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अलीगढ़ मर्डर में 32 घंटे का इंतजार, CM मानहानि में गजब की रफ्तार!

अलीगढ़ में ढाई साल की बच्ची के मर्डर और हमीरपुर में मासूम से गैंगरेप में पुलिस ने क्यों नहीं दिखाई तेजी?

संतोष कुमार
भारत
Published:
यूपी पुलिस की प्राथमिकता क्या है, सीएम का मान या नागरिकों की जान?
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यूपी पुलिस की प्राथमिकता क्या है, सीएम का मान या नागरिकों की जान?
(फोटो: अलटर्ड बाई क्विंट)

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2 जून को अलीगढ़ में मासूम बच्ची की निर्मम हत्या. 8 जून को यूपी के हमीरपुर में 10 साल की बच्ची से गैंगरेप और हत्या. 8 जून को ही यूपी के कुशीनगर में नाबालिग के साथ गैंगरेप. इस बीच यूपी पुलिस सुर्खियों में है क्योंकि उसने सीएम की कथित मानहानि के मामले में गजब की तेजी दिखाई. एक पुलिस वाला सीएम से 'बेअदबी' को लेकर इतना दुखी हो गया कि उसने खुद पत्रकार के खिलाफ मामला दर्ज करा दिया. इधर मामला दर्ज हुआ नहीं कि लखनऊ से पुलिस दिल्ली दौड़ पड़ी. पत्रकार को उठा ले गई. लेकिन अलीगढ़ और हमीरपुर में बच्चियों पर जुल्म के मामलों में पुलिस की सुस्ती देख ताज्जुब होता है. इस बीच यूपी के एक मंत्री ने रेप के मामलों पर आपत्तिजनक बयान दे दिया है.

अलीगढ़ मर्डर केस में 32 घंटे बैठी रही पुलिस

अलीगढ़ में जिस मासूम बच्ची की बर्बरता से हत्या हुई, उसके घरवालों का कहना है कि 30 मई को जब बच्ची गायब हुई थी, तभी वो पुलिस के पास गए थे लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया. एक्शन लेने से पहले पुलिस 32 घंटे इंतजार करती रही. बच्ची के घरवाले बता रहे हैं कि पुलिस वालों ने उनसे कहा कि बच्ची आसपास किसी के घर में गई होगी, लौट आएगी. लेकिन बच्ची नहीं लौटी. 2 जून को बच्ची की लाश मिली. हाथ कटा हुआ. पैर, सीने और नाक की हड्डियां टूटी हुईं.

पुलिस दावा करती है कि उसने बच्ची की तलाशी के लिए हर घर की तलाशी ली थी. तो फिर क्या उसके पास इसका जवाब है कि उसने बच्ची के घर से महज 100 मीटर दूर आरोपियों के घर की तलाशी क्यों नहीं ली थी?

बच्ची के घरवाले बता रहे हैं कि आरोपियों से दो दिन पहले ही पैसों को लेकर उनकी कहासुनी हुई थी. फिर सीएम के मामले में स्वत: संज्ञान लेने वाले पुलिस महकमे ने आरोपियों पर शक करने का ‘सामान्य ज्ञान’ क्यों नहीं दिखाया?

एक महिला ने सीएम योगी आदित्यनाथ से प्रेम संबंध का दावा किया. पत्रकार प्रशांत कनौजिया ने इसी को लेकर फेसबुक पर पोस्ट डाली. यूपी पुलिस ने इसके बाद खुद ही मामला दर्ज कर कनौजिया को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया. महिला के दावे पर डिबेट कराने के लिए एक चैनल के पत्रकारों को भी गिरफ्तार किया गया.
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को लेकर आपत्तिजनक पोस्ट डालने के आरोप में गिरफ्तार पत्रकार प्रशांत कनौजिया(फोटो : ANI)
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हमीरपुर गैंगरेप में यूपी पुलिस की सुस्ती

यूपी में पुलिस से अपराधियों को कितना डर लगता है, इसका नमूना देखिए. हमीरपुर में अपराधी एक घर में घुसते हैं. 10 साल की एक बच्ची को घर से उठा कर गांव से बाहर ले जाते हैं. उसके साथ गैंगरेप करते हैं और फिर उसकी हत्या कर देते हैं. योगी की कथित मानहानि के मामले में बिजली की फुर्ती दिखाने वाली पुलिस इस मामले में अभी तक आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर पाई है.

मंत्री के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेगी पुलिस?

हमीरपुर में हुए बच्ची के गैंगरेप और हत्या पर पूछे गए सवाल पर यूपी के वन राज्यमंत्री उपेंद्र तिवारी ने एक बेहुदा बयान दिया है. तिवारी ने जो कहा है उसका कुल मिलाकर मतलब ये है कि नाबालिगों के साथ रेप की शिकायतें तो समझ सकते हैं लेकिन शादी-शुदा और बालिग लड़कियों के साथ रेप की शिकायतें गलत होती हैं.

रेप का नेचर होता है. किसी नाबालिग के साथ रेप हुआ है तो उसे गंभीर मानेंगे. लेकिन कोई विवाहित महिला है, उम्र 30-35 साल है, फिर भी सुनने में आता है कि इनके साथ रेप हुआ. कोई बालिग है. 7-8 साल से प्रेम प्रसंग चल रहा है, आज आती है कि सात साल से हमारे साथ ये हो रहा है, तो बात तो सात साल पहले उठ जानी चाहिए थी.
उपेंद्र तिवारी, वन राज्यमंत्री, यूपी
सीएम योगी के मानहानि मामले में पत्रकारों की गिरफ्तारी का विरोध करने के लिए जारी एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया का लेटर

सवाल ये है कि रेप के नेचर पर ज्ञान की गंगा बहा रहे मंत्री ने क्या तमाम महिलाओं की मानहानि नहीं की है? क्या ये उन महिलाओं के साथ के साथ नाइंसाफी नहीं है जो बड़ी हिम्मत कर अपने साथ हुई ज्यादती की शिकायत करने सामने आती है. एक व्यक्ति की कथित मानहानि पर गजब की तेजी दिखाने वाली यूपी पुलिस क्या हजारों महिलाओं की बेइज्जती करने वाले मंत्री के खिलाफ मानहानि का केस करेगी, स्वत: संज्ञान लेते हुए? इस बीच एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और तमाम बड़े पत्रकारों की गिरफ्तारी को गलत बताया है. प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने विरोध में मार्च निकालने का भी ऐलान किया है.

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