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उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर जिले के कैराना लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद हुकुम सिंह का निधन हो गया है. हुकुम सिंह सांस की बीमारी की वजह से नोएडा के जेपी अस्पताल में भर्ती थे. वह 79 साल के थे.
हुकुम सिंह पिछले साल एक सूची जारी कर सुर्खियों में आए थे, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि सांप्रदायिक ताकतों के चलते कैराना में बसे कई हिंदू परिवारों को घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है. हुकुम सिंह के निधन की खबर के बाद बीजेपी के कई बड़े नेताओं ने नोएडा की ओर रुख किया है.
5 अप्रैल 1938 को जन्मे हुकुम सिंह ने कैराना में ही 12वीं तक की पढ़ाई की. इसके बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय गए. वहां उन्होंने बीए और एलएलबी की डिग्री ली. उन्होंने वकालत का पेशा अपना लिया. जाने माने वकील ब्रह्म प्रकाश के साथ उन्होंने वकालत शुरू की. उन्होंने सेना में भी नौकरी की.1965 में पाकिस्तान से लड़ाई समाप्त होने के बाद 1969 में हुकुम सिंह ने सेना से इस्तीफा दे दिया और वापस मुजफ्फरनगर आकर दोबारा वकालत शुरू कर दी.
साल 1970 में उन्होंने बार काउंसिल अध्यक्ष पद का चुनाव जीता. साल 1974 तक उन्होंने इलाके के जन आंदोलनों में हिस्सा लिया. इसी साल कांग्रेस और लोकदल दोनों ही बड़े दलों ने उन्हें विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए अपने-अपने टिकट देने की बात कही.
उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और चुनाव जीत भी गए. 1980 में उन्होंने पार्टी बदली और लोकदल के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत गए. तीसरी बार 1985 में भी उन्होंने लोकदल के टिकट पर ही चुनाव जीता और इस बार वीर बहादुर सिंह की सरकार में मंत्री भी बने. जब नारायण दत्त तिवारी यूपी के सीएम बने तो उन्होंने हुकुम सिंह को कैबिनेट मंत्री बनाया.
हुकुम सिंह 1980 में लोकदल के अध्यक्ष भी बने. और 1984 में वह विधानसभा के उपाध्यक्ष भी रहे. 1995 में हुकुम सिंह ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और चौथी बार विधायक बने. कल्याण सिंह और राम प्रकाश गुप्ता की सरकार में हुकुम सिंह मंत्री रहे.
साल 2007 में उन्होंने विधानसभा चुनाव जीता. उन पर 2013 में मुजफ्फरनगर के भीषण दंगों का आरोप लगा. 2014 में बीजेपी के टिकट पर गुर्जर समाज के हुकुम सिंह ने कैराना सीट पर पार्टी को जीत दिलाई. हुकुम सिंह के निधन पर बीजेपी के यूपी अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय समेत कई बड़े नेताओं ने गंभीर शोक व्यक्त किया है.
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