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जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक (Yasin Malik) को अदालत ने टेरर फंडिंग के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई है. कोर्ट ने मलिक को दो मामलों में उम्रकैद और 5 अन्य मामलों में 10 साल कैद की सजा सुनाई है. साथ ही कोर्ट ने यासीन मलिक पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. आइए जानते हैं कि कोर्ट ने किन मामलों में यासीन मलिक को सजा सुनाई है. साथ ही ये भी जानते हैं कि वह किन किन घटनाओं में शामिल रहा है.
बता दें, यासीन मलिक ने NIA कोर्ट में अपना जुर्म कबूल किया था और यह भी कहा था कि वह सजा को चुनौती नहीं देगा.
दरअसल, 2017 में यासीन मलिक के खिलाफ NIA ने टेरर फंडिंग का मामला दर्ज किया था. इसके बाद से पटियाला कोर्ट में इस मामले की लगातार सुनवाई हो रही थी. NIA ने बताया था कि देश में आतंकी घटनाओं को बढ़ावा देने के लिए यासीन मलिक के पास पाकिस्तान समेत दुनिया के कई देशों से पैसा आता था. उन पैसों के जरिए देश में कई बड़ी आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया.
NIA ने कोर्ट में कहा था कि लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों ने कश्मीर और देश में बड़े पैमाने पर हमले किए थे. NIA ने यासीन पर लगे एक-एक आरोपों के लिए सबूत पेश किए. जिसके बाद कोर्ट में यासीन मलिक ने अपने ऊपर लगे आरोपों को कबूल भी लिया था. उसने कहा था कि वह इसे चुनौती नहीं देगा.
यासीन मलिक ने 80 के दशक में ताला पार्टी बनाई. इसके बाद घाटी में कई आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया. एक इंटरव्यू में मलिक ने दावा किया था कि कश्मीर में सेना का जुल्म देखकर उसने हथियार उठाए हैं. 13 अक्टूबर साल 1983 को कश्मीर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में भारत और वेस्ट इंडीज के बीच क्रिकेट मैच चल रहा था. लंच ब्रेक के दौरान 10-12 लड़के अचानक मैदान में पहुंच गए और पिच खराब करने लगे. इस वारदात को 'ताला पार्टी' के कार्यकर्ताओं ने ही अंजाम दिया था.
साल 1986 में मलिक ने 'ताला पार्टी' का नाम बदलकर 'इस्लामिक स्टूडेंट्स लीग यानी ISL' कर दिया. इसमें वह केवल कश्मीर के युवाओं को शामिल करता था. इसका मकसद कश्मीर को भारत से अलग करना था. ISL में अशफाक मजीद वानी, जावेद मीर और अब्दुल हमीद शेख जैसे आतंकी शामिल थे, जिन्होंने कश्मीर में कई आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया.
साल 1987 में विधानसभा चुनाव हुए. इस चुनाव में अलगाववादी नेताओं ने मिलकर नया गठबंधन किया. इसमें जमात-ए-इस्लामी और इत्तेहादुल-उल-मुसलमीन जैसी पार्टियां साथ आईं और मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट (MUF) बनाया.
8 दिसंबर साल 1989 को देश के तत्कालीन गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद का अपहरण हो गया. इस अपहरण कांड का मास्टरमाइंड अशफाक वानी था. कहा जाता है कि यह कांड यासीन मलिक के इशारे पर ही हुआ था. इसमें शामिल सारे आतंकवादी JKLF से ही जुड़े थे.
साल 1990 में कश्मीर में वायुसेना के जवानों पर आतंकी हमला हुआ था. मलिक पर आरोप है कि उसने अन्य आतंकियों के साथ मिलकर एयरपोर्ट जाने के लिए बस का इंतजार कर रहे वायुसेना के जवानों पर अचानक गोली चलाई थी, जिसमें कम से कम 40 जवान घायल हुए थे, जबकि 4 जवान शहीद हो गए थे.
NIA के मुताबिक मलिक ने हुर्रियत नेताओं के साथ मिलकर 'जॉइंट रजिस्टैंस लीडरशिप' बनाया था, जिसके तहत उसने लोगों को विरोध प्रदर्शन करने, हड़ताल करने, शटडाउन और रोड ब्लॉक करने के लिए भड़काया करता था. वह कश्मीर घाटी में शांति भंग करने का हर प्रयास करता था और इसके लिए फंडिंग भी करवाता था.
यासीन मलिक पर UAPA के तहत कई मामले दर्ज
धारा 16- आतंकवादी गतिविधि
धारा 17- आतंकवादी गतिवधि के लिए धन जुटाना
धारा 18- आतंकवादी कृत्य की साजिश रचना
धारा 20- आतंकवादी समूह या संगठन का सदस्य होना
भारतीय दंड संहिता के तहत मामले
धारा 120-B- आपराधिक साजिश
धारा 124-A- देशद्रोह
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