advertisement
22 सितंबर बुधवार को खबर आई कि जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइज लिमिटेट (ZEEL) का सोनी पिक्चर के साथ विलय होने जा रहा है. हालांकि इस मर्जर को जी कंपनी ने इन-प्रिंसपल मर्जर का नाम दिया. आसान भाषा में इसका मतलब ऐसे भी समझा जा सकता है कि यह मर्जर रद्द भी किया जा सकता है अगर डील में किसी भी तरह की समस्या पैदा होती है.
खैर इस खबर के बाद से ही जी के शेयर्स में अचानक से उछाल देखा गया है. यानि मार्केट को यह मर्जर रास आ गया है. लेकिन कुछ दिनों पहले जी में हिस्सेदारी रखने वाली कंपनी इन्वेस्को द्वारा खड़े किए गए विवाद के चलते शेयर्स में अब गिरावट भी देखने को मिल रही है.
अब सुभाष चंद्रा ने ये आरोप क्यों लगाया? सोनी और जी को सबसे बड़ा मर्जर क्यों बताया जा रहा है? इस मर्जर से जी और सोनी को किस तरह का फायदा होने वाला है? और इन्वेस्को ने आखिर क्या अड़ंगा लगा दिया है.
अगर सोनी पिक्चर्स और जी का विलय हो जाता है तो उसके बाद जो कंपनी बनेगी उसमें सोनी 1.575 अरब डॉलर का निवेश करेगी. नई कंपनी में जी एंटरटेनमेंट के शेयर होल्डर की हिस्सेदारी 47.07% होगी और सोनी पिक्चर्स की 52.93% हिस्सेदारी रहेगी. इसी के तहत सोनी ने पुनीत गोयनका को एमडी और सीईओ बने रहने की भी घोषणा कर दी है.
अब अगर इन दोनों का विलय हो जाता है तो भारत के एंटरटेनमेंट क्षेत्र में यह सबसे ज्यादा देखी जाने वाली कंपनी बन जाएगी.
जी का अच्छा खासा शेयर एंटरटेनमेंट में तो है लेकिन स्पोर्ट्स के नाम पर जी के पास कुछ नहीं है. वहीं सोनी एंटरटेनमेंट के मामले में जी से पीछे है लेकिन स्पोर्ट्स में सोनी के पास चैनल हैं और सोनी एक ग्लोबल चैनल भी है.
जी एंटरटेनमेंट में इन्वेस्को कंपनी की कुल 18 फीसदी की हिस्सेदारी है. इन्वेस्को ही वो इन्वेस्टर है जिसकी वजह से जी एंटरटेनमेंट में विवाद शुरू हो गया.
अब इस घटना के बाद ही जी ने सोनी के साथ अपने विलय की घोषणा कर दी. समझौते के अनुसार पुनीत गोयनका ही नई कंपनी के एमडी बने रहेंगे.
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि अगर शेयर होल्डर ने सोनी और जी की डील को मंजूरी दी तब तो सब ठीक है लेकिन अगर वो इन्वेस्को के निर्णय के साथ जाते हैं तो पुनीत गोयनका को हटना पड़ेगा और सोनी-जी की डील भी खत्म हो जाएगी. हालांकि नए इंडिपेंडेंट डायरेक्टर चाहें तो इस डील को वापस जिंदा कर सकेंगे.
मामला कोर्ट तक पहुंचने की कहानी ये है कि इन्वेस्को ने पुनीत गोयना को हटाने के लिए और नए इंडिपेंडेंट डायरेक्टर को नियुक्त करने के लिए जी एंटरटेनमेंट से एक्स्ट्राऑर्डिनरी जनरल मीटिंग (EGM) बुलाने को कहा था.
जी ने इसके बाद बोर्ड मीटिंग की और कहा कि वह एक्स्ट्राऑर्डिनरी जनरल मीटिंग (EGM) नहीं बुलाएगी. इन्वेस्को ने फिर इस मामले को NCLT में दर्ज कराया और NCLT ने दो दिन में जी एंटरटेनमेंट से जवाब मांगा था. इस मामले में 4 अक्टूबर को NCLT में सुनवाई भी हुई थी.
कई एक्सपर्ट ने इन्वेस्को की मंशा पर सवाल उठाए हैं. फिलहाल मामला कोर्ट में है और शेयर होल्डर को तय करना है कि वह किस समझौते को अपना समर्थन देते हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)