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हैदराबाद, 22 अगस्त (आईएएनएस)| सत्ताधारी वाईएसआरसीपी और मुख्य विपक्षी दल टीडीपी के बीच आंध्र प्रदेश में तकरार जारी है, क्योंकि वाई. एस जगनमोहन रेड्डी सरकार ने पिछली चंद्रबाबू नायडू सरकार द्वारा लिए गए लगभग सभी फैसलों को पलट दिया है, क्योंकि दोनों के बीच काफी लंबे समय से राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता है।
अप्रैल में हुए चुनावों के दौरान दोनों पक्षों में चुनाव अभियान के दौरान काफी तीखी बहस और झड़पें हुई थी, जबकि मई में नतीजे आने के बाद दोनों के बीच तल्खी और तेज हो गई, क्योंकि वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) ने तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) को सत्ता से बेदखल कर दिया।
वाईएसआरसीपी को सत्ता में आए हुए ढाई महीने हुए हैं, और अभी भी कई गांवों में दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो रही है। टीडीपी ने आरोप लगाया कि वाईएसअरसीपी उनके कार्यकर्ताओं को निशाना बना रही है, यहां तक टीडीपी के मतदाताओं को भी निशाना बनाया जा रहा है।
दोनों दलों के शीर्ष नेताओं के परिवारों के बीच दो दशक से ज्यादा समय से दुश्मनी चल रही है। मुख्यमंत्री वाई. एस. जगन मोहन रेड्डी के पिता वाई. एस. राजसेखरा रेड्डी 1999 से 2004 के बीच नेता विपक्ष थे, जबकि टीडीपी अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू अविभाजित आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे।
राजसेखरा रेड्डी को वाईएसआर नाम से जाना जाता है। उनकी अगुवाई में 2004 में कांग्रेस सत्ता में लौटी और नायडू का एक दशक लंबा शासन समाप्त हुआ और 2004 से 2009 के बीच दोनों नेताओं की भूमिकाएं बदल गई।
साल 2009 में सत्ता में आने के कुछ ही महीनों बाद वाईएसआर की एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गई, जिसके बाद राज्य में राजनीतिक उठापटक का दौर शुरू हो गया। जगन मोहन रेड्डी जो तब कांग्रेस के सांसद थे, उन्होंने पार्टी द्वारा मुख्यमंत्री पद पर अपना दावा ठुकराए जाने के बाद विद्रोह कर दिया।
जगन ने कांग्रेस छोड़कर 2011 में वाईएसआरसीपी का गठन किया। इसी साल उन्हें केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा अवैध संपत्ति मामले में गिरफ्तार किया गया और वे एक साल से ज्यादा समय तक जेल में रहे। उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस सरकार और नायडू पर उन्हें झूठे मामले में फंसाने के लिए साजिश रचने का आरोप लगाया।
2014 में आंध्र प्रदेश का बंटवारा हो गया और अब इसी साल हुए चुनावों में जगन को जीत मिली।
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