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केरल उच्च न्यायालय ने सोमवार को इसरो जासूसी मामले में केरल पुलिस के दो पूर्व अधिकारियों को दो सप्ताह के लिए अंतरिम जमानत दे दी। इस मामले को सीबीआई द्वारा शुरू की गई नई कार्यवाही के साथ फिर से खोल दिया गया है।
एकल पीठ ने कहा कि एस.विजयन और थंपी एस. दुर्गादत्त दोनों को गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए और अगर जांच एजेंसी उन्हें गिरफ्तार करती है, तो उन्हें अदालत में पेश किया जाना चाहिए और उसी दिन जमानत दे दी जानी चाहिए।
पिछले महीने तिरुवनंतपुरम के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज एक नई प्राथमिकी में विजयन और दत्त पहले और दूसरे आरोपी हैं।
इस प्राथमिकी में केरल पुलिस और खुफिया ब्यूरो के शीर्ष अधिकारियों समेत 18 लोगों पर साजिश रचने और दस्तावेजों को गढ़ने का आरोप लगाया गया है।
मामला पहली बार 1994 में सामने आया था, जब इसरो वैज्ञानिक एस. नांबी नारायणन को इसरो के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी, मालदीव की दो महिलाओं और एक व्यवसायी के साथ जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
नंबी नारायण को सीबीआई ने 1995 में रिहा कर दिया था और तब से वह उन लोगों के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं, जिन्होंने उन्हें झूठा फंसाया था। कई लंबी-लंबी अदालती लड़ाइयों के बाद उनके लिए चीजें बदल गईं, जब 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी.के. जैन को यह जांच करने के लिए कहा कि क्या तत्कालीन पुलिस अधिकारियों के बीच नारायणन को झूठा फंसाने की साजिश थी।
नई दिल्ली से सीबीआई की एक नई टीम 28 जून को राज्य की राजधानी में एक अलग कोण से मामले को देखने के लिए पहुंची थी। टीम को यह भी पता लगाना था कि क्या केरल पुलिस और आईबी की जांच टीमों की ओर से कोई साजिश थी।
मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने खुलासा किया कि सीबीआई की नई टीम ने अपनी जांच शुरू कर दी है और जल्द ही गवाहों और प्राथमिकी में नामित लोगों को बुलाएगी और अटकलें लगाई जा रही हैं कि वे कुछ को गिरफ्तार भी कर सकते हैं।
प्राथमिकी में आरोपियों की सूची में गुजरात के पूर्व डीजीपी और तत्कालीन आईबी उप निदेशक आर.बी. श्रीकुमार, केरल के पूर्व डीजीपी सिबी मैथ्यूज के अलावा अन्य पुलिस अधिकारी शामिल हैं। इनमें स्थानीय पुलिस के विजयन, दुर्गादत्त और के.के. जोशुआ भी शामिल हैं, जिन्होंने सबसे पहले इसरो जासूसी का मामला दर्ज किया था।
मैथ्यूज के अलावा, एक अन्य अधिकारी जिसका नाम प्राथमिकी में दर्ज है, को भी अग्रिम जमानत मिल गई है और खबर यह है कि कई अन्य भी इसी तरह की राहत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटा रहे हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है।
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