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''शांती भंग हो सकती है"- JNU प्रशासन ने कैंपस में मणिपुर हिंसा पर चर्चा रोकी

JNU के गंगा ढाबा पर मणिपुर हिंसा पर चर्चा के लिए बैठक रखी गई थी.

क्विंट हिंदी
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<div class="paragraphs"><p>''शांती भंग हो सकती है"- JNU प्रशासन ने कैंपस में मणिपुर हिंसा पर चर्चा रोकी</p></div>
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''शांती भंग हो सकती है"- JNU प्रशासन ने कैंपस में मणिपुर हिंसा पर चर्चा रोकी

(फोटोः क्विंट हिंदी)

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जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) ने एक बयान में कहा कि वह मणिपुर की स्थिति पर एक चर्चा को रद्द कर रहा है, जो गुरुवार, 18 मई को परिसर में आयोजित होने वाली थी, क्योंकि इस आयोजन के लिए कोई "पूर्व अनुमति" नहीं ली गई थी.

JNU के गंगा ढाबा में रात साढ़े नौ बजे 'अंडरस्टैंडिंग व्हाट इज हैपनिंग इन मणिपुर' नाम से पैनल डिस्कशन होना था. पैनल में जेएनयू में सहायक प्रोफेसर थोंगखोलाल हाओकिप, दिल्ली विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर प्रेम हिदाम और मानवाधिकार वकील नंदिता हक्सर शामिल थे.

जेएनयू ने अपने बयान में कार्यक्रम की अनुमति देने से इनकार करते हुए कहा...

"प्रशासन के संज्ञान में आया है कि छात्रों के एक समूह ने कलेक्टिव के नाम से मणिपुर में होने वाली घटनाओं पर चर्चा के लिए एक पम्फलेट जारी किया है जो 18 मई को रात 9:30 बजे गंगा ढाबा में आयोजित होने वाली है. इसके लिए कोई पूर्व अनुमति नहीं है. इस कार्यक्रम के लिए जेएनयू प्रशासन से कोई पूर्व अनुमति नहीं ली गई है."

विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह भी कहा कि इस तरह की चर्चा से विश्वविद्यालय परिसर में "शांति और सद्भाव भंग" हो सकता है. इसमें कहा गया कि "संबंधित व्यक्तियों को दृढ़ता से प्रस्तावित कार्यक्रम को तुरंत रद्द करने की सलाह दी जाती है."

मणिपुर राज्य में बहुसंख्यक मेइती समुदाय और आदिवासियों गैर-आदिवासियों के बीच अप्रैल के अंत से हिंसक झड़पें देखने को मिल रही हैं. इस संघर्ष में अब तक कम से कम 60 लोगों के मारे जाने की खबर है.

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