Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019ISRO ने लॉन्च किया सबसे छोटा रॉकेट SSLV, सैटेलाइट से टूटा संपर्क

ISRO ने लॉन्च किया सबसे छोटा रॉकेट SSLV, सैटेलाइट से टूटा संपर्क

ISRO Launch Satelite: EOS02 एक अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट हैं. जो 10 महीने के लिए अंतरिक्ष में काम करेगा.

क्विंट हिंदी
न्यूज
Published:
<div class="paragraphs"><p>ISRO Rocket Launch:इसरो ने दो सैटेलाइट लॉन्च किए,छात्रों ने मिलकर बनाया आजादीसैट</p></div>
i

ISRO Rocket Launch:इसरो ने दो सैटेलाइट लॉन्च किए,छात्रों ने मिलकर बनाया आजादीसैट

फोटो- ट्विटर

advertisement

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) ने 7 अगस्त को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन स्पेस सेंटर से एक नया रॉकेट लॉन्च किया है. यह स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हिकल (Small Satellite Launch Vehicle) यानी SSLV-D1 है जिसके जरिए अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट (EOS-02) और एक छात्र द्वारा बनाई गई सैटेलाइट AzaadiSAT को भेजा गया है.

"आजादी का अमृत महोत्सव" के दौरान "आजादीसैट" भेजा गया है. जिसमें भारत के 75 ग्रामीण सरकारी स्कूलों के 750 छात्रों ने मिलकर बनाया है. इसमें 75 पेलोड शामिल हैं.

रॉकेट लॉन्च होने के वक्त सैटेलाइट को डिजाइन करने में शामिल तेलंगाना के सेंट फ्रांसिस गर्ल्स हाई स्कूल की एक छात्रा श्रेया ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि, "हमारे स्कूल के तीन समूहों ने इस एसएसएलवी लॉन्च में भाग लिया है. मुझे बहुत खुशी है कि हमें यह अवसर मिला. हमने वास्तव में इस पर कड़ी मेहनत की और आज हम इसके लॉन्च को देखेंगे."

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रॉकेट लॉन्च होने के बाद सैटेलाइट से डेटा मिलना बंद हो गया. इसके बाद इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि इसरो मिशन कंट्रोल सेंटर लगातार डेटा लिंक हासिल करने का प्रयास कर रहा है. हम जैसे ही इसका लिंक स्थापित करेंगे वैसे ही इसकी सूचना देंगे.

उन्होंने बताया कि EOS02 एक अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट हैं. जो 10 महीने के लिए अंतरिक्ष में काम करेगा. इसका वजन 142 किलोग्राम है. इसमें मिड और लॉन्ग वेवलेंथ इंफ्रारेड कैमरा लगा है. जिसका रेजोल्यूशन 6 मीटर है. यानी ये रात में भी निगरानी कर सकता है. AzaadiSAT सैटेलाइट्स स्पेसकिड्ज इंडिया नाम की देसी निजी स्पेस एजेंसी का स्टूडेंट सैटेलाइट है. इसे देश की 750 लड़कियों ने मिलकर बनाया था.

बता दें कि एसएसएलवी को 6 इंजीनियर केवल एक हफ्ते में तैयार कर सकते हैं. यह 10 किलोग्राम से 500 किलोग्राम तक के सेटलाइट को आसानी से अंतरिक्ष मे प्रक्षेपित कर सकता है. इसकी लागत पीएसएलवी से 10 गुणा कम है. अगर उपग्रह तैयार है तो रॉकेट भी तैयार है. एसएसएलवी के आने से वैश्विक बाजार में इसरो अंतरिक्ष के कारोबार में कड़ी प्रतिस्पर्धा देगा. छोटे-छोटे देशों के 500 किलोग्राम तक के उपग्रह के लिये ये वरदान सबित होगा.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT