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नई दिल्ली, 24 नवंबर (आईएएनएस)| पिछले सात सप्ताह से कच्चे तेल की कीमतों में नरमी का रुख रहने से देश की राजधानी दिल्ली में 17 अक्टूबर के बाद पेट्रोल करीब साढ़े सात रुपये प्रति लीटर सस्ता हुआ है जबकि डीजल के दाम में करीब साढ़े पांच रुपये प्रति लीटर की कमी आई है। इसी प्रकार देश के अन्य हिस्सों में भी पेट्रोल और डीजल के दाम में कमी आने से वाहन चालक समेत देश के आम नागरिकों को महंगाई से राहत मिली है, क्योंकि तेल का दाम कम होने से मालभाड़ा समेत परिवहन खर्च में कमी आती है। वहीं, तेल के आयात का बिल घटने से देश का चालू घाते का घाटा कम होता है।
बाजार के जानकारों की माने तो कच्चे तेल के दाम में आई हालिया गिरावट से पेट्रोल और डीजल के दाम में और गिरावट आएगी, जिससे लोगों को राहत मिलेगी।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड इस सप्ताह 11 फीसदी से ज्यादा की गिरावट के साथ 60 डॉलर प्रति बैरल के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे लुढ़क गया। वहीं, अमेरिकी लाइट क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) का भाव बीते एक सप्ताह में करीब 10.70 फीसदी फिसल कर 50 डॉलर प्रति बैरल के आसपास आ गया। तीन अक्टूबर के बाद ब्रेंट क्रूड के दाम में 30 फीसदी से अधिक और डब्ल्यूटीआई के भाव में करीब 33 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
पेट्रोल और डीजल के दाम में शनिवार को लगातार तीसरे दिन गिरावट आई। दिल्ली में पेट्रोल के दाम में 32 पैसे और डीजल में 40 पैसे प्रति लीटर की कटौती दर्ज की गई।
कोलकाता और मुंबई में पेट्रोल के दाम में 31 पैसे प्रति लीटर और चेन्नई में 34 पैसे प्रति लीटर की कमी आई है। डीजल कोलकाता में 40 पैसे, मुंबई में 43 पैसे और चेन्नई में 42 पैसे प्रति लीटर सस्ता हो गया।
इंडियन ऑयल की वेबसाइट के अनुसार, दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई में शनिवार को पेट्रोल के भाव क्रमश: 75.25 रुपये, 77.22 रुपये, 80.79 रुपये और 78.12 रुपये प्रति लीटर दर्ज किए गए।
चारों महानगरों में डीजल की कीमतें क्रमश: 70.16 रुपये, 72.01 रुपये, 73.48 रुपये और 74.13 रुपये प्रति लीटर दर्ज की गईं।
पिछले महीने डीजल और पेट्रोल की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर जाने के बाद केंद्र सरकार ने चार अक्टूबर को तेल के दाम में 2.50 रुपये कटौती करने की घोषणा की थी, जिसके बाद अगले ही दिन कीमतों में कमी आई। केंद्र सरकार ने डीजल और पेट्रोल पर उत्पादन शुल्क में 1.50 रुपये प्रति लीटर की कटौती की थी और एक रुपये प्रति लीटर की कटौती का बोझ तेल विपणन कंपनियों को वहन करने को कहा था। केंद्र के इस फैसले के बाद भारतीय जनता पार्टी शासित कई राज्यों में भी तेल पर मूल्य वर्धित कर यानी वैट में कटौती की गई।
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