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कानपुर: दलित को झूठे केस में फंसाने का आरोप, 14 पुलिसवाले लाइन हाजिर

ADCP सोनकर के मुताबिक पुलिस ने संवेदनहीनता दिखाते हुए महादेव के खिलाफ ही चोरी का झूठा मुकदमा दर्ज कर लिया.

विवेक मिश्रा
न्यूज
Published:
<div class="paragraphs"><p>कानपुर: पुलिस ने दलित को झूठे केस में फंसाया, अब खुद पुलिस वाले फंसे</p></div>
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कानपुर: पुलिस ने दलित को झूठे केस में फंसाया, अब खुद पुलिस वाले फंसे

क्विंट

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कानपुर (Kanpur) के पुलिस कमिश्नर विजय सिंह मीणा ने अपने महकमे पर बड़ी कार्रवाई की है. उन्होंने एक दलित व्यक्ति को झूठे केस में फंसाने के मामले में 14 आरोपी पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया. साथ ही इन सभी के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश भी दे दिए. इसके अलावा इस मामले में कानपुर के बर्रा थाने के एसएचओ दीनानाथ मिश्रा और गोविंद नगर के ACP विकास पांडेय की भूमिका की भी जांच की जाएगी.

क्या है पूरा मामला? 

कानपुर के यादव मार्केट चौकी क्षेत्र के रहने वाले महादेव ने उमराव नाम के व्यक्ति के साथ 35 लाख रुपये में अपने मकान की डील तय की थी. आरोप है कि उमराव ने 10 लाख रुपए देकर मकान की रजिस्ट्री करवा ली, लेकिन महादेव के बार-बार कहने के बाद भी उन्हें पूरा पैसा नहीं दिया. इस वजह से महादेव ने अपने मकान पर उमराव को कब्जा नहीं दिया.

हाल ही में महादेव ने आरोप लगाया कि 15 जनवरी 2022 को उमराव और उसके कुछ साथी छत के रास्ते उसके घर में घुसे और पूरे परिवार को जमकर पीटा. इस दौरान कथित तौर पर महादेव की बेटी का सिर भी फूट गया और ये लोग महादेव के परिवार वालों के मोबाइल भी लूट ले गए.

इस घटना के बाद महादेव ने बर्रा थाने में उमराव और उसके साथियों पर लूट और एसी/एसटी समेत कई अन्य धाराओं में केस दर्ज करवाया. लेकिन, महादेव के मुताबिक FIR के बाद भी पुलिस ने उमराव पर कोई कार्रवाई नहीं की, बल्कि 23 फरवरी को पुलिस ने उमराव को जबरदस्ती उनके घर पर कब्जा दिला दिया.

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CO विकास पांडे ने लूट की धारा ही हटा दी

इस मामले की जांच कानपुर के एडीसीपी साउथ मनीष सोनकर को सौंपी गई. मनीष सोनकर की जांच में सामने आया कि महादेव के मकान पर उमराव का कब्जा कराने में एसीपी विकास पांडेय, बर्रा थानेदार दीनानाथ मिश्रा और यादव मार्केट चौकी के इंचार्ज आशीष कुमार मिश्रा की बराबर की संलिप्तता है.

मनीष सोनकर की जांच रिपोर्ट के मुताबिक महादेव ने एसी/एसटी की धाराओं में केस दर्ज करवाया था, इसलिए बर्रा के थानेदार दीनानाथ मिश्रा को इसकी रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेजनी चाहिए थी. लेकिन, उन्होंने आरोपियों का साथ देने के चलते ऐसा कुछ नहीं किया और मामले को थाना स्तर पर ही दबा दिया.

एडीसीपी मनीष सोनकर की जांच में यह भी सामने आया कि एसीपी विकास पांडेय ने घटना के वीडियो मौजूद होने के बाद भी आरोपी उमराव के ऊपर से लूट की धारा को हटा दिया.

पीड़ित  के खिलाफ ही चोरी का मुकदमा

आरोप है कि एसीपी विकास पांडेय और बर्रा थाने के SHO के संरक्षण में ही उमराव ने महादेव के मकान पर कब्जा किया जिससे उसका परिवार सड़क पर आ गया. ADCP सोनकर के मुताबिक लेकिन इस सब के बाद भी पुलिस ने संवेदनहीनता दिखाते हुए महादेव के खिलाफ ही चोरी का झूठा मुकदमा दर्ज कर लिया.

14 पुलिस वाले लाइन हाजिर 

DCP कानपुर रवीना त्यागी ने इस पूरे मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि 'कानपुर पुलिस के बर्रा थाने का मामला सामने आया है जहां चौकी के पुलिस कर्मियों द्वारा कब्जे को लेकर पक्षपात कार्यवाही की है. इसमें अंतरिम रिपोर्ट ADCP से प्राप्त हुई है जिसके आधार पर 14 पुलिस कर्मियों को जो उस पुलिस चौकी में तैनात थे उनको लाइन हाजिर किया गया है, ताकि विवेचना और जांच निष्पक्ष की जा सके."

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