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Kanjhawala Case: जिन धाराओं के तहत केस दर्ज क्या वह काफी, दोषियों को कितनी सजा?

kanjhawala case: पुलिस जल्द से जल्द मामले में शामिल सभी चश्मदीदों तक पहुंचे और उनके बयान दर्ज करे- एडवोकेट सहरावत

प्रतीक वाघमारे
न्यूज
Published:
<div class="paragraphs"><p>Kanjhawala Case: जिन धाराओं के तहत मामला दर्ज क्या वह काफी हैं, दोषियों को कितनी सजा?</p></div>
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Kanjhawala Case: जिन धाराओं के तहत मामला दर्ज क्या वह काफी हैं, दोषियों को कितनी सजा?

फोटो- पीटीआई

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दिल्ली (Delhi) के कंझावला (Kanjhawala Case) में 20 साल की लड़की की 12 किलोमीटर तक घसीटने की वजह से मौत हो गई. परिजनों ने दोषियों को सख्त सजा दिलवाने की मांग की है. वहीं दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) ने दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग रखी है.

लेकिन आईपीसी (IPC) की जिन धाराओं के तहत मामला दर्ज हुआ है उसे देखते हुए क्या कहा जा सकता है कि सजा कितनी होगी? मामला जितना गंभीर है क्या उस हिसाब से मामले में लगाई गई धाराएं पर्याप्त हैं? आइए समझते हैं दिल्ली हाईकोर्ट के एडवोकेट से.

कंझावला में 31 दिसंबर 2022 की देर रात को मामला घटा, वारदात 12 कि.मी. की रेंज में घटी. इस दौरान एक चश्मदीद ने क्विंट हिंदी को बताया कि उसने पुलिस को फोन कर मामले की जानकारी दी लेकिन तब ज्यादा कुछ हो न सका. जब पुलिस ने मामला दर्ज किया तो 5 आरोपियों पर धारा 279, 304, 304ए, 120बी के तहत मामला दर्ज किया गया.

एडवोकेट इब्राहिम ने बताया कि जब कोई सार्वजनिक जगह पर लापरवाही से गाड़ी चलाता है जिससे किसी के जान को खतरा या चोट पहुंचने की संभावना हो तब धारा 279 के तहत वह दोषी माना जाएगा. धारा 304 गैर इरादतन हत्या का मामला है. जब किसी हत्या हुई हो लेकिन हत्या का कोई इरादा ना हो तब ये धारा लगती है. कंझावला मामले में अगर यह वाकई में एक्सीडेंट साबित हो जाता है तो यह गैर इरादतन हत्या कहलाएगी.

उन्होंने आगे बताया कि, 304ए लापरवाही से मौत का मामला है इसके तहत जुर्माना और दो साल की सजा होती है. धारा 120बी मतलब आपराधिक साजिश. कंझावला मामले में कार में बैठे पांचों युवकों पर इसके तहत मामला दर्ज है अगर जांच में ये साबित हो जाता है कि यह घटना साजिश के तहत हुई है तो उस हिसाब से सजा का प्रावधान है.

प्रथम दृष्टया जो धाराएं लगाई गईं है वह सही है. इस मामले में मुख्य बात ये है कि पुलिस को जरूरत है कि वह जल्द से जल्द मामले में शामिल सभी चश्मदीदों तक पहुंचे और उनके बयान दर्ज करें. क्योंकि बयान दर्ज करने में देरी से मामला पूरी तरह से बिगड़ सकता है. पुलिस को पहले बयान लेने होंगे, उसकी पुष्टि करनी होगी, उसे क्रॉस वेरिफाय करना होगा. यह मामला मीडिया में है इसलिए जल्द से जल्द पुलिस को जांच आगे बढ़ानी चाहिए.
श्रेय सहरावत, एडवोकेट, दिल्ली हाईकोर्ट
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"आरोपियों को मिल सकती है सख्त सजा, लेकिन नहीं होगी फांसी"

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल समेत सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने हैशटैग लगाकर फांसी की मांग की है. लेकिन फिलहाल एफआईआर में जो धाराएं लगाई गई हैं उससे नहीं लगता कि दोषियों को फांसी की सजा होगी. एडवोकेट वैभव कुमार ने कहा कि फिलहाल जो दिख रहा है उससे पता चलता है कि ये मामला सीधे सीधे हत्या का नहीं है. सड़क हादसे में किसी की मौत होती है तब हत्या तो मानी जाती है लेकिन किसी इरादे के साथ हत्या नहीं मानी जाती. यह गैर इरादतन होती है.

वैभव कुमार ने आगे कहा कि, जांच में अगर आगे पुलिस साबित करती है कि दोषियों का इसके पीछे कोई इरादा था तो फिर हत्या का मामला दर्ज हो सकता है यानी धारा 302, लेकिन फिलहाल की जांच तो गैर इरादतन हत्या को लेकर की जी रही है.

पुलिस ने इस मामले में जो धाराएं लगाई हैं वो काफी हैं और सख्त भी हैं. यह मामला गैर इरादतन हत्या का है उस हिसाब से सबसे सख्त धारा 304 ही है. इसमें 10 साल तक की सजा का प्रावधान है.
एडवोकेट वैभव कुमार

कंझावला मामले में मृतिका की दोस्त निधि, जो घटनास्थल से भग गई थी, मामले की चशमदीद है. पुलिस ने निधि का बयान धारा 164 के तहत दर्ज किया है. एडवोकेट वैभव कुमार ने कहा कि, धारा 164 के तहत बयान दर्ज करना पुख्ता माना जाता है. इसके अलावा 161 के तहत भी बयान दर्ज होता है लेकिन उसका ज्यादा मतलब नहीं होता और वो खारिज भी हो सकता है क्योंकि वह खुद पुलिस दर्ज करती है. वहीं 164 के तहत दर्ज किया गया बयान किसी मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज होता है इसलिए इस बयान की एहमियत ज्यादा होती है.

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