख की बात है कि ये ऐसे खिलाड़ी जिन्होंने देश का मान बढ़ाया, वे देश के लिए कई प्रतिष्ठित पदक लेकर आए, उन्होंने देश की सेवा की, आज वे हार रहे हैं. प्रधानमंत्री ने खुद उन्हें देश के नायक के रूप में सम्मान किया और अब उनके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया जा रहा है, यह देखकर दुख होता है. मैं सरकार के इस रवैये को नहीं समझ पा रहा. इसके पीछे की राजनीति हो रही है."
अनुभवी क्रिकेटर अनिल कुंबले ने भी प्रदर्शन कर रहे पहलवानों का समर्थन किया. उन्होंने कहा, "28 मई को हमारे पहलवानों के साथ हाथापाई के बारे में सुनकर निराशा हुई. उचित बातचीत के जरिए कुछ भी हल किया जा सकता है. जल्द से जल्द समाधान की उम्मीद है."
पूर्व बीजेपी नेता यशवंत सिंहा ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, "पहलवानों से पंगा लेना मोदी को भरी पड़ेगा."
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