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Indian Railway: 13 घंटे लेट हुई ट्रेन, अब रेलवे को देना होगा ₹60 हजार का मुआवजा

Indian Railway News: शिकायतकर्ता ने कहा कि वह ट्रेन के लेट होने की वजह से चेन्नई में एक महत्वपूर्ण मीटिंग में समय पर नहीं पहुंच पाया.

क्विंट हिंदी
न्यूज
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<div class="paragraphs"><p>रेलवे को देना होगा 60,000 रुपये मुआवजा</p></div>
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रेलवे को देना होगा 60,000 रुपये मुआवजा

फोटो: क्विंट हिन्दी

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केरल के एक कंज्यूमर फोरम ने भारतीय रेलवे (Indian Railway) को यह निर्देश दिया है कि वह एक यात्री को ₹60,000 का मुआवजा दे. दरअसल यात्री जिस ट्रेन से सफर कर रहा था वह 13 घंटे लेट हो गयी, जिसकी वजह से वह यात्री अपनी जरूरी मीटिंग में नहीं पहुंच पाया था. कंज्यूमर फोरम ने कहा कि यात्रियों के समय का महत्‍व निर्विवाद है. ट्रेन लेट होने से हुई हानि के लिए रेलवे जिम्‍मेदार है.

यात्री ने रेलवे पर किया था केस

एर्नाकुलम जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने चेन्नई में एक निजी फर्म में काम कर रहे कार्तिक मोहन द्वारा दायर एक शिकायत के जवाब में 18 अक्टूबर को फैसला सुनाया.

शिकायतकर्ता ने कहा कि वह चेन्नई में एक महत्वपूर्ण मीटिंग में समय पर नहीं पहुंच पाया.

यात्री ने एर्नाकुलम से चेन्नई के लिए 22640 अलाप्पुझा-चेन्नई एक्सप्रेस में टिकट बुक किया था.

ट्रेन 13 घंटे से अधिक लेट हो गई थी. जिसके कारण शिकायतकर्ता की योजनाए बाधित हुईं. ट्रेन में सवार कई यात्रियों सहित NEET परीक्षा के उम्मीदवारों को भी परेशानी उठानी पड़ी.

यात्रियों को देरी की सूचना दी गई थी: रेलवे

दूसरी तरफ रेलवे ने तर्क दिया कि चेन्नई डिवीजन के अराक्कोनम में पुनर्निर्माण कार्य के कारण ट्रेन में देरी हुई. इसमें यह भी कहा गया कि शिकायतकर्ता सहित सभी यात्रियों को एसएमएस सूचनाएं भेजी गईं.

रेलवे ने कहा की यात्रियों को देरी की सूचना दी गई और दूसरे परिवहन विकल्प सुझाए गए. इसके अलावा, यात्रियों को पूरा रिफंड भी उपलब्ध कराया गया.

आयोग ने यात्री के पक्ष में आदेश दिया

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आयोग ने फैसला सुनाया, “यात्री के समय का महत्व अविवादित है. अचानक देरी के कारण विशेष रूप से शिकायतकर्ता को काफी असुविधा और परेशानी हुई थी. हालांकि टिकट बुकिंग के समय यात्रा का उद्देश्य नहीं बताया गया था. लेकिन एक प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के रूप में रेलवे को समय और कुशल सेवा को प्राथमिकता देनी चाहिए.“

आयोग ने शिकायतकर्ता के पक्ष में आदेश दिया कि, “स्वाभाविक रूप से, शिकायतकर्ता को विपरीत पक्षों की लापरवाही के कारण बहुत असुविधा, मानसिक पीड़ा, कठिनाइयां, आर्थिक नुकसान आदि का सामना करना पड़ा.“

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