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राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में जेवर (जनपद गौतमबुद्ध नगर) में 5000 हेक्टेयर क्षेत्र में प्रस्तावित नए अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे का ठेका स्विट्जरलैंड की कंपनी ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल को दिया जा रहा है. दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में यह दूसरा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा होगा, जो तैयार होने के बाद देश का सबसे बड़ा हवाईअड्डा होगा.
देश में पहली बार कोई विदेशी कंपनी पूरी तरह से एक हवाईअड्डा बनाने जा रही है और इस पर कुल 29,500 करोड़ रुपये से अधिक के खर्च का अनुमान है. इस हवाई अड्डे के पहले चरण का काम तीन महीने में शुरू होने की उम्मीद है और यह 2023 तक चालू हो जाएगा.
जेवर हवाईअड्डा परियोजना का प्रबंधन देखने वाली एजेंसी नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (नियाल) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. अरुणवीर सिंह ने कहा-
अधिकारी ने अगले तीन महीने में परियोजना पर काम शुरू होने की उम्मीद जतायी है.
इस हवाईअड्डे के लिए जारी अंतराष्ट्रीय निविदा में इस कंपनी ने दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल), अडाणी एंटरप्राइजेज और एंकरेज इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट होल्डिंग्स लिमिटेड जैसी कंपनी को पीछे छोड़ दिया.
इसके लिए ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल ने 400.97 रुपये प्रति यात्री के हिसाब से बोली लगायी थी. जबकि एंकरेज इंफ्रास्ट्रक्चर ने 205 रुपये प्रति यात्री, अडाणी एंटरप्राइजेज ने 360 रुपये और डायल ने 351 रुपये प्रति यात्री की बोली लगायी थी.
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में यह तीसरा हवाईअड्डा होगा. इसे पूरी तरह से नए सिरे से विकसित (ग्रीनफील्ड) किया जाएगा. इससे पहले इस क्षेत्र में दिल्ली में इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा और गाजियाबाद में हिंडन हवाईअड्डा मौजूद हैं.
परियोजना के नोडल अधिकारी शैलेंद्र भाटिया ने कहा कि जेवर हवाईअड्डा या नोएडा इंटरनेशनल ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट जब पूरी तरह विकसित होने पर यह 5,000 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला होगा. इसकी अनुमानित लागत 29,560 करोड़ रुपये आंकी गयी है.
ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल ने टेंडर खुलने के बाद कहा, ‘‘पहले चरण में चार साल में निर्माण में 65 करोड़ स्विस फ्रैंक (लगभग 4,657 करोड़ रुपये) का पूंजीगत निवेश किए जाने का अनुमान है.’’
कंपनी ने कहा, ‘‘पहले चरण पूरा होने पर इस हवाईअड्डे से हर साल 1.2 करोड़ यात्रियों के आवागमन की सुविधा होगी.’’
कंपनी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि वह भारतीय विमानन बाजार की अपेक्षित वृद्धि में भागीदार होगी. कंपनी भारतीय मूल्यों को बनाए रखते हुए स्विट्जरलैंड में अपनायी जाने वाली सभी अच्छी प्रक्रियाओं का पालन करेगी.
ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल ज्यूरिख हवाईअड्डे का परिचालन करती है. फिलहाल वह लैटिन अमेरिका के आठ हवाईअड्डों का काम देख रही है. इसके अलावा कंपनी के पास ब्राजील के चार और चिली के दो हवाईअड्डों का भी काम है. साथ कंपनी बागोटा और कुराकाओ में भी हवाईअड्डा का परिचालन और प्रबंधन संभालती है.
जेवर हवाईअड्डा के लिए 30 मई को अंतरराष्ट्रीय निविदा जारी की थी. इस हवाईअड्डा के प्रबंधन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने एक एजेंसी नियाल गठित की है.
अधिकारी ने बताया कि पूरी तरह बनकर तैयार होने के बाद इस एयरपोर्ट पर छह से आठ हवाई पट्टियां होंगी, जो देश में अब तक किसी हवाई अड्डे की तुलना में सबसे ज्यादा होंगी.
पहले चरण में हवाईअड्डे का विकास 1,334 हेक्टेयर क्षेत्र में किया जाएगा. इस पर 4,588 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है. इसके 2023 तक पूरा होने की उम्मीद है.
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