advertisement
यूपी में पढ़ना है तो गुरु गोरखनाथ के बारे भी रटना होगा. उत्तर प्रदेश में क्लास छठी से आठवीं तक के पाठ्यक्रम में भारी बदलाव कर दिया गया है. अब महान व्यक्तित्वों में नाथ संप्रदाय की स्थापना करने वाले गोरखनाथ को भी शामिल किया गया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसी संप्रदाय की पीठ के महंत भी हैं.
सरकारी इमारतों को भगवा रंगने के बाद अब पाठ्यक्रम की बारी है. इस साल से नैतिक शिक्षा और महापुरुषों की नई किताबों में कई ऐसे लोगों को शामिल किया गया है जिनका रिश्ता गोरखनाथ पीठ से रहा है.
जरा देखिए उत्तर प्रदेश स्कूल बोर्ड की क्लास 6,7 और 8 के सिलेबस में किए गए इन बड़े बदलावों को जो विवाद बढ़ाने का रेडीमेड न्यौता हैं.
दोनों नाथ संप्रदाय से जुड़े रहे हैं. बाबा गोरखनाथ के गुरू मच्छेंद्रनाथ ने नाथ संप्रदाय की स्थापना की और बाबा गोरखनाथ के वक्त उसका दायरा काफी बढ़ा. जीवनी के मुताबिक बाबा गोरखनाथ ने शुरुआती दिनों में नेपाल में अपना डेरा जमाया और गोरखा शहर पर उनका नाम पड़ा.
धर्म से जुड़ी शख्सियतों को स्कूल के कोर्स में शामिल किए जाने का विरोध शुरू हो गया है. शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों का भी मानना है स्कूली शिक्षा में राजनीतिक विचारधारा नहीं ठूंसना चाहिए. लखनऊ के विद्यांत कॉलेज के प्रोफेसर मनीष हिंदवी के मुताबिक ये फैसला अपरिपक्वता का उदाहरण है.
उत्तर प्रदेश में प्रतीकों की राजनीति लंबे समय से हो रही है. मायावती मुख्यमंत्री थीं तो उन्होंने कई जिलों के नाम दलित महापुरुषों के नाम पर कर दिए.
उनके बाद जब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने लखनऊ में साइकिल ट्रैक बनवा दिया और हर जगह साइकिल की तस्वीर चिपका दी.
अब मामला बेजान इमारतों और वाहनों से नई पीढ़ी के विचारों के रंग बदलने पर आ गया है. लेकिन खतरा यही है कि कहीं बच्चों का कोर्स राजनीतिक विचार थोपने का अखाड़ा ना बन जाए.
सत्ता बदलने पर कोर्स बदलेंगे तो हर पांच साल में बच्चों का पाठ्यक्रम भी बदलने का सिलसिला शुरू हो सकता है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)