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एक पिज्जा की कीमत एक महिला को लाखों रुपये गंवाकर चुकानी पड़ी. ऑनलाइन फूड डिलिवरी ऐप जोमैटो पर खराब पिज्जा की शिकायत करना महिला को भारी पड़ा और उनके खाते से लाखों रुपये साफ हो गए.
उत्तर प्रदेश के नोएडा की रहने वाली श्वेता को ऑनलाइन फ्रॉड का सामना करना पड़ा है. श्वेता ने जोमैटो से पिज्जा ऑर्डर किया. उन्हें जो पिज्जा मिला, वो खराब था. उन्होंने जोमाटो के कस्टमर केयर से बात करने की कोशिश की, लेकिन ये उनपर भारी पड़ा.
श्वेता बताती हैं,
श्वेता बताती हैं कि जब वो बात कर रही थीं, तो कस्टमर केयर कर्मचारी बन कर बात कर धोखेबाजों ने उन्हें एक लिंक पर क्लिक करने को कहा, जिससे उन्हें अपने ऑर्डर के बदले रिफंड मिलता.
क्विंट से बात करते हुए श्वेता ने बताया कि शुरुआत में उन्हें लगा था कि उनका UPI अकाउंट हैक हो गया. श्वेता ने पेटीएम के जरिए पिज्जा के लिए पेमेंट किया था. इसलिए उन्होंने पेटीएम से संपर्क किया तो उन्हें पता चला कि जिस नंबर पर उन्होंने कस्टमर केयर समझकर बात की थी, वो जोमैटो से जुड़ा ही नहीं है.
श्वेता बताती हैं कि जब उन्होंने बैंक से बात की तो उन्हें बताया गया कि 8-9 अकाउंटों में ये रकम जमा हुई. ये सारे अकाउंट ब्लॉक कर दिए गए. बैंक ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि मामले की पूरी जांच होने के बाद उन्हें उनकी पूरी रकम वापस मिल जाएगी.
गूगल सर्च करने पर पता चलता है कि इस ऐप का कोई आधिकारिक कस्टमर केयर नंबर नहीं है. खुद जोमैटो ने इसका जिक्र किया है कि उनका कोई कस्टमर केयर नंबर नहीं है और न ही वो अपने कस्टमर से UPI आईडी या किसी भी तरह की कोई संवेदनशील जानकारी मांगते हैं.
हालांकि जोमैटो से जुड़ने के लिए एक IVR (Interactive Voice Response) नंबर (1800-****) जरूर है, जो कस्टमर से बात करता है, उन्हें किसी कर्मचारी से कनेक्ट नहीं करता.
गूगल का रैंकिंग सिस्टम क्या है? क्या ‘गूगल एड सर्विस’ का इस्तेमाल कर ग्राहकों को इतनी आसानी से जालसाजी का शिकार बनाया जा सकता है?
क्विंट ने गूगल से इस बारे में जानकारी के लिए संपर्क किया, लेकिन ये खबर लिखे जाने तक कंपनी से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया अभी तक नहीं मिली है.
गूगल की सही रैंकिंग एक बोली प्रक्रिया के आधार पर होती है, जिसमें एडवर्टराइजर की लगाई गई बोली की कीमत के आधार पर रैंकिंग कैलकुलेट की जाती है. एड के लिए सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले को गूगल एडरैंक में प्राथमिकता दी जाती है.
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