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यूपी की योगी सरकार जेवर एयरपोर्ट को मंजूरी देने के बाद अब इस प्रोजेक्ट को जल्द से जल्द पूरा करना चाहती है. प्रदेश सरकार ने एयरपोर्ट के लिए मोदी सरकार से सपोर्ट मांगा है. उधर मोदी सरकार ने भी यूपी को भरोसा दिलाया है कि जेवर एयरपोर्ट के लिए तय मानकों के हिसाब से तकनीकी संभावनाओं को परखने का काम जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा.
यूपी सरकार ने सिविल एविएशन मिनिस्ट्री को पत्र लिखकर जेवर एयरपोर्ट प्रोजेक्ट के लिए प्रस्तावित जगह का तकनीकी मूल्यांकन कराने की अपील की है.
जयंत सिन्हा ने जानकारी देते हुए बताया कि यूपी की मौजूदा सरकार ने केंद्र से जेवर में नए सिरे से हवाई अड्डे की तकनीकी संभावनाएं तलाशने की अपील की है. उन्होंने बताया कि अखिलेश सरकार के दौरान भी लोकेशन को लेकर संभावनाएं तलाशी गई थीं. हालांकि, बाद में बदलती परिस्थितियों के चलते यह टलता रहा. सिन्हा के मुताबिक, अब इस तकनीकी मूल्यांकन को जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा.
नियमों के मुताबिक, एक एयरपोर्ट से 150 किलोमीटर की हवाई दूरी के बीच नया एयरपोर्ट नहीं बनाया जा सकता है. हालांकि विशेष परिस्थितियों में इसमें रियायत दी जा सकती है. दिल्ली एयरपोर्ट की मौजूदा क्षमता 6.2 करोड़ यात्रियों की है. हर साल करीब 5 करोड़ यात्री इसका इस्तेमाल करते हैं.
साल 2017 के अंत तक इस क्षमता में करीब दस फीसदी की बढ़ोतरी करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके बाद हर घंटे 72-73 विमानों की आवाजाही संभव होगी.
इसके लिए कई विकल्पों पर विचार किया जा रहा है, टर्मिनल 3 और टर्मिनल 1 की क्षमता का विस्तार, टर्मिनल 2 का इस्तेमाल शुरू करना और बाद में टर्मिनल 2 बंद कर एक नया टर्मिनल 4 बनाना. सिन्हा ने ये भी बताया कि टर्मिनल 1डी से टर्मिनल 2 पर एयरलाइन को ले जाने पर भी फैसला जल्द हो जाएगा.
जेवर एयरपोर्ट बनने से नोएडा से 150 किलोमीटर के दायरे में बसे ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, बुलंदशहर, आगरा, मथुरा, बरेली, मुजफ्फरनगर, शामली, सहारनपुर, बागपत, हाथरस और अलीगढ़ जैसे कई शहरों को सीधा फायदा होगा. इन जिलों के अलावा यूपी-हरियाणा के कई दूसरे जिलों के लिए भी जेवर एयरपोर्ट दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट के विकल्प के तौर पर उभरेगा. इस एयरपोर्ट के बनने से आसपास के कारोबारियों को न सिर्फ कार्गो की सुविधा मिलेगी, बल्कि बाकी लोगों को भी रोजगार मिलने की उम्मीद जगी है.
एयरपोर्ट बनने से जेवर के साथ साथ आसपास के इलाकों में विकास के रास्ते खुलेंगे. साथ ही 150 किलोमीटर के दायरे में बसे शहरों के लिए यह उड़ान का दरवाजा साबित होगा.
इन क्षेत्रों में रहने वाले कारोबारियों और सामान्य लोगों का मानना है कि कि जेवर एयरपोर्ट दिल्ली के ट्रैफिक से मुक्ति दिला देगा. लोगों का मानना है कि यह एयरपोर्ट पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए वरदान साबित होगा. इस इलाके के लोगों को दिल्ली एयरपोर्ट तक पहुंचने में भारी ट्रैफिक की वजह से कम से कम दो से तीन घंटे लगते हैं, लेकिन जेवर एयरपोर्ट के शुरू होने से इस समय की बचत होगी.
जेवर एयरपोर्ट नागरिक उड्डयन के साथ-साथ मालवाहक सेवाएं भी देगा. ऐसे में दिल्ली एयरपोर्ट पर लोगों की निर्भरता कम होगी. यहां एयरपोर्ट के आसपास मल्टी लॉजेस्टिक हब भी डेवलेप होगा, जिससे बड़ी संख्या में रोजगार तैयार होंगे.
दिल्ली-एनसीआर के अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड तक के उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा. कारोबारियों को देश-विदेश से सामान मंगाने-भेजने में आसानी होगी. इससे न सिर्फ उद्योगों की लागत घटेगी, बल्कि कम समय में सामान पहुंच सकेगा.
यह एयरपोर्ट पूरे देश का व्यापारिक केंद्र बन जाएगा. दरअसल, यह दादरी से शुरू होने वाले दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल रेल कॉरिडोर और अमृतसर से कोलकाता तक बन रहे रेलवे फ्रंट कॉरिडोर के खुर्जा लॉजिस्टिक हब के नजदीक है. एयरपोर्ट और रेल ट्रांसपोर्ट आपस में जुड़ जाएंगे.
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