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उत्तराखंड के दरकते जोशीमठ (Joshimath Crisis Ground Report) में एक-एक कर टूटते घरों के साथ कई सपने टूट रहे हैं. यादे छूट रही हैं. हर परिवार का बेतहाशा दर्द है लेकिन कुछ के लिए मानों मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा है. कुछ ऐसा ही दर्द है 27 साल की बबीता और उनके 2 मासूम बच्चों का. पति की मौत के 3 महीने के अंदर जोशीमठ के इस संकट ने उनसे उनका घर भी छीन लिया. अब उनके बच्चों के सिर पर पिता के हाथ के साथ-साथ अपना छत भी है. क्विंट हिदी से बबीता ने अपना दुख व्यक्त किया.
बबीता ने बताया कि अक्टूबर 2022 में उनके पति की मौत हो गयी थी. उनके पति मजदूरी करते थे और आये दिन बीमार रहते थे. बीमारी के बीच ही उनके पति की मौत हो गयी. जिस उम्र में बबीता ने अपने पति के साथ जिंदगी गुजारने के सपने देखें, उसी में वो विधवा हो गयी. उनके पति अपने पीछे बबीता के साथ-साथ दो बच्चों को भी छोड़ गए हैं- सात साल का बेटा समर और पांच साल की बेटी रिया.
जोशीमठ में भू-धसाव से पड़ीं घरों और सड़कों की दरारें और चौड़ी होती गयीं और उसने हर दूसरे घर की तरफ बबीता के घर को भी अपना शिकार बनाया. प्रशासन ने बबीता का घर अब तोड़ दिया, जिससे उसकी माली हालत और खराब हो गयी है. बबीता बताती हैं कि बड़ी मुश्किल से उन्हें एक कमरा किराए पर मिला है. उसी में वो बच्चों के साथ रहेंगी.
जोशीमठ में भू-धंसाव से पड़ीं चारों ओर दरारें और चौड़ी हो रही हैं. आपदा प्रंबधन प्रधिकरण, चमोली ने एक लिस्ट जारी की है, जिसमें 9 वॉर्ड की 723 भवनों में दरारें दर्ज की गई हैं. 86 भवनों को अनसेफ जोन में रखा गया है. राज्य सरकार पीड़ित परिवारों को मुआवजा भी दे रही है.
उन्होंने जानकारी दी है कि "आपदा राहत कार्यों के लिए SDRF की आठ टीमें जोशीमठ में तैनात हैं. बिजली के तारों और खंभों की सुरक्षा के लिए 2.14 करोड़ रुपये जारी किए गए. NDRF की दो टीमें तैनात हैं, एक टीम रास्ते में है."
इनपुट- मधुसूदन जोशी
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