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नरसिंहानंद पर गुंडा ऐक्ट लगाना क्यों बेहतर विकल्प नहीं, यहां समझिए

गाजियाबाद पुलिस यति नरसिंहानंद पर गुंडा ऐक्ट लगाने पर विचार कर रही है.

पीयूष राय
भारत
Published:
नरसिंहानंद सरस्वती
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नरसिंहानंद सरस्वती
(फोटो: स्क्रीनग्रैब)

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गलत वजहों से अकसर सुर्खियों में रहने वाले गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर के पुजारी यति नरसिंहानंद (Yati Narsinghanand) गुंडा ऐक्ट लगाए जाने की खबरो के बाद प्रशासन से काफी नाराज हैं. नरसिंहानंद की स्थानीय प्रशासन के साथ नोक-झोंक के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. इन वीडियो में वो गाजियाबाद के अधिकारियों के सामने ग्रामीण एसपी ईरज राजा और अन्य पुलिसकर्मियों के बारे में टिप्पणी करते दिख रहे हैं.

गुंडा ऐक्ट लगाने पर अभी नहीं हुआ फैसलाः सूत्र

एक वीडियो में नरसिंहानंद सांप्रदायिक बयानबाजी करते दिख रहे हैं. नाम नहीं उजागर करने की शर्त पर एक गाजियाबाद के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकरी ने क्विंट से कहा, ''नरसिंहानंद के खिलाफ गुंडा ऐक्ट लगाने की संभावना पर विभाग विचार कर रहा है, लेकिन इसपर फिलहाल कोई फैसला नहीं हुआ है.''

गौर करने वाली बात है कि गाजियाबाद पुलिस ने यति नरसिंहानंद और डासना देवी मंदिर को सुरक्षा दे रखी है. नरसिंहानंद का आरोप है कि अब पुलिस उनकी सुरक्षा हटाने के लिए दबाव बना रही है. उनका कहना है कि पुलिस सुरक्षा में हर महीने 30 लाख रुपये खर्च होने का दावा कर रही है.

गुंडा ऐक्ट लगाने से होगा कितना फायदा?

प्रक्रिया के अनुसार स्थानीय सब डिविजनल मजिस्ट्रेट और सर्किल ऑफिसर गुंडा ऐक्ट लगाने को लेकर एसएसपी को रिपोर्ट भेजते हैं. एसएसपी इस रिपोर्ट की समीक्षा करके इसे डीएम के पास भेजता है, कुछ मामलों में इसे एडीएम के पास भी भेजा जाता है. इसके बाद आरोपी को 6 महीने के लिए जिलाबदर किया जा सकता है.

अब इसमें पेंच ये है कि गुंडा ऐक्ट ऐसे अपराधियों के लिए ठीक है, जिनका अपराध खास इलाके या जिले तक सीमित है. ऐसे में जब उन्हें जिलाबदर किया जाता है तो आमतौर पर उस इलाके में अपराध में कमी आ जाती है. लेकिन नरसिंहानंद के मामले पर एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा, ''चुनाव वाले साल में कानून व्यवस्था से जुड़े मुद्दे से इस तरह निपटना सही नहीं रहेगा.''

''सजा दिलाना हो सकता है ज्यादा बेहतर विकल्प''

आईपीएस अधिकारी ने आगे कहा कि इस मामले में इस बात की संभावना काफी कम है कि नरसिंहानंद को जिलाबदर किए जाने के बाद भी उसकी हरकतों में कमी आए, खासकर सोशल मीडिया की वजह से जो काम वो गाजियबाद से कर रहा. वही काम किसी और जिले से भी कर सकता है.
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उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नरसिंहानंद के खिलाफ जो आपराधिक मामले हैं, उनमें उसे सजा दिलाना ज्यादा मजबूत विकल्प है, हालांकि इसमें कुछ समय लग सकता है. अगर मामले में अच्छी तरह से जांच कर उसे सजा दिलाई जाए तो उसके जैसे लोगों के लिए यह एक मिसाल बन सकता है.

यति नरसिंहनंद के खिलाफ 12 केस दर्ज

गाजियाबाद पुलिस के रिकॉर्ड के अनुसार उसके खिलाफ दिल्ली-एनसीआर में कम से कम 12 केस दर्ज है. इनमें से ज्यादातर मामले भड़काऊ बायनबाजी और सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने से जुड़े हैं.

इसी महीने की शुरुआत में डासना देवी मंदिर में प्रवेश करने वाले एक मुस्लिम बच्चे को मंदिर के लोगों ने पकड़कर पुलिस को सौंप दिया था. उस वक्त नरसिंहानंद ने आरोप लगाया था कि उनपर हमले के लिए बच्चा रेकी करने आया था. बाद में पुलिस ने कहा था कि बच्चा रास्ता भटक कर मंदिर परिसर में पहुंच गया था, उसके पास से कुछ आपत्तिजनक नहीं मिला है.

अगस्त में नरसिंहानंद के खिलाफ राजनीति में आईं महिलाओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में केस दर्ज हुआ था. राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा पर आपत्तिजनक टिप्पणी के आरोप में भी नरसिंहानंद के खिलाफ केस दर्ज हुआ था.

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