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जीएसटी से परिचालन तंत्र बना बेहतर, जीएसटीएन में खामियां : फिक्की

जीएसटी से परिचालन तंत्र बना बेहतर, जीएसटीएन में खामियां : फिक्की

IANS
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जीएसटी से परिचालन तंत्र बना बेहतर, जीएसटीएन में खामियां : फिक्की
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जीएसटी से परिचालन तंत्र बना बेहतर, जीएसटीएन में खामियां : फिक्की
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नई दिल्ली, 18 फरवरी (आईएएनएस)| भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) ने रविवार को कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने से कारोबार के प्रचालन (लॉजिस्टिक्स) पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है लेकिन जीएसटीएन पोर्टल में खामियां पाई गई हैं।

फिक्की ने एक सर्वेक्षण के आधार पर यह जानकारी देते हुए बताया कि आदेश के अनुपालन की जटिल प्रक्रिया और उसमें होने वाले खर्च सरोकार के प्रमुख मसले हैं।

फिक्की ने एक जुलाई को जीएसटी लागू होने के छह महीने के दौरान सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्यमों (एमएसएमई) और बड़े कॉरपोरेट के अनुभवों को लेकर एक सर्वेक्षण करवाया।

सर्वेक्षण की रपट जारी करते हुए फिक्की ने कहा, वस्तुओं के अंतर्राज्यीय परिवहन के संबंध में चेक-पोस्ट को लेकर 60 फीसदी से ज्यादा प्रतिभागियों ने अपने अनुभव बेहतर बताए। जबकि 50 फीसदी से अधिक प्रतिभागियों ने बताया कि राज्यों की सीमाओं पर अब मालवाहक वाहनों को जांच के लिए नहीं रोका जाता है और 59 फीसदी प्रतिभागियों का कहना था कि जीएसटी लागू होने के बाद परिवहन में लगने वाला समय कम हो गया है।

फिक्की ने बताया, जीएसटी लागू होने से जो दिक्कतें आ रही हैं उनमें जीएसटीएन पोर्टल की खामियां, जटिल प्रक्रियाएं व कागजात और आदेश के अनुपालन में होने वाले खर्च प्रमुख हैं, जिनपर ध्यान देने की जरूरत है।

फिक्की के मुताबिक, सर्वेक्षण में शामिल सभी प्रतिभागियों ने जीएसटी पोर्टल की खामियों का जिक्र किया।

पोर्टल की खामियों का जिक्र करते हुए प्रतिभागियों ने बताया कि डाटा को अपडेट करने व भुगतान करने में विलंब होता है। साथ ही, इनपुट क्रेडिट की प्रक्रिया में भी विलंब होता है। इसके अलावा दिए हुए प्रारूप में भारी भरकम दस्तावेज वाली फाइल को अपलोड करने में पोर्टल सक्षम नहीं है। इसमें बदलाव या त्रुटियों को सुधारने के प्रावधान का अभाव है, जो व्यवसाय के लिए एक बड़ी चुनौती है।

कारोबारियों ने पोर्टल को अधिक कारगर व सक्षम बनाने के लिए इसमें व्यापक सुधार करने का सुझाव दिया है।

करीब 78 फीसदी प्रतिभागियों ने 1.5 करोड़ से ज्यादा का कारोबार करने वाले करदाताओं के लिए रिटर्न दाखिल करने की अवधि को मासिक की जगह त्रैमासिक करने का सुझाव दिया है।

(ये खबर सिंडिकेट फीड से ऑटो-पब्लिश की गई है. हेडलाइन को छोड़कर क्विंट हिंदी ने इस खबर में कोई बदलाव नहीं किया है.)

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